सफीदों, सफीदों इलाके में रविवार को जिला परिषद व ब्लाक समिति सदस्यों की वोटिंग शांतिपूर्वक संपन्न हो गई। इस वोटिंग के दौरान सफीदों में 67.7 प्रतिशत तो पिल्लूखेड़ा में 67.3 प्रतिशत लोगों ने मताधिकार का प्रयोग किया। सफीदों खंड के कुल 94182 वोटों में से 63746 लोगों ने वोटें डाली। इसी प्रकार पिल्लूखेड़ा खंड के कुल 68564 मतों में से 46111 वोटरों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया।
इस चुनाव में जिन अधिकारियों व कर्मचारियों की ड्यूटी लगी हुई थी। उनमें से कुछ कर्मचारी ड्यूटी पर नहीं पहुंचे। जिस पर रिटर्निंग अधिकारी एवं एसडीएम सत्यवान सख्त नजर आए। एसडीएम ने ऐसे अधिकारियों व कर्मचारियों को नोटिस भेजकर जवाब मांगा है। नोटिस में रिटर्निंग अधिकारी सत्यवान मान ने कहा किअनुपस्थित रहे कर्मचारी 31 अक्टूबर तक अपना जवाब दें। अन्यथा उनके खिलाफ चुनाव आयोग की हिदायतों के अनुसार कार्रवाई की जाएगी।
एक्सप्रेस-वे के ग्रीनफील्ड से रास्ते की मांग को लेकर भिड़ताना गांव के मतदाताओं ने किया मतदान का बहिष्कार
इस चुनाव के दौरान जहां लगभग गांवों में लोगों ने मतदान में हिस्सा लिया लेकिन भिड़ताना एक ऐसा गांव है जहां पर मतदाताओं ने चुनाव का पूर्ण रूप से बहिष्कार किया। ग्रामीण एक्सप्रेस-वे के ग्रीनफील्ड से रास्ते की मांग कर रहे हैं। कई दिन पहले ही इस गांव के लोगों ने पंचायत बुलाकर चुनाव का पूर्ण बहिष्कार करने का ऐलान किया था और किसी भी पद के लिए नामांकन दाखिल करने वाले पर पांच लाख रुपये का सामाजिक दंड लगाने का निर्णय लिया था। इस गांव के 12 वार्डों में 2569 लोगों को मताधिकार प्राप्त है। गांव की ग्राम पंचायत के किसी पद के लिए किसी ने नामांकन नहीं भरा है और रविवार को पंचायत समिति सदस्य व जिला परिषद सदस्य के चुनाव के लिए मतदान का पूरा बहिष्कार किया गया। इस गांव के ओमप्रकाश, बलबीर, राममेहर व नीरज मतदान केंद्र के बाहर नजर रखे हुए थे। इस गांव में मतदान के लिए गांव के राजकीय स्कूल के भवन में तीन मतदान केंद्र संख्या 50, 51 व 52 बनाये गए थे। मतदान का बहिष्कार होने से मतदान कर्मचारी खाली बैठने को विवश रहे। चुनाव व्यवस्थाओं में मतदान कर्मियों के खाने की सरकारी व्यवस्था नहीं थी। ऐसे में, मतदान केंद्र 52 के पीठासीन अधिकारी सुरिंद्र मित्तल के अनुसार इस स्कूल के दो चतुर्थ श्रेणी कर्मियों ने स्कूल के किचन में खाना बनाकर मतदान कर्मियों को पूर्वान्ह परोसा औऱ उसके बाद सांयकाल में चाय बनी। बता दें कि आमतौर पर मतदान कर्मियों को यह सुविधा ग्रामीण ही सुलभ कराते हैं। इस गांव में मतदान के पूर्ण बहिष्कार के निर्णय से आवभगत के स्वभाव के लोगों ने भी स्कूल जाने संकोच किया।