26 अक्टूबर 2023 की रिपोर्ट के मुताबिक लोकसभा और विधानसभा चुनाव कराने के लिए चुनाव आयोग को 30 लाख EVM की जरूरत होगी- फाइल फोटो।
देश में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव अगर एक साथ कराए जाते हैं तो हर 15 साल में सिर्फ EVM पर 10 हजार करोड़ रुपए खर्च होंगे। इलेक्शन कमीशन ने शनिवार को केंद्र सरकार को चिट्ठी लिखकर इस बात की जानकारी दी है।
चुनाव आयोग ने बताया कि EVM की शेल्फ लाइफ 15 साल ही होती है। यदि एक साथ चुनाव कराए जाते हैं तो मशीनों के एक सेट का इस्तेमाल तीन बार चुनाव कराने के लिए किया जा सकता है, लेकिन लोकसभा और विधानसभा के लिए अलग-अलग मशीनें लगेंगी।
आयोग ने सरकार को बताया चुनाव के लिए EVM का गणित
- अनुमान के मुताबिक 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए पूरे भारत में कुल 11.80 लाख पोलिंग बूथ बनाने होंगे। हर बूथ पर EVM के दो सेट लगेंगे- एक लोकसभा और दूसरा विधानसभा के लिए।
- वोटिंग के दिन डिफेक्टिव मशीनों को रिप्लेस करने के लिए कंट्रोल यूनिट (CU), बैलट यूनिट (BU) और वोटर वैरिफाइएबल पेपर ऑडिट ट्रेल (VVPAT) मशीनों को रिजर्व रखना होगा।
- फरवरी 2023 में चुनाव आयोग ने कहा था कि एक साथ चुनाव करवाने के लिए कम से कम 46 लाख 75 हजार 100 बैलट यूनिट, 33 लाख 63 हजार 300 कंट्रोल यूनिट और 36 लाख 62 हजार 600 VVPAT की जरूरत होगी।
- आयोग के मुताबिक 2023 की शुरुआत में एक EVM की टेंटेटिव कॉस्ट लगभगग 30000 रुपए थी। इसमें 7900 रुपए प्रति बैलट यूनिट, 9800 रुपए प्रति कंट्रोल यूनिट और 16000 रुपए प्रति VVPAT के शामिल थे।
अक्टूबर 2023 में कहा था- तैयारियां पूरी हुईं तो 2029 में हो सकेंगे एक साथ चुनाव
अक्टूबर 2023 में सामने आई कुछ खबरों में यह दावा किया गया था कि लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ कराने के लिए चुनाव आयोग को 30 लाख कंट्रोल यूनिट्स, करीब 43 लाख बैलेट यूनिट्स और करीब 32 लाख VVPAT की जरूरत होगी। इसमें उन चीजों को रिजर्व में रखना भी शामिल है, जिससे खराबी आने पर यूनिट को बदला जा सके। रिपोर्ट्स में यह भी बताया गया था कि अभी 35 लाख वोटिंग यूनिट्स की कमी है।
EC ने चुनाव के लिए एक्स्ट्रा पोलिंग और सिक्योरिटी पर्सनल्स की बात पर भी जोर दिया था। इसके साथ ही EVMs के लिए स्टोरेज सुविधा और ज्यादा वाहनों की बात भी कही थी। EC ने कहा था कि नई मशीनों, स्टोरेज फैसेलिटी और लॉजिस्टिकिल मुद्दों को ध्यान में रखते हुए हम देश में एकसाथ चुनाव 2029 में करा सकते हैं। पढ़ें पूरी खबर…
अब देखिए EVM से जुड़े ये ग्राफिक्स
क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।
आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
सरकार ने बनाई है 8 सदस्यों की टीम
केंद्र सरकार ने वन नेशन-वन इलेक्शन के लिए 8 सदस्यीय एक कमेटी बनाई है। इसके अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद हैं। दिल्ली के जोधपुर ऑफिसर्स हॉस्टल में 23 सितंबर को हुई कमेटी की पहली बैठक में फैसला हुआ था कि इस मुद्दे पर मान्यता प्राप्त राष्ट्रीय और क्षेत्रीय दलों के विचार लिए जाएंगे। इस मुद्दे पर सुझाव देने के लिए लॉ कमीशन को भी बुलाया जाएगा।
अभी क्या संभावना बन रही है…
एक देश-एक चुनाव’ लागू करने के लिए कई राज्य विधानसभाओं का कार्यकाल घटेगा। मध्यप्रदेश, राजस्थान, तेलंगाना, छत्तीसगढ़ और मिजोरम में हाल ही में चुनाव हुए हैं। इसलिए इन विधानसभाओं का कार्यकाल 6 महीने बढ़ाकर जून 2029 तक किया जाएगा। उसके बाद सभी राज्यों में एक साथ विधानसभा-लोकसभा चुनाव होंगे।
पहला चरणः 8 राज्य, वोटिंग जून 2024 में
- आंध्र प्रदेश, अरुणाचल प्रदेश, ओडिशा और सिक्किमः इनका कार्यकाल जून 2024 में ही पूरा हो रहा है।
- हरियाणा, महाराष्ट्र, झारखंड और दिल्लीः इनके कार्यकाल में 5-8 महीने कटौती करनी होगी। फिर जून 2029 तक इन राज्यों में विधानसभाएं पूरे 5 साल चलेंगी।
दूसरा चरणः 6 राज्य, वोटिंगः नवंबर 2025 में
- बिहारः मौजूदा कार्यकाल पूरा होगा। बाद का साढ़े तीन साल ही रहेगा।
- असम, केरल, तमिलनाडु, प. बंगाल और पुद्दुचेरीः मौजूदा कार्यकाल 3 साल 7 महीने घटेगा। उसके बाद का कार्यकाल भी साढ़े 3 साल होगा।
तीसरा चरणः 11 राज्य, वोटिंगः दिसंबर 2026 में
- उत्तर प्रदेश, गोवा, मणिपुर, पंजाब व उत्तराखंडः मौजूदा कार्यकाल 3 से 5 महीने घटेगा। उसके बाद सवा दो साल रहेगा।
- गुजरात, कर्नाटक, हिमाचल, मेघालय, नगालैंड, त्रिपुराः मौजूदा कार्यकाल 13 से 17 माह घटेगा। बाद का सवा दो साल रहेगा।
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इन तीन चरणों के बाद देश की सभी विधानसभाओं का कार्यकाल जून 2029 में समाप्त होगा। सूत्रों के अनुसार, कोविंद कमेटी विधि आयोग से एक और प्रस्ताव मांगेगी, जिसमें स्थानीय निकायों के चुनावों को भी शामिल करने की बात कही जाएगी।