हरियाणा के रेवाड़ी जिले की नगर परिषद के कार्यकारी अभियंता (XEN) अजय सिक्का के इस्तीफे का मामला गरमा गया है। शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव ने रेवाड़ी नगर आयुक्त (DMC) से 3 दिन के अंदर टिप्पणी और स्पष्ट प्रस्ताव मांग लिया है। ACS की तरफ से पत्र 4 जुलाई को लिखा गया था, जिससे साफ है कि आज हर हाल में सरकार को जवाब भेजना होगा। इधर DMC ने भी कार्यकारी अभियंता को तुरंत कार्यभार संभालने अन्यथा अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए लिखने का पत्र जारी कर दिया है।
बता दें कि 27 जून को नगर परिषद के XEN अजय सिक्का ने अचानक अपने पद से इस्तीफा दे दिया था। उसके बाद चर्चा शुरू हो गई थी कि नगर परिषद में सब कुछ ठीक नहीं चल रहा है। चूंकि नगर परिषद में अधिकारियों के बीच आपसी खींचतान किसी से छिपी नहीं है। नगर परिषद में लगातार भ्रष्टाचार के मामले भी उजागर होते रहे हैं। इस बीच एक अधिकारी के अचानक इस्तीफा दे देने से मामला और भी ज्यादा गरमा गया। अब इस मामले में सरकार की तरफ से भी एक पत्र जारी कर दिया गया है।
हरियाणा शहरी स्थानीय निकाय विभाग के प्रधान सचिव की तरफ से 4 जुलाई को लिखे पत्र के अनुसार जिला नगर आयुक्त रेवाड़ी को लिखा गया कि अजय कुमार सिक्का, कार्यकारी अभियंता, नगर परिषद रेवाड़ी से ईमेल के माध्यम से प्राप्त पत्र दिनांक 26 जून 2022 की प्रति आपको इस अनुरोध के साथ भेजी जाती है कि इस बारे में अपनी टिप्पणी एवं स्पष्ट प्रस्ताव 3 दिन के अंदर-अंदर सरकार को शीघ्र भिजवाना सुनिश्चित करें, ताकि मामले को समझकर आगामी कार्रवाई की जा सके।
इस पत्र के जवाब में इसी दिन 4 जुलाई को जिला नगर आयुक्त की तरफ से कार्यकारी अधिकारी नगर परिषद रेवाड़ी व कार्यकारी अभियंता अजय सिक्का को पत्र जारी किया गया, जिसमें लिखा गया कि जिला नगर आयुक्त के निर्देशानुसार आपको यह आदेश दिए जाते हैं कि कार्यकारी अभियंता रेवाड़ी अपना कार्यभार तुरंत प्रभाव से ग्रहण करें, अन्यथा उच्च अधिकारियों को अनुशासनात्मक कार्रवाई हेतु सूचित कर दिया जाएगा।
इस्तीफा देने के बाद से अटक गए काम
दरअसल, कार्यकारी अभियंता के इस्तीफा देने के बाद से नगर परिषद में एनडीसी से लेकर अन्य जरूरी काम अटके पड़े हुए हैं, क्योंकि बहुत से जरूरी कामों पर कार्यकारी अभियंता के हस्ताक्षर जरूरी हैं। ऐसे में लोगों को भी पिछले 10 दिन से ज्यादा परेशानी उठानी पड़ रही है। सरकार की तरफ से जारी किए गए पत्र के बाद बुधवार को इस मामले में स्थिति स्पष्ट हो सकती है। क्योंकि डीएमसी की तरफ से आज सरकार को जवाब भेजा जाना है।
भ्रष्टाचार का गढ़ नगर परिषद
पिछले लंबे समय से रेवाड़ी नगर परिषद राजनीति का अखाड़ा बनी हुई है। नगर परिषद में लगातार भ्रष्टाचार की परतें खुल रही हैं। पार्षद-अधिकारियों के बीच की खींचतान जग जाहिर है। एक के बाद एक भ्रष्टाचार के मामले निकल कर सामने आ रहे हैं। नगर परिषद के उच्च अधिकारियों की कार्यप्रणाली सवालों के घेरे में हैं, लेकिन कार्यकारी अभियंता के अचानक इस्तीफा देने के बाद मामला और ज्यादा गर्मा गया। प्रदेश में अगर सबसे ज्यादा नगर निकाय विभाग में कहीं कोई भ्रष्टाचार की शिकायतें होगी तो रेवाड़ी से ही निकलकर सामने आती हैं, इसलिए रेवाड़ी नगर परिषद को भ्रष्टाचार का गढ़ कहा जाता है।
पार्षद खुद लगा चुके गंभीर आरोप
पार्षद खुद उच्च अधिकारियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगा चुके हैं। कुछ दिन पहले ही प्रॉपर्टी आईडी से जुड़ा एक मामला सामने आया था, जिसमें विजिलेंस ने बकायदा नगर परिषद के उच्च अधिकारियों के खिलाफ नामजद भ्रष्टाचार का मामला दर्ज किया, लेकिन अधिकारियों की पॉवर को इसी से समझा जा सकता है कि आज तक इस मामले में एफआईआर से आगे कार्रवाई नहीं बढ़ी।
रेवाड़ी नगर परिषद में बैठने वाले अधिकारियों की सीट को मलाई की सीट कहा जाता हैं। विजिलेंस की एफआईआर के बाद होने वाली जांच आज पूरी तरह गोल खाते में है। अगर विजिलेंस की जांच निष्पक्ष तरीके से बढ़ती तो आज खुद को पाक साफ कहने वाले अधिकारी ही नपे हुए नजर आते, लेकिन राजनीतिक संरक्षण प्राप्त अधिकारी नगर परिषद में जमकर गोलमाल करने में जुटे हैं। इसका आरोप खुद शहर के पार्षद ही लगा चुके हैं।
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