एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय वाह जिंदगी वाह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ भिलाई से आई ब्रह्माकुमारी बहन माधुरी ने कहा कि परमात्मा सर्वोच्च है, वह सुख-दुख से न्यारा है, ज्ञान का सागर है, उसका कोई गुरु कोई शिक्षक नहीं है। वह त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ, सत्यचित-आनंद स्वरूप है।
सफीदों, नगर के प्रजापिता ब्रह्माकुमारी विश्वविद्यालय में चल रहे तीन दिवसीय वाह जिंदगी वाह कार्यक्रम को संबोधित करते हुए छत्तीसगढ़ भिलाई से आई ब्रह्माकुमारी बहन माधुरी ने कहा कि परमात्मा सर्वोच्च है, वह सुख-दुख से न्यारा है, ज्ञान का सागर है, उसका कोई गुरु कोई शिक्षक नहीं है। वह त्रिकालदर्शी, त्रिलोकीनाथ, सत्यचित-आनंद स्वरूप है।
वे परमधाम में रहते हैं और आकर ज्ञान की रोशनी देते हैं, जिससे अज्ञान का अंधेरा नष्ट हो जाता है। उन्होंने कहा कि मेडिटेशन, योग व ध्यान को लोग बहुत कठिन समझ लेते है लेकिन परमात्मा ने मेडिटेशन की सहज विधि बताई है। योग शब्द अध्यात्म होता है। जब आत्मा सधे मन से अपने पिता परमात्मा को याद करती है तो कहते है योग हो रहा है। आत्मा के मन की तार जोडऩा योग होता है। परमपिता परमात्मा के साथ मन के तार जोडऩे से शांति, सुख, प्यार, शक्ति व आनंद प्राप्त होता है।
शांति, प्यार व सुख साधनों में ढ़ूंढ़ेंगे तो वो अस्थाई है। उन्होंने कहा कि परमानेंट सुख व शांति प्राप्त करने के लिए परमपिता परमात्मा से कनेक्शन जोडऩा होगा। परमात्मा से कनेक्शन जोडऩे का नाम ही मेडिटेशन है। मेडिटेशन का अर्थ है हर दिन नए विचार, नई ऊर्जा, व नए उत्साह के साथ जीना।