हमारा जैसा कर्म होगा वैसा भाग्य बनेगा: भ्राता ओमकार चंद भाग्य लिखने की कलम विषय पर हुई चर्चा

एस• के• मित्तल
सफीदों,  हमारा जैसा कर्म होगा वैसा भाग्य बनेगा। यह बात माउंटआबू से पधारे राजयोगी एवं मोटिवेशनल स्पीकर प्रोफेसर भ्राता ओमकार चंद ने कही। वे नगर के प्रजापिता ब्रह्माकुमारीज ईश्वरीय विश्वविद्यालय सफीदों के हैप्पी हाल चल रहे खुशियों से दोस्ती उत्सव को बतौर मुख्यवक्ता संबोधित कर रहे थे।
इस मौके पर सफीदों सैंटर इंचार्ज बहन स्नेहलता ने भ्राता ओमकार व अन्य अतिथियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। अपने संबोधन में भ्राता ओमकुमार ने कहा कि जीवन जीने के दो तरीके है। एक तरीका यह है कि मैं दूसरों से पूछु की मेरा भविष्य या मेरा भाग्य कैसा है और दूसरा तरीका यह है कि मैं अपना भाग्य खुद लिखु या खुद अपना भविष्य तय करूं। इन दोनों में सबसे बढ़िया तरीका अपना भाग्य खुद लिखना है। जीवन में अनेकों क्षण आते हैं जब अचानक बीमारी, प्राकृतिक आपदा व अन्य कारणों से विपरित परिस्थितियां आ जाती है।
तब प्रश्र पैदा होता है कि मेरे ही साथ ऐसा क्यों होता है? तब इंसान कह देता है कि सबकुछ ईश्वर या परमपिता परमात्मा की मर्जी से हो रहा है लेकिन सत्य यह है है कि अगर भगवान की इच्छा से होता तो बुरा क्यों होता क्योंकि भगवान किसी का बुरा कभी भी नहीं करते। परमपिता परमात्मा दुखों को हरने वाले, सुखों को देने वाले तथा क्षमा के सागर हैं। भगवान को दोष देना तो आसान है लेकिन खुद के कर्मों के झांककर देखना आसान नहीं है। सच्चाई यह है कि जैसा कर्म होगा वैसा भाग्य बनेगा। किसी से सत्य ही कहा है कि जैसा बीज बोओगे वैसा फल काटोगे। जैसे आम का पौधा लगाने पर आम मिलता है और बबूल का पौधा लगाने पर कांटे। मनुष्य के जैसे कर्म और संस्कार होंगे वैसा ही भाग्य होगा।
अगर कर्म अच्छे होंगे तो भाग्य अच्छा होगा तथा कर्म अच्छे नहीं होंगे तो कठिनाईयां तो आएंगी ही आएंगी। उन्होंने कहा कि मनुष्य के मरने के बाद उसके साथ कुछ नहीं जाता। अगर कुछ साथ जाता है तो मनुष्य के अच्छे या बुरे कर्म साथ जाते हैं। मनुष्य के वर्तमान के कर्म आगे का भाग्य निर्धारित करते हैं। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि अगर सुखी व बेहतरीन जीवन जीना है तो अपने वर्तमान के कर्मों को सुधारें और जीवन में अच्छे से अच्छे कर्म करने का प्रयास करें।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!