एस• के• मित्तल
सफीदों, सरकार के सहकारी संस्थान कनफेड का एक कर्मचारी राधेश्याम को सेवा के नक्शे से ही बाहर कर दिया गया है। निरंतर 39 वर्ष तक सेवा लाभ की बेपरिणाम गुहार सम्बंधित अधिकारियों से लगाकर 66 वर्ष की आयु में जर्जर शरीर के साथ राधेश्याम अपने ही विभाग में बेगानों की तरह भटक रहा है। राधेश्याम ने बताया कि वह दिसम्बर 1979 में कनफेड में लेखा क्लर्क भर्ती हुए थे।
सफीदों, सरकार के सहकारी संस्थान कनफेड का एक कर्मचारी राधेश्याम को सेवा के नक्शे से ही बाहर कर दिया गया है। निरंतर 39 वर्ष तक सेवा लाभ की बेपरिणाम गुहार सम्बंधित अधिकारियों से लगाकर 66 वर्ष की आयु में जर्जर शरीर के साथ राधेश्याम अपने ही विभाग में बेगानों की तरह भटक रहा है। राधेश्याम ने बताया कि वह दिसम्बर 1979 में कनफेड में लेखा क्लर्क भर्ती हुए थे।
मार्च 1984 में उन्हें गबन के आरोप में निलंबित किया गया और अप्रैल 1984 में उनके खिलाफ सफीदों थाना में गबन की एफआईआर भी दर्ज हुई लेकिन क्योंकि मामला रंजिश से प्रेरित था विभागीय जांच में उन्हें नवम्बर 1987 में निर्दोष करार व आपराधिक मामले में अदालत द्वारा मार्च 1996 में बरी कर दिया गया लेकिन कनफेड ने उसे बहाल नहीं किया। उन्होंने बताया कि निलंबन अवधि के दौरान कनफेड के सक्षम अधिकारी के निर्देश पर जिस सहकारी स्टोर पर वह हाजरी दे रहे थे उसे बंद कर दिया गया और उसके बाद विभागीय जांच व अदालत का आदेश लेकर वह निरन्तर कनफेड के कार्यालयों व अन्य संबंधित उच्चाधिकारियों के दफ्तरों के चक्कर काट रहे हैं।
सेवा लाभों के लिए प्रदेश के मुख्यमंत्री व राज्यपाल तक अनुरोध भेज चुके हैं। इस बारे हरियाणा के सहकारी समितियां पंजीयक कार्यालय से बताया गया कि कंफेड के प्रबंध निदेशक को बीते माह आवश्यक नियमानुसार कार्रवाई के लिए पत्र भेजा गया है। कई गम्भीर रोगों से ग्रस्त राधेश्याम के इस मामले को पेंशनर्स संगठन हरियाणा सरकार पेंशनर्स यूनाइटेड फ्रंट ने विभागीय कुरूरता की दुर्लभ मिसाल करार दिया है। फ्रंट के महासचिव डीएस भारद्वाज ने कहा कि उनका फ्रंट राधेश्याम को न्याय दिलाने को देश के किसी भी दरवाजे तक जाएगा।
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