- 023 को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 163 साल पुराने 3 कानूनों में बदलाव के लिए बिल पेश किया था। इसमें राजद्रोह कानून खत्म करना भी शामिल है।
152 साल पुराने राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका पर सुप्रीम कोर्ट में आज सुनवाई होगी। इस मामले की सुनवाई चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच करेगी।
इससे पहले 1 मई को केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि राजद्रोह को अपराध बनाने वाली IPC की धारा 124A की समीक्षा की जा रही है। इसके बाद कोर्ट ने सुनवाई स्थगित कर दी थी।
हालांकि, सुनवाई की तारीख आने से पहले ही 11 अगस्त 2023 को गृहमंत्री अमित शाह ने लोकसभा में 163 साल पुराने 3 कानूनों में बदलाव के लिए बिल पेश किया। इसमें राजद्रोह कानून खत्म करना भी शामिल है।
लॉ कमीशन ने कहा- राजद्रोह कानून जरूरी
लॉ कमीशन ने 2 जून को सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपी थी। आयोग का कहना था कि भारतीय दंड संहिता की धारा 124A को IPC में बनाए रखने की आवश्यकता है। इसको हटाने का कोई वैलिड रीजन नहीं है। हालांकि, कानून के उपयोग को लेकर ज्यादा स्पष्टता बनी रहे इसके लिए कुछ संशोधन किए जा सकते हैं।
लॉ कमीशन ने केंद्र सरकार को ये प्रस्ताव 2 जून 2023 को दिए थे।
सुप्रीम कोर्ट ने पिछले साल लगा दी थी रोक
सुप्रीम कोर्ट ने 2022 में एक आदेश दिया है कि जब तक IPC की धारा 124A की री-एग्जामिन प्रोसेस पूरी नहीं हो जाती, तब तक इसके तहत कोई मामला दर्ज नहीं होगा। कोर्ट ने पहले से दर्ज मामलों में भी कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। कोर्ट ने यह भी कहा था कि इस धारा में जेल में बंद आरोपी भी जमानत के लिए अपील कर सकते हैं।
पांच पक्षों ने सुप्रीम कोर्ट में 10 याचिकाएं दाखिल की थीं
एडिटर्स गिल्ड ऑफ इंडिया, TMC सांसद महुआ मोइत्रा समेत पांच पक्षों की तरफ से राजद्रोह कानून को चुनौती देने वाली याचिका दायर की गई थी। मामले में याचिकाकर्ताओं का कहना है कि आज के समय में इस कानून की जरूरत नहीं है।
राजद्रोह नहीं अब देशद्रोह
अंग्रेजों के जमाने के कानून खत्म करने के लिए मानसून सेशन के आखिरी दिन 11 अगस्त को केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने बिल लोकसभा में पेश किया। सबसे बड़ा बदलाव राजद्रोह कानून को लेकर है, जिसे नए स्वरूप में लाया जाएगा।
इस बिल में ब्रिटिश काल के शब्द राजद्रोह को हटाकर देशद्रोह शब्द आएगा। प्रावधान और कड़े हैं। अब धारा 150 के तहत राष्ट्र के खिलाफ कोई भी कृत्य, चाहे बोला हो या लिखा हो या संकेत या तस्वीर या इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से किया हो, तो 7 साल से उम्रकैद तक सजा हो सकती है।
देश की एकता और संप्रभुता को खतरा पहुंचाना अपराध होगा। आतंकवाद शब्द भी परिभाषित। अभी IPC की धारा 124ए में राजद्रोह में 3 साल से उम्रकैद तक होती है।
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राजद्रोह पर क्यों बदला मोदी सरकार का स्टैंड
मोदी सरकार ने अंग्रेजों के बनाए इन 3 मूलभूत कानूनों को खत्म करके 3 नए कानून लाने का प्रस्ताव रखा है। इसमें राजद्रोह कानून का जिक्र भी है। अभी इंडियन पीनल कोड यानी IPC की धारा 124 में है। NCRB के मुताबिक इस कानून के जरिए 2021 में 86 लोगों की गिरफ्तारी हुई थी। गृहमंत्री शाह ने लोकसभा में कहा है कि हम इस कानून को पूरी तरह से खत्म कर रहे हैं। पूरी खबर पढ़ें …
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