केंद्र सरकार द्वारा चावल के एक्सपोर्ट के संबंध में लिए गए फैसले के विरोध में लिया फैसला
एस• के• मित्तल
सफीदों, केंद्र सरकार द्वारा चावल के एक्सपोर्ट के संबंध में लिए गए फैसले के विरोध में राईस मिलर हड़ताल पर चले गए है। उनके हड़ताल पर चले जाने के कारण सफीदों व पिल्लूखेड़ा मंडी में धान की खरीद-फिरोख्त का कार्य सोमवार को ठप्प हो गया। मंगलवार को राईस मिलरों के फैसले के मद्देनजर सफीदों मंडी में हड़ताल रही।
इस हड़ताल के कारण आढ़ती व किसान परेशान काफी निराश दिखाई दिए। बता दें कि केंद्र सरकार द्वारा 1200 डॉलर प्रति टन के हिसाब से धान के निर्यात पर टैक्स लगा दिया है जबकि पहले 850 डॉलर प्रति टन टैक्स लगता था। इसके चलते प्रदेश के मिलर्स ने धान खरीद बंद कर हड़ताल शुरू कर दी है। आढ़तियों का कहना था कि सरकार को अपने फैसले पर गौर करना चाहिए और मिलरों के साथ वार्ता करके मामले को निपटाना चाहिए ताकि धान का सीजन सुचारू रूप से चल सके।
आढ़तियों का कहना था कि लगभग 80 प्रतिशत बासमती धान विदेशों में निर्यात किया जाता है। अगर यह हड़ताल वापिस नहीं ली गई तो इसका व्यापक असर पड़ने वाला है। मंडी अभी से धान से अटी पड़ी है और कुछ दिन यह हड़ताल जारी रही तो मंडी में पांव रखने भर की जगह नहीं रहेगी। आढ़तियों का कहना है कि इस वक्त मंडी में हजारों बोरी धान की पड़ी हुईं हैं और हड़ताल निरंतर बनी रही तो इन बोरियों की तादाद लाखों में पहुंच जाएगी और सीजन को निपटाना कठिन हो जाएगा। फिलहाल उन्होंने किसानों को अपनी धान की फसल मंडी में ना लाने के लिए बोल तो दिया है लेकिन कोई लेकर आता है तो वे उसे रोक नहीं सकते। उधर किसानों का कहना है कि वे अपनी फसल को ज्यादा दिन अपने घर या खेत में नहीं रोक सकते है। क्योंकि उन्हे पैसों की भी जरूरत है और उन्हे खेतों में गेंहू की बिजाई भी करनी है।
उन्होंने सरकार से अनुरोध किया कि वे इस मामले में जल्द से जल्द निपटाकर धान की खरीद शुरू करवाएं। इस मामले में कच्चा आढ़ती संघ के प्रधान कृष्ण गोपाल मित्तल का कहना है कि सरकार ने मौखिक रूप से तो एक्सपोर्टरों को बोल दिया कि वे 850 डॉलर प्रति टन पर एक्सपोर्ट कर सकते हैं लेकिन उसका कोई नोटिफिकेशन जारी नहीं हुआ है। इसके विरोध में धान के खरीददारों ने हड़ताल कर दी है। इस हड़ताल के कारण मंडी में परेशानियां खड़ी हो गई है। अगर यह हड़ताल खत्म नहीं हुई तो ये परेशानियां दिनोदिन बढ़ने वाली हैं। उन्होंने सरकार से मांग की कि इस समस्या का जल्द से जल्द निराकरण किया जाए।