विधानसभा के सामने आकर लोग आग क्यों लगाते हैं?: बात CM तक पहुंचे…इसलिए खुद को आग लगाई, कभी पुलिस कार्रवाई के लिए पेट्रोल पी लिया

 

8 अगस्त 2023…विधानसभा सत्र चल रहा था। लखनऊ के हजरतगंज चौराहे से विधानसभा मार्ग तक 50 से ज्यादा सुरक्षाकर्मी तैनात थे। इसी बीच विधान भवन के सामने एक महिला दौड़ते हुए आई। पेट्रोल पिया और बचा हुआ अपने ऊपर डाल लिया।

विधानसभा के सामने आकर लोग आग क्यों लगाते हैं?: बात CM तक पहुंचे…इसलिए खुद को आग लगाई, कभी पुलिस कार्रवाई के लिए पेट्रोल पी लिया

महिला खुद को आग लगाने ही वाली थी कि मौके पर तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे पकड़ लिया। वह चिल्लाई…खुद को छुड़ाने की कोशिश करने लगी। बाद में उसे शांत कराकर सिविल अस्पताल ले जाया गया। किसी तरह उसकी जान बची। फिर शिकायत लिखी गई।

पूछताछ में यह पता चला कि खुद को आग लगाने वाली महिला बागपत की रहने वाली है। कई बार शिकायत के बावजूद पुलिस उसके भाई की मौत के मामले में कार्रवाई नहीं कर रही थी। इसी से आहत होकर उसने विधानसभा के सामने खुद को जलाकर मरने का कदम उठाया।

विधानसभा के सामने खुद को आग लगाने महिला को बचाती पुलिस।

बीते 2 साल में 10 से ज्यादा लोगों ने ऐसी कोशिशें की हैं। विधानसभा…जहां प्रदेश के विकास को लेकर योजनाएं बनती हैं वहां आकर लोग आखिर क्यों खुदकुशी करते हैं? इस बारे में हमने मनोचिकित्सक डॉ. प्रांशु अग्रवाल से बात की। लेकिन सबसे पहले खुदकुशी की कोशिश से जुड़े कुछ बड़े मामलों पर चलते हैं…

2 जून 2022 : रेप पीड़िता को घर नहीं भेजा गया तो पिता ने आग लगा ली
कोर्ट के फैसले से नाराज सुशांत गोल्फ सिटी के रहने वाले एक शख्स ने लखनऊ विधानसभा के सामने खुद को आग लगा ली। इसी बीच वहां तैनात पुलिसकर्मियों ने उसे बचा लिया। लेकिन धक्का-मुक्की के बीच उसकी स्कूटी धू-धूकर जलने लगी। किसी तरह उस शख्स को बचाकर आग पर काबू पाया जा सका।

स्कूटी में आग लगते ही पुलिसकर्मी दौड़े, किसी तरह शख्स को बचाया जा सका।

पुलिस पूछताछ के बाद पता चला कि खुदकुशी करने वाले शख्स की बेटी के साथ पहले दुष्कर्म किया गया था, जिसके बाद मामला न्यायालय में गया। कोर्ट ने लड़की को मां बाप को सुपुर्द नहीं किया बल्कि उसे अनाथालय में रहने का आदेश दे दिया। इससे नाराज पिता ने विधानसभा के सामने आकर खुद पर पेट्रोल डालकर आग लगाई थी।

1 अप्रैल 2022 : सीएम योगी तक एप्लिकेशन पहुंचाने के लिए खुद को आग लगाई
लखनऊ के रानीखेड़ा की रहने वाली राम प्यारी अपने बेटे को न्याय दिलाने के लिए विधानसभा के सामने खुदकुशी करने पहुंच गईं। उनके एक हाथ में एप्लिकेशन थी और दूसरे हाथ में केरोसिन ऑयल। इसी दिन बीजेपी कार्यालय में सीएम योगी भी आए हुए थे।

राम प्यारी चाहती थीं कि उनकी एप्लिकेशन योगी तक पहुंच जाए। इसलिए उन्होंने भाजपा कार्यालय के बाहर पहले खुद पर केरोसिन डाला फिर आग लगाने लगी। इसे देख विधानसभा के बाहर खड़े पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़ लिया। राम प्यारी को थाने ले जाया गया। पूछताछ में उन्होंने बताया, “फर्जी केस में फंसाकर पुलिस मेरे बेटे को परेशान कर रही है। मेरा लड़का निर्दोष है, लेकिन गोसाईगंज पुलिस जबरन उसे जेल भेज रही है।”

राम प्यारी को पकड़कर ले जाती महिला पुलिस।

10 मार्च 2022: अखिलेश हारे तो सपा कार्यकर्ता ने खुद को आग लगाकर हंगामा किया
विधानसभा चुनाव की मतगणना चल रही थी। भाजपा ने सपा से 100 सीटों की बढ़त बना ली थी। तभी विधानसभा के गेट नंबर 1 के सामने कानपुर के सपा नगर उपाध्यक्ष नरेंद्र उर्फ पिंटू ठाकुर ने अपने ऊपर पेट्रोल डालकर आग लगा ली। इसी बीच गेट पर तैनात पुलिसकर्मी आग को बुझाने के लिए कंबल लेकर सपा कार्यकर्ता की तरफ दौड़ पड़े।

पिंटू ठाकुर को बचाया गया और उन्हें सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया। बाद में उन्होंने बताया कि वे पार्टी के हार से दुखी थे, इसलिए उन्होंने खुदकुशी करने का फैसला लिया। उन्होंने मतगणना में बीजेपी पर EVM हैकिंग का भी आरोप लगाया।

समाजवादी पार्टी कानपुर के नेता नरेंद्र सिंह उर्फ पिंटू ठाकुर के शरीर का ऊपरी हिस्सा बुरी तरह जल गया था।

14 दिसंबर 2021: दरोगा ने मांगी 3 लाख रिश्वत, 20 किमी. दूर आकर खुद को जलाया
मोहनलालगंज के रहने वाले मिलन सिंह और हरिराम किराए पर डंपर चलवाते थे। लेकिन 4 दिसंबर को पुलिस ने उनके 4 डंपरों को सील करते हुए उन्हें जेल में बंद कर दिया। एक दिन बाद पुलिस ने उन्हें छोड़ दिया पर गाड़ियों को छुड़वाने के लिए उनसे 3 लाख रुपए की डिमांड की गई। युवकों के पास इतने पैसे नहीं थे।

हारकर दोनों पहले ऑटो से 20 किमी. दूर लखनऊ पहुंचे। फिर विधानसभा के सामने खुदपर डीजल डालकर आग लगाने लगे। इसे देख सेफ जोन में तैनात पुलिसकर्मियों ने दोनों को पकड़ लिया और हजरतगंज थाने ले गए। पूछताछ में मिलन और हरिराम ने मोहनलालगंज कोतवाली के दरोगा महेश कुमार दुबे की शिकायत की। इसके बाद आरोपी दरोगा को लाइन हाजिर कर दिया गया।

ये उस वक्त की तस्वीर है जब मिलन सिंह और हरिराम ने खुद को आग लगाई थी।

18 दिसंबर 2021 : प्रियंका गांधी ने मदद नहीं की, नाराज महिला ने की खुदकुशी की कोशिश
विधानसभा के गेट नंबर- 1 के सामने इटावा से आई एक महिला ने पहले खुद पर पेट्रोल डाला, फिर आग लगाने की कोशिश की। गेट पर तैनात पुलिसकर्मियों ने महिला के माचिस जलाने से पहले ही उसे पकड़ लिया और उसे थाने लेकर गए।

पूछताछ ने महिला ने शाहजहांपुर के 5 सिपाहियों पर उसके साथ कई महीनों तक रेप करने का आरोप लगाया। महिला ने बताया कि उसने 6 दिसंबर को प्रियंका गांधी से न्याय दिलाने के लिए मुलाकात की थी, लेकिन उन्होंने इस पर कोई एक्शन नहीं लिया। इससे परेशान होकर वह विधानसभा के सामने आत्महत्या करने पहुंची थी।

29 जुलाई 2021: जमीन बिक गई, तहसील दिवस में बात नहीं सुनी गई
उन्नाव के शेखपुरनरी गांव के रहने वाले धर्मराज शर्मा दोपहर 12 बजे विधानसभा के सामने पहुंचे। बैग से मिट्टी के तेल से भरी बोतल निकाली और अपने ऊपर डालने लगे। वो खुद को आग लगाने ही वाले थे कि गेट नंबर-1 पर खड़े पुलिसकर्मियों ने उन्हें पकड़कर उनके हाथ से माचिस छीन ली।

पुलिस से पूछताछ के दौरान धर्मराज ने बताया कि शेखपुर में उसके हिस्से की साढ़े तीन बीघा जमीन उनकी भाभी और भतीजे ने बेच दी है। इसकी शिकायत लेकर वह कई बार तहसील दिवस में गया पर किसी ने उसकी बात नहीं सुनी। इसी से परेशान होकर वे आत्महत्या करने लखनऊ आए थे।

13 अक्टूबर 2020: अंजली से आयशा बनी महिला ने खुद को जला लिया

आयशा को बचाते पुलिस वाले।

पति आसिफ रजा और ससुराल वालों की मारपीट से परेशान अंजली उर्फ आयशा अपनी फरियाद लेकर महिला थाने पहुंचीं तो वहां उसकी सुनी नहीं गई। शिकायत पर कार्रवाई न होने से परेशान आयशा ने विधानसभा के पास बीजेपी कार्यालय के गेट नंबर-2 के सामने खुद को आग लगा ली। जब तक पुलिस उसे बचाने पहुंची उसका शरीर 90% जल चुका था। पुलिसकर्मियों ने उसे लखनऊ के सिविल अस्पताल में भर्ती कराया, जहां इलाज के दौरान 14 अक्टूबर को उसकी मौत हो गई।

पुलिस के मुताबिक, अंजली की पहली शादी 2014 में महराजगंज के अखिलेश तिवारी से हुई थी। चार साल तक दोनों साथ रहे, फिर मनमुटाव होने पर अलग हो गए। युवती ने इसके बाद धर्म बदलकर आसिफ से शादी कर ली और नाम आयशा रख लिया। वह आसिफ के साथ 3 साल से रह रही थी।

18 जुलाई 2020: जमीनी विवाद में 2 महिलाओं ने पुलिस के आगे खुद को जलाया

अमेठी की रहने वाली सफिया (50) और उसकी बेटी गुड़िया (28) जमीनी विवाद को सुलझाने की मांग लेकर लखनऊ पहुंची थीं। विधानभवन के बाहर किसी ने उनकी बातों को नहीं सुना तो दोनों ने विधानसभा के सामने ही खुद को आग लगा ली, जिससे एक महिला की इलाज के दौरान 22 जुलाई को मौत हो गई।

इस घटना के बाद कांग्रेस नेता अजय कुमार लल्लू ने योगी सरकार पर निशाना साधा था। उन्होंने कहा था, “यूपी में योगीराज नहीं, बल्कि जंगलराज है।”

  • विधानसभा के सामने खुदकुशी के मामलों की क्रोनोलॉजी यहां खत्म होती है। ऐसे मामलों पर मनोचिकित्सक डॉ. प्रांशु अग्रवाल का क्या कहना है, ये भी जान लीजिए…

सरकारी इमारतों के सामने खुदकुशी की कोशिश करने की 3 वजह
लखनऊ के मनोचिकित्सक डॉ. प्रांशु कहते हैं, “विधानसभा या फिर किसी सरकारी इमारत के सामने आत्महत्या करने के पीछे 3 वजह होती हैं। पहली: सरकार की नजरों तक अपना मामला लाना। दूसरी: राजनीतिक कारणों से न चाहते हुए भी ऐसा करना। तीसरी: डिप्रेशन में आकर ऐसा कदम उठाना।”

पहली वजह: कुछ मामलों में ऐसा होता है कि व्यक्ति कई बार सरकार या किसी नेता से अपनी परेशानी बताता है। लेकिन उसे न्याय नहीं मिल पाता। तब ऐसी सिचुएशन आती है कि उसे अपनी बात लोगों तक पहुंचाने का जरिया ढूंढना पड़ता है। ऐसे में लोग भीड़ वाली जगहों या फिर विधानसभा जैसी बड़ी सरकारी बिल्डिंग के आगे आकर ऐसे स्टंट करते हैं। इससे मीडिया अटेंशन मिल जाती है और उनकी बात सरकार तक कम समय में पहुंचती है।

दूसरी वजह: कई बार ये चीजें जानबूझकर दूसरे लोगों से करवाई जाती हैं। जैसे राजनीतिक पार्टियां दूसरे दलों को लापरवाह बताने के लिए अपने वर्कर्स से ऐसा करवाती हैं। ऐसा करने के लिए पार्टियां अपने लोगों को लंबी-चौड़ी रकम भी देती हैं।

तीसरी वजह: कुछ मामले सच भी होते हैं। कई बार लोग इतना परेशान हो जाते हैं कि उन्हें खुदकुशी के अलावा दूसरा कोई रास्ता नजर नहीं आता। ऐसे केस में लोग पब्लिक प्लेस में जाकर खुद को चोट पहुंचाते हैं। इससे उनकी बात पुलिस की नजर में जल्दी आ जाती है। FIR भी लिख दी जाती है और अपराधियों को सजा मिलती है।

  • यूपी से जुड़ी ये खबरें भी पढ़िए…

1) अखिलेश यादव 48 सीट पर लड़ेंगे, 32 दूसरे दलों को मिलेंगी; मुंबई में आज फॉर्मूला रखेंगे

अखिलेश ने जो प्लान बनाया है उसमें 60% सीटें यानी 48 सीट खुद अपने लिए रखी है। जबकि 40% यानी 32 सीटें दूसरे दलों को देने का प्रस्ताव दिया है। मुंबई में दो दिवसीय I.N.D.I.A. की बैठक में LOGO और राज्यवार सीट के बंटवारे पर भी सभी दल अपना प्रस्ताव पेश करेंगे। इस प्रस्ताव पर मंथन किया जाएगा।

2) विधानसभा चुनाव के बाद किया था रुख, अब एक साल में हर फैसला खोखला साबित

बीते कई विधानसभा चुनावों में अपने जनाधार को खोती दिख रही बीएसपी का हर नया प्रयोग फेल होते जा रहा है। अब एक बार फिर से पार्टी का ‘मुस्लिम’ प्रयोग काम नहीं आया है। बीते करीब एक साल के दौरान पार्टी ने इस प्रयोग पर पूरा जोर दिया। लेकिन अब एक साल में ही पार्टी का हर प्रयोग फेल कर चुका है। इसकी चर्चा इमरान मसूद के बसपा से निष्कासित होने के बाद शुरू

 

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