हरियाणा विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार द्वारा दिए त्यागपत्र को वापस लिए जाने संबंधी याचिका पर तुरंत प्रभाव से निर्णय लेते हुए इसे स्वीकार कर लिया है। इस याचिका के स्वीकार किए जाने के साथ ही सुरेंद्र पंवार का त्यागपत्र वापस माना जाएगा।
सोनीपत से कांग्रेस विधायक सुरेंद्र पंवार ने फिरौती और जान से मारने की धमकी मिलने के बाद 14 जुलाई को विधान सभा अध्यक्ष को एक ईमेल भेज कर विधायक पद से त्यागपत्र दिया था। 18 जुलाई को उन्होंने एक और ईमेल भेज कर इस्तीफा वापस लेने की इच्छा जताई। 19 जुलाई की शाम को वे विधान सभा सचिवालय पहुंचे और विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता के सम्मुख प्रत्यक्ष रूप से पेश होकर त्यागपत्र वापस लेने की याचिका दी। विधान सभा अध्यक्ष ने इसे तुरंत प्रभाव से स्वीकार कर लिया। गुप्ता ने यह निर्णय हरियाणा विधान सभा के प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमों के नियम 58 (1) (ग) के तहत लिया है। इस नियम के तहत कोई भी सदस्य अपने त्यागपत्र को अध्यक्ष द्वारा इसके स्वीकार किए जाने से पूर्व किसी भी समय वापस ले सकता है। विधान सभा अध्यक्ष ने सुरेंद्र पंवार को उनके शेष कार्यकाल की सफलता के लिए शुभकामनाएं भी दी हैं। इस अवसर पर विधान सभा अध्यक्ष ज्ञान चंद गुप्ता ने कहा कि वे अपने प्रदेश के सभी विधायकों के हितों की रक्षा के पूरी तरह से वचनबद्ध हैं। उनके विशेषाधिकारों की रक्षा के लिए वे हर वक्त तत्पर हैं।
ज्ञानचंद गुप्ता से मिलने पहुंचे थे कांग्रेसी विधायक
कांग्रेसी पहुंचे थे विधानसभा अध्यक्ष के पास
कांग्रेसी विधायक सुरेंद्र पंवार का इस्तीफा विधानसभा अध्यक्ष को भेजने के बाद 18 जुलाई की शाम को यू टर्न लेते हुए कांग्रेसी विधायक स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता से मिलने विधानसभा सचिवालय पहुंचे। कांग्रेसी विधायकों ने स्पीकर के साथ बैठक की। इसके बाद सुरेंद्र पंवार ने बिना शर्त इस्तीफा वापस लेने का पत्र सौंपा। कांग्रेसी विधायकों ने कहा कि धमकियां मिलने के कारण वे परेशान हो गए थे, इसलिए इस्तीफा भेज दिया।
न केवल भारत में, ट्विटर अन्य देशों में भी अप्रिय स्थितियों का सामना कर रहा है
6 विधायकों को मिल चुकी हैं धमकियां
हरियाणा के 6 कांग्रेसी विधायकों को विदेश से फिरौती और जाने से मारने की धमकी मिली। इसके बाद कांग्रेसी विधायकों ने राज्यपाल को ज्ञापन सौंपकर विधायकों की सुरक्षा की मांग की थी। सरकार ने एसआईटी गठन करके पूरे मामले की जांच बैठाई थी। कांग्रेस की रेण बाला, सुरेंद्र पंवार, संजय सिंह, कुलदीप वत्स, सुभाष गंगोली, मामन खान को जान से मारने की धमकीमिली। इसके बाद 13 जुलाई को कांग्रेसी विधायक पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा के नेतृत्व में राज्यपाल से मिले और विधायकों की सुरक्षा की मांग की थी।