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बणदेवी सांग का हुआ मंचन
एस• के• मित्तल
सफीदों, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं गुरू नानक कल्चरल सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में उपमंडल के गांव खेड़ा खेमावती की कश्यप चौपाल में बणदेवी नामक हरियाणवीं सांग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि सरपंच एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी अजीतपाल सिंह चट्ठा, ब्लाक समिति सदस्य पवन चौहान, सरपंच एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पवन कुमार व गांव के सरपंच प्रतिनिधि नरेश सौलंकी ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के प्रधान मालक सिंह ने की।
सफीदों, संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार एवं गुरू नानक कल्चरल सेवा समिति के संयुक्त तत्वावधान में उपमंडल के गांव खेड़ा खेमावती की कश्यप चौपाल में बणदेवी नामक हरियाणवीं सांग का आयोजन किया गया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि सरपंच एसोसिएशन के मीडिया प्रभारी अजीतपाल सिंह चट्ठा, ब्लाक समिति सदस्य पवन चौहान, सरपंच एसोसिएशन के उपाध्यक्ष पवन कुमार व गांव के सरपंच प्रतिनिधि नरेश सौलंकी ने शिरकत की। कार्यक्रम की अध्यक्षता समिति के प्रधान मालक सिंह ने की।

अतिथियों ने दीप प्रज्जवलन करके कार्यक्रम का शुभारंभ किया। सांगी विजय की टीम ने बणदेवी सांग प्रस्तुत करके सभी का मन मोह लिया। सांग की शुरूआत में कलाकारों ने बताया कि अर्थ मर्दन शहर आबाद था। जहां के राजा हेम अर्थ हैं। जिसके लड़के का नाम कनक अर्थ था। इधर काबेरी शहर में राजा सूरत सिंह जिसकी लड़की का नाम रूकमण था। रूकमण का दस्तूर है कि जिस राजकुमार को मेरे फोटो पसंद आ जाए उसके साथ ही शादी करूंगी। मंगला वत पूरी अलीमरदन महाराज जो शक्ल से भद्ध है। एक हल्कारा अलीमरदन का फोटो लेके जाता है। रूकमण किसकों पास-फेल करती है। हरिसैन महाराज अपनी रानी सहित राझधानी छोड़कर जंगल में चले जाते हैं। उस समय रानी गर्भवती थी। वन में रानी को लड़की पैदा होती है, जिसका नाम बणदेवी रख दिया जाता है।
अपने संबोधन में अतिथियों ने कहा कि भारतीय लोक संस्कृति हमारी जीवन शक्ति है। कलाओं से आत्मा का परमात्मा से मिलन होता है, ऐसी कलाओं का संरक्षण जरूरी है। आने वाली पीढ़ी जब लोककला संस्कृति को जानेगी और समझेगी तभी उसको अपने जीवन में उतारेगी। लोक कलाओं व संस्कृति के संरक्षण को लेकर कवायद शुरू करके निरंतर काम करने की जरूरत है। उन्होंने कहा कि वर्तमान दौर में मनोरंजन के साधनों का तेजी से विकास हुआ है जिसके चलते हुए परम्परागत साधनों के प्रति नई पीढ़ी उतनी रूचि नहीं ले रही। संपूर्ण समाज का दायित्व बनता है कि इस कला को विलुप्त न होने दे एवं इस दिशा में सामूहिक तौर पर प्रयास किए जाएं। विलुप्त होती सांग की कला को बचाने के लिए संस्था बेहद अच्छा प्रयास कर रही है। आयोजक संस्था के प्रतिनिधियों द्वारा अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया।
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