- एस• के• मित्तल
सफीदों, सफीदों उपमंडल के कई किसानों ने सरकार के लिए सवाल उठाया है कि गेहूं की नवीनतम किश्मों के बीज अपने अनुसंधान में तैयार करने वाले सरकारी संस्थानों में किसानों के लिए उपलब्ध क्यों नहीं हैं और ये निजी बाजार में कैसे बड़े पैमाने पर तैयार होकर बिक रहे हैं।
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इस इलाके के प्रगतिशील किसानों राजेश कुमार, बलिंद्र सिंह, धर्मबीर सिंह, महिंद्र सिंह व रघबीर सिंह का कहना है कि उन्होंने मुख्यमंत्री को संदेश भेजकर सवाल किया है की करनाल के राष्ट्रीय गेहूं अनुसंधान केंद्र में तैयार किये गए गेहूं के डीबीडब्लूए 303 व हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय हिसार में तैयार किए गए डब्लूएच 1270 का बीज न तो इन केंद्रों में और न ही किसी सरकारी बीज एजेंसी में उपलब्ध है
जबकि निजी बीज उत्पादक इसे अपने ब्रांडों में 60 से 70 रुपये प्रति किलो के भाव बेच रहे हैं और उनके पास इन बीजों की कोई कमी नहीं है। किसानों ने मुख्यमंत्री से आग्रह किया है कि इस मामले की जांच कराकर दोषियों पर कार्रवाई कराएं। किसानों का आरोप है कि अनुसंधानकर्ता केंद्र के चोर दरवाजे से नए बीज निजी कंपनियों को घूस लेकर दे दिए जाते हैं और उसके एक दो साल बाद ही जब तक बीज की स्वीकृति अधिसूचना जारी होती है, निजी कंपनियां अपना बीज तैयार कर महंगे भाव मे अपने बीज को उतार देती हैं।