प्रार्थनाएं …दुआएं…इंतजार…कामयाबी…खुशी…जश्न और उल्लास। ये सारे रंग हैं 17 दिन के उस भागीरथ प्रयास के जिसके बाद उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसी 41 जिंदगियां वापस लौटीं। सभी 41 मजदूर सुरक्षित हैं, दुनिया देख रहे हैं और हंस बोल रहे हैं। पर 12 नवंबर की सुबह ऐसी नहीं थी, जब ये सुरंग के भीतर थे और वो टनल मलबे से पट चुकी थी। जिंदगी और मौत के बीच 17 दिन काटना आसान नहीं था। जब हादसा हुआ, तब इन मजदूरों के मन में क्या चल रहा था? मजदूरों की कहानी जानिए उन्हीं की जुबानी। मणिपुर के मेडिकल छात्रों के लिए ऑनलाइन-ऑफलाइन क्लासेस: चुराचांदपुर के मेडिकल कॉलेज में होंगे एग्जाम, NMC ने की टेम्पररी व्यवस्था
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