महिलाओं ने खेला जमकर गरबा
एस• के• मित्तल
सफीदों, वूमेन इरा फाउंडेशन द्वारा डांडिया रास कार्यक्रम का आयोजन किया गया। कार्यक्रम की अध्यक्षता संस्था की अध्यक्षा गीतांजली कंसल ने की। कार्यक्रम का शुभारंभ मां भगवती की आरती के साथ हुआ। आरती के उपरांत विशेष पौशाक में सजी-धजी महिलाओं ने डांडिया रास रचाया और जमकर गरबा खेला।
इसके बाद महिलाओं द्वारा रैंप वॉक व एकल नृत्यों की प्रस्तुति दी। अपने संबोधन में संस्था की अध्यक्षा गीतांजली कंसल ने कहा कि नवरात्रि के दौरान हर रात डांडिया रास रचाने का प्रचलन है और इसका चलन वृंदावन से शुरू हुआ था। इसकी शुरुआत भगवान श्रभ्ीकृष्ण के राधा व गोपियों के संग उनके रास से मानी जाती है। उन्होंने कहा कि गरबा एक नृत्य है जो नवरात्रि के दौरान किया जाता है। इसे गरबी, गर्भ या गर्भ दीप के रूप में भी जाना जाता है। गर्भ दीप में गर्भ एक संस्कृत शब्द है, जिसका अर्थ है गर्भ और दीप का मतलब मातृत्व दीपक है। गरबा आमतौर पर एक बड़े दीपक या देवी शक्ति की प्रतिमा के चारों ओर एक चक्र में किया जाता है। नवरात्र के 9 दिन में मां को प्रसन्न करने के अलग-अलग उपायों में से एक उपाय नृत्य भी है।
शास्त्रों में नृत्य को साधना का एक मार्ग बताया गया है। गरबा नृत्य के माध्यम से मां दुर्गा को प्रसन्न करने के लिए देशभर में इसका आयोजन किया जाता है। उन्होंने बताया कि गरबा नृत्य के दौरान महिलाएं 3 तालियों का प्रयोग करती हैं। ये 3 तालियां इस पूरे ब्रह्मांड के त्रिदेव ब्रह्मा, विष्णु और महेश को समर्पित होती हैं। इन 3 तालियों की ध्वनि से जो तेज प्रकट होता है और तरंगें उत्पन्न होती हैं, उससे शक्ति स्वरूपा मां अंबा जागृत होती हैं।