एस• के• मित्तल
सफीदों, सेवा रिकॉर्ड के एक दुर्लभ मामले में सफीदों के राधेश्याम का कहना है कि वह वर्ष 1979 में कनफेड में क्लर्क भर्ती हुआ था। पहली पोस्टिंग पानीपत के एक स्टोर में हुई थी। फिर वह लंबे समय तक सफीदों के स्टोर में रहा। उसने बताया कि सफीदों में ड्यूटी के दौरान मार्च 1984 में उसे गबन के आरोप में निलंबित किया गया और अप्रैल 1984 में उसके खिलाफ सफीदों थाना में गबन की एफआईआर भी दर्ज हुई।
सफीदों, सेवा रिकॉर्ड के एक दुर्लभ मामले में सफीदों के राधेश्याम का कहना है कि वह वर्ष 1979 में कनफेड में क्लर्क भर्ती हुआ था। पहली पोस्टिंग पानीपत के एक स्टोर में हुई थी। फिर वह लंबे समय तक सफीदों के स्टोर में रहा। उसने बताया कि सफीदों में ड्यूटी के दौरान मार्च 1984 में उसे गबन के आरोप में निलंबित किया गया और अप्रैल 1984 में उसके खिलाफ सफीदों थाना में गबन की एफआईआर भी दर्ज हुई।
विभागीय जांच में उसे नवम्बर 1987 में निर्दोष करार दिया गया व आपराधिक मामले में भी अदालत ने मार्च 1996 में बरी कर दिया लेकिन कनफेड ने उसे ना तो बर्खास्त किया और ना ही बहाल। कनफेड कभी का बंद हो चुका और उसकी सेवा का रिकॉर्ड सहज सुलभ नहीं। उसने नियुक्ति आदेश के बाद के कनफेड के एमडी द्वारा जारी पहले पत्र की कनफेड से सत्यापित प्रति दिखाई जिसमे उसे पानीपत का स्टेशन दिया गया था। सेवा लाभों के लिए कनफेड के इलावा मुख्यमंत्री व सहकारिता मंत्री से वर्षों तक गुहार लगाने के बाद अब 66 वर्ष की उम्र में उसने पंजाब एवं हरियाणा हाईकोर्ट में एक याचिका दायर की है जिसकी सुनवाई न्यायमूर्ति हरसिमरन सिंह सेठी की अदालत में आगामी 5 सितंबर को होनी है।
वाइंड-अप हुई कनफेड व सहकारी विभाग के सम्बंधित अधिकारी इस पर कुछ नहीं बोल रहे हैं। कई गम्भीर रोगों से ग्रस्त राधेश्याम के इस मामले को सेवानिवृत कर्मियों के संगठन हरियाणा सरकार पेंशनर्स यूनाइटेड फ्रंट ने इसे विभागीय क्रुरूरता की दुर्लभ मिसाल करार दिया है। फ्रंट के महासचिव, बिजली निगम से सेवानिवृत डीएस भारद्वाज ने आज कहा कि उनका फं्रट राधेश्याम को न्याय दिलाने को देश के किसी भी बड़े से बड़े दरवाजे तक जाएगा।
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