एस• के• मित्तल
सफीदों, एक तरफ तो सरकार लोगों में ज्यादा से ज्यादा पौधे लगाने की प्रेरणा पैदा करने को लेकर मोटा खर्च करके व्यापक प्रचार अभियान चला रही है, जागरूकता शिविरों का आयोजन कर रही है और लोगों को ज्यादा से ज्यादा पौधे वितरित करने की बात करती है लेकिन दूसरी ओर स्थिति धरातल पर कुछ ओर ही है क्योंकि सफीदों स्थित वन विभाग की नर्सरी में आम लोगों को सहज पौधे उपलब्ध नहीं है।
एक पौधा लेने के लिए लोगों को बार-बार चक्कर लगवाएं जा रहे हैं। इसी को लेकर क्षेत्र के अनेक समाजसेवी लोगों ने सफीदों की वन विभाग की नर्सरी से आम लोगों सुलभ पौधे उपलब्ध करवाने की मांग को लेकर एक पत्र लिखा है। पत्र में लिखा गया है कि वर्तमान में बिगड़ते पर्यावरण के मद्देनजर पौैधारोपण करना नितांत आवश्यक हो गया है और वर्तमान में पौधारोपण का यह सबसे अच्छा समय भी है। इस दिशा में सरकार तो सजग जरूर है लेकिन विभाग कहीं ना कहीं उदासीन है। सरकार के द्वारा लोगों को विभिन्न आह्वानों के द्वारा पौधारोपण करने के लिए प्रेरित किया जा रहा है लेकिन धरातल पर आम लोगों को सरकारी नर्सरी से पौधे उपलब्ध नहीं है।
अगर कोई आम आदमी वन विभाग की सरकारी नर्सरी में पौधा लेने के लिए चला जाता है तो उसे विभिन्न प्रकार की कागजी कार्रवाई में उलझा दिया जाता है या जनप्रतिनिधि से लिखवाकर लाने की बात कहकर टरका दिया जाता है। पौधा लेने वाला व्यक्ति इस झमेले में ना पड़कर वापिस अपने घर को लौट जाता है। एक मौजिज आदमी ने नाम ना लिखने की शर्त पर बताया कि उसने एक त्रिवेणी लगाई हुई है और उस त्रिवेणी का नीम का पौधा खराब हो गया। जिसको बदलने के लिए वन विभाग की गैस एजेंसी रोड स्थित नर्सरी से नीम का पौधा लेने के लिए गया तो उसे यह कहकर पौधा नहीं दिया गया कि अगर पौधा लेना है तो जनप्रतिनिधि से लिखवाकर लाए।
यह सोचकर कि वह एक पौधे के लिए कभी जनप्रतिनिधि तो कभी विभाग के चक्कर काटेगा, थक हारकर उस व्यक्ति यहां पर काम कर रही एक प्राईवेट नर्सरी से 60 रूपए की कीमत चुकाकर नीम का पौधा खरीदकर उसका रोपण किया ताकि उसके द्वारा लगाई गई त्रिवेणी निरंतर चलती रहे और वह विशालकाय होकर समाज को छांव देने का कार्य करें। पत्र में कहा गया है कि वन विभाग सफीदों की उदासीनता के कारण इस इलाके में प्राईवेट नर्सरियां फलफूल रही है। उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि विभाग की नर्सरी में आम लोगों को पौधे सुलभ उपलब्ध करवाएं ताकि पौधारोपण अभियान को धक्का ना लगे।