हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन का पद संभालते आदित्य चौटाला।
हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने राज्य में सियासी दबदबे वाले चौटाला परिवार से जुड़े वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा दांव चल दिया है। भाजपा ने स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के पोते और भाजपा नेता आदित्य देवीलाल को हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड का चैयरमैन बना उनका राजनीतिक कद बढ़ा दिया है।
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आदित्य देवीलाल सिरसा जिले के पहले ऐसे जिलाध्यक्ष और नेता है, जिसे पार्टी ने दूसरी बार चेयरमैन बनाया है। इससे पहले वे हरियाणा स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बोर्ड लिमिटेड के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
भाजपा ने इस दांव के जरिए पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और आने वाले समय में JJP, इनेलो से मिलने वाली चुनौतियों को देखते हुए खेला है।
आदित्य चौटाला पर दांव की 4 बड़ी वजहें…
1. सिरसा में एकमात्र जाट चेहरा
हरियाणा में भाजपा 2019 में दोबारा सत्ता में जरूर आई लेकिन लगातार दूसरी बार सिरसा की पांच विधानसभा सीटों में से एक भी सीट जीत नहीं पाई। भाजपा के पास पहले सिरसा में ऐलनाबाद के पवन बैनीवाल जाट चेहरा थे। मगर, किसान आंदोलन के दौरान उनके पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा के पास जिले में एकमात्र जाट चेहरा आदित्य चौटाला ही थे। भाजपा ने आदित्य चौटाला को चेयरमैन बनाकर जहां जिले के जाट मतदाताओं को साधने का काम किया। देवीलाल परिवार से होने के कारण भाजपा आदित्य चौटाला को जाट नेता के रूप में स्थापित कर रही है।
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2. चाचा मंत्री और भतीजा डिप्टी सीएम, मगर सपोर्ट पर रिस्क नहीं ले रही भाजपा
भाजपा ने JJP से गठबंधन के बावजूद स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के छोटे बेटे और रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को मंत्री बनाकर सत्ता संतुलन कायम किया हुआ है। सिरसा में रानियां के निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह सरकार में बिजली मंत्री है जो कि आदित्य के सगे चाचा है। रणजीत सिंह सत्ता सुख भोगते हुए भाजपा का गुणगान कर रहे हैं लेकिन अगला विधानसभा चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़ेंगे, यह स्पष्ट नहीं है।
वहीं जजपा से डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला आदित्य के भतीजे हैं। हालांकि सरकार में सहयोगी जजपा के नेता पिछले कुछ समय से वर्करों के काम न होने की वजह 45 सीटों का आंकड़ा न होने की दुहाई दे रहे हैं। जजपा नेता कई बार भाजपा को आंखे दिखा चुके हैं और अकेले चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। ऐसे में भाजपा चुनाव के वक्त जजपा और रणजीत चौटाला को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि भाजपा ने सेफ गेम खेलते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री के पोते पर दांव खेला।
अपनी ही सरकार में काम न होने पर आदित्य चौटाला भेड़-बकरियां लेकर नगर परिषद के दफ्तर पहुंच गए थे।
3. जिला परिषद में भाभी कांता चौटाला को हराया
आदित्य चौटाला ने 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा जॉइन की। हालांकि उस समय उसे विधानसभा की टिकट नहीं मिली। 2016 के पंचायती चुनावों में जिला परिषद के चुनाव में आदित्य चौटाला ने इनेलो नेता अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला को हराया। इससे उन्होंने सिरसा की सियासत और जाट राजनीति में अपना दबदबा दिखाया।
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4. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का भाजपा को लाभ
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के परिवारों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। हरियाणा की मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार से उनके बेटे रणजीत चौटाला मंत्री है। पड़पोत्र दुष्यंत चौटाला में गठंधन सरकार में डिप्टी सीएम है। पौत्रवधू नैना चौटाला गठबंधन में विधायक है।
आदित्य चौटाला भाजपा सरकार में हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन बन गए हैं। केवल अभय चौटाला ही है जो कि गठबंधन सरकार से बाहर है। पूर्व उप प्रधानमंत्री के परिवारों के बीच आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का यही लाभ भाजपा उठाना चाहती है।
आदित्य चौटाला के बारे में पढ़िए…
नाम के साथ चौटाला नहीं देवीलाल लिखते हैं: आदित्य के पिता जगदीश चौटाला राजनीति में सक्रिय नहीं रहे। हरियाणा में चौधरी ओमप्रकाश ने अपने नाम के साथ चौटाला लगाने की परंपरा शुरू की। परंतु आदित्य ने अपने नाम के साथ अपने दादा ‘देवीलाल’ लिखना शुरू किया।
पहला विधानसभा चुनाव हारे: आदित्य चौटाला ने 2019 के चुनावों से ठीक पहले डबवाली में सीएम मनोहर लाल की रैली करवाकर अपनी दावेदारी ठोकी। उन्हें टिकट भी मिला लेकिन 2019 में सिरसा के डबवाली से विधानसभा का चुनाव में वे कांग्रेस के अमित सिहाग से हार गए। तब आदित्य चौटाला को संगठन में पद देते हुए पार्टी ने जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
नगर परिषद में भेड़-बकरियां लेकर पहुंच गए थे आदित्य: आदित्य चौटाला भाजपा में जिलाध्यक्ष रहते सितंबर 2021 में नगर परिषद में प्लाट ट्रांसफर के काम न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए भवन में भेड़ बकरियां लेकर पहुंच गए थे। तब उन्होंने नगर परिषद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। तब यह मामला सीएम तक पहुंच गया था।
पार्टी बना सकती है नया जिलाध्यक्ष
भाजपा के जिलाध्यक्ष आदित्य चौटाला चेयरमैन बनने के बाद वे जिलाध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। ऐसे में अब सिरसा में भाजपा नया जिलाध्यक्ष बना सकती है। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ के साथ सिरसा के एक पूर्व जिलाध्यक्ष की मुलाकात भी हो चुकी है।
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हरियाणा में चौटाला परिवार की सियासत का तोड़: भाजपा ने चौधरी देवीलाल के पोते का राजनीतिक कद बढ़ाया; इससे जजपा और इनेलो को झटका
हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन का पद संभालते आदित्य चौटाला।
हरियाणा में अगले साल विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा ने राज्य में सियासी दबदबे वाले चौटाला परिवार से जुड़े वोट बैंक को साधने के लिए बड़ा दांव चल दिया है। भाजपा ने स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के पोते और भाजपा नेता आदित्य देवीलाल को हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड का चैयरमैन बना उनका राजनीतिक कद बढ़ा दिया है।
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आदित्य देवीलाल सिरसा जिले के पहले ऐसे जिलाध्यक्ष और नेता है, जिसे पार्टी ने दूसरी बार चेयरमैन बनाया है। इससे पहले वे हरियाणा स्टेट कोऑपरेटिव एग्रीकल्चर एंड रूरल डेवलपमेंट बोर्ड लिमिटेड के चेयरमैन भी रह चुके हैं।
भाजपा ने इस दांव के जरिए पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता और आने वाले समय में JJP, इनेलो से मिलने वाली चुनौतियों को देखते हुए खेला है।
आदित्य चौटाला पर दांव की 4 बड़ी वजहें…
1. सिरसा में एकमात्र जाट चेहरा
हरियाणा में भाजपा 2019 में दोबारा सत्ता में जरूर आई लेकिन लगातार दूसरी बार सिरसा की पांच विधानसभा सीटों में से एक भी सीट जीत नहीं पाई। भाजपा के पास पहले सिरसा में ऐलनाबाद के पवन बैनीवाल जाट चेहरा थे। मगर, किसान आंदोलन के दौरान उनके पार्टी छोड़ने के बाद भाजपा के पास जिले में एकमात्र जाट चेहरा आदित्य चौटाला ही थे। भाजपा ने आदित्य चौटाला को चेयरमैन बनाकर जहां जिले के जाट मतदाताओं को साधने का काम किया। देवीलाल परिवार से होने के कारण भाजपा आदित्य चौटाला को जाट नेता के रूप में स्थापित कर रही है।
सोनीपत में शहजादपुर का नवनिर्वाचित सरपंच निलंबित: पंचायती जमीन पर कब्जा कर बनाया था मकान; नामांकन पत्र में छिपाई जानकारी, डीसी की कार्रवाई
2. चाचा मंत्री और भतीजा डिप्टी सीएम, मगर सपोर्ट पर रिस्क नहीं ले रही भाजपा
भाजपा ने JJP से गठबंधन के बावजूद स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के छोटे बेटे और रानियां से निर्दलीय विधायक रणजीत चौटाला को मंत्री बनाकर सत्ता संतुलन कायम किया हुआ है। सिरसा में रानियां के निर्दलीय विधायक रणजीत सिंह सरकार में बिजली मंत्री है जो कि आदित्य के सगे चाचा है। रणजीत सिंह सत्ता सुख भोगते हुए भाजपा का गुणगान कर रहे हैं लेकिन अगला विधानसभा चुनाव भाजपा की टिकट पर लड़ेंगे, यह स्पष्ट नहीं है।
वहीं जजपा से डिप्टी CM दुष्यंत चौटाला आदित्य के भतीजे हैं। हालांकि सरकार में सहयोगी जजपा के नेता पिछले कुछ समय से वर्करों के काम न होने की वजह 45 सीटों का आंकड़ा न होने की दुहाई दे रहे हैं। जजपा नेता कई बार भाजपा को आंखे दिखा चुके हैं और अकेले चुनाव लड़ने की बात कह रहे हैं। ऐसे में भाजपा चुनाव के वक्त जजपा और रणजीत चौटाला को लेकर कोई रिस्क नहीं लेना चाहती। यही वजह है कि भाजपा ने सेफ गेम खेलते हुए पूर्व उप प्रधानमंत्री के पोते पर दांव खेला।
अपनी ही सरकार में काम न होने पर आदित्य चौटाला भेड़-बकरियां लेकर नगर परिषद के दफ्तर पहुंच गए थे।
3. जिला परिषद में भाभी कांता चौटाला को हराया
आदित्य चौटाला ने 2014 के विधानसभा चुनावों से पहले भाजपा जॉइन की। हालांकि उस समय उसे विधानसभा की टिकट नहीं मिली। 2016 के पंचायती चुनावों में जिला परिषद के चुनाव में आदित्य चौटाला ने इनेलो नेता अभय चौटाला की पत्नी कांता चौटाला को हराया। इससे उन्होंने सिरसा की सियासत और जाट राजनीति में अपना दबदबा दिखाया।
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4. राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का भाजपा को लाभ
पूर्व प्रधानमंत्री स्वर्गीय चौधरी देवीलाल के परिवारों के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता है। हरियाणा की मौजूदा भाजपा-जजपा गठबंधन सरकार में पूर्व उप प्रधानमंत्री चौधरी देवीलाल के परिवार से उनके बेटे रणजीत चौटाला मंत्री है। पड़पोत्र दुष्यंत चौटाला में गठंधन सरकार में डिप्टी सीएम है। पौत्रवधू नैना चौटाला गठबंधन में विधायक है।
आदित्य चौटाला भाजपा सरकार में हरियाणा मार्केटिंग बोर्ड के चेयरमैन बन गए हैं। केवल अभय चौटाला ही है जो कि गठबंधन सरकार से बाहर है। पूर्व उप प्रधानमंत्री के परिवारों के बीच आपसी राजनीतिक प्रतिद्वंद्विता का यही लाभ भाजपा उठाना चाहती है।
आदित्य चौटाला के बारे में पढ़िए…
नाम के साथ चौटाला नहीं देवीलाल लिखते हैं: आदित्य के पिता जगदीश चौटाला राजनीति में सक्रिय नहीं रहे। हरियाणा में चौधरी ओमप्रकाश ने अपने नाम के साथ चौटाला लगाने की परंपरा शुरू की। परंतु आदित्य ने अपने नाम के साथ अपने दादा ‘देवीलाल’ लिखना शुरू किया।
पहला विधानसभा चुनाव हारे: आदित्य चौटाला ने 2019 के चुनावों से ठीक पहले डबवाली में सीएम मनोहर लाल की रैली करवाकर अपनी दावेदारी ठोकी। उन्हें टिकट भी मिला लेकिन 2019 में सिरसा के डबवाली से विधानसभा का चुनाव में वे कांग्रेस के अमित सिहाग से हार गए। तब आदित्य चौटाला को संगठन में पद देते हुए पार्टी ने जिलाध्यक्ष नियुक्त कर दिया।
नगर परिषद में भेड़-बकरियां लेकर पहुंच गए थे आदित्य: आदित्य चौटाला भाजपा में जिलाध्यक्ष रहते सितंबर 2021 में नगर परिषद में प्लाट ट्रांसफर के काम न होने पर नाराजगी व्यक्त करते हुए भवन में भेड़ बकरियां लेकर पहुंच गए थे। तब उन्होंने नगर परिषद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। तब यह मामला सीएम तक पहुंच गया था।
पार्टी बना सकती है नया जिलाध्यक्ष
भाजपा के जिलाध्यक्ष आदित्य चौटाला चेयरमैन बनने के बाद वे जिलाध्यक्ष के पद से त्यागपत्र दे सकते हैं। भाजपा में एक व्यक्ति एक पद का नियम है। ऐसे में अब सिरसा में भाजपा नया जिलाध्यक्ष बना सकती है। पिछले दिनों भाजपा के प्रदेशाध्यक्ष ओपी धनखड़ के साथ सिरसा के एक पूर्व जिलाध्यक्ष की मुलाकात भी हो चुकी है।
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