बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं का नारा हो रहा है तार-तार
खराब मार्ग में हर रोज फंस रहे है वाहन
लोगों में भारी रोष
एस• के • मित्तल
सफीदों, नगर के राजकीय सरला देवी महिला कॉलेज के सामने पिछले कई वर्षों से खराब पड़ी सड़क नगरीय लोगों के लिए जहां जी का जंजाल बन गई है और कहीं ना कहीं सरकार के बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओं के नारे को भी तार-तार कर रही है। इस समस्या की ओर से सरकार व प्रशासन पूरी तरह से आंखें मूंदे हुए बैठा है, शायद उसे किसी बड़ी घटना होने का इंतजार है। मंगलवार को जिला जींद के उपायुक्त डा. मनोज कुमार यादव ने सफीदों के अनेक स्थानों का दौरा जरूर किया लेकिन उनके दौरे में यह मार्ग कहीं ना कहीं अछूता रह गया या शायद स्थानीय अधिकारियों ने उन्हे यहां पर लाना उचित नहीं समझा।
इस खराब सड़क की हालत को लेकर नगरीय लोगों में भारी रोष व्याप्त है। हाल के दिनों में यहां की स्थिति बद से बदतर है तथा हर रोज बड़े व छोटे वाहन यहां की दलदल व गहरे गड्ढों में फंस रहे हैं। बता दें कि इस मार्ग पर सरला देवी राजकीय महिला कॉलेज व नर्सिंग कॉलेज स्थापित है। इस कॉलेज में पढ़ाई करने आने वाली हजारों कन्याएं हर रोज समस्याओं से दो-चार होकर कॉलेज में प्रवेश करती हैं। बच्चियां हर रोज घर से नहा-धोकर जरूर आती हैं लेकिन यहां आकर उनके कपड़े व पैर कीचड़ व गंदगी से सन जाते हैं। वे गंदगी से दो-चार होकर पढ़ाई करने को मजबूर हैं। देर सांय भी इस मार्ग पर एक ईटों से भरी ट्रैक्टर-ट्राली, एक कैंटर व कई टू-व्हीलर फंसे हुए नजर आए। इस खराब मार्ग की दुरूस्ती को लेकर इसके आसपास की कॉलोनी के लोग कई बार धरने व प्रदर्शन कर चुके हैं लेकिन शासन और प्रशासन में कोई सुनवाई ना होने के कारण बे भी अब थक हारकर अपने घर बैठ चुके हैं। सबकुछ राम-भरोसे छोड़कर उन्होंने भी किसी को कहना-सुनना बंद कर दिया है।
अगर यूं कहें कि सफीदों के विकास के नाम पर यह रोड़ तमाचा है तो कोई अतिश्योक्ति नहीं होगी। बता दें कि यह रोड सफीदों के मिनी बाईपास के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह रोड सीधा शहर को मंडी से तथा दर्जनभर गांवों को आपस में जोड़ता है। उसके बावजूद भी इसकी कोई सूध नहीं ले रहा है। इस रोड पर निकासी की कोई व्यवस्था नहीं है। इस रोड के साथ में एक नाला जरूर बनाया गया था लेकिन नाले को बनाने वालों ने उसे रोड के लेवल से करीब 2 से 3 फीट ऊंचा बना दिया। परिणामस्वरूप उसमें सड़क के पानी की निकासी नहीं हो पाती और जरा सी बारिश में यह रोड झील के समान रूप ले लेता है। लोगों का कहना है कि सफीदों नगर अब राम भरोसे है और इसका कोई रखवाला नहीं रह गया। कहने के नाम पर यहां पर सतारूढ़ दल के कई बड़े नेता हैं लेकिन करने-धरने को लेकर उनके पास ब्यानबाजी के सिवाय कुछ भी नहीं है।
पिछले दो-तीन साल से यह समस्या निरंतर बनी हुई है लेकिन समाधान की उम्मीद ना के बराबर है, शायद प्रशासन को किसी बड़ी घटना का इंतजार है। अगर यहां पर कोई बड़ी घटना या अनहोनी हो जाती है तो बड़े-बड़े अधिकारी व नेता पीडि़त परिवार को आश्वासन व सांत्वना देने जरूर आ जाएंगे लेकिन समस्या का निराकरण करवाना उनके बूते की बात नहीं रही है। सफीदों का प्रशासन पूरी तरह से फेल हो चुका है। कहने को नाम पर सफीदों एक नगर जरूर है लेकिन यहां के हालात गांवों से बुरे हैं।