मोदी के गांव में 2800 साल पुरानी बस्ती के सबूत: ASI और IIT की स्टडी में दावा; 7 साल से खुदाई चल रही थी

 

यर तस्वीर ANI ने जारी की है। इसमें 2800 साल पुरानी इंसानी बस्ती के के सबूत दिख सकते हैं।

गुजरात में PM नरेन्‍द्र मोदी के गांव वडनगर में 2800 साल पुरानी इंसानी बस्ती (मानव बसावट) के सबूत मिले हैं। IIT खड़गपुर और ASI के नेतृत्व में यहां पर पिछले 7 सालों से खुदाई चल रही है।

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IIT के प्रोफेसर डॉ. अनिंद्या सरकार ने मंगलवार को ANI को बताया कि वडनगर सबसे पुराना गांव है, जहां 800 BC (ईसा पूर्व) में बनी इंसानी बस्ती के सबूत हैं। उनकी टीम ने 20 मीटर की गहराई तक खुदाई कर कई महत्वपूर्ण सबूत इकट्ठा किए हैं।

प्रोफेसर ने कहा- खुदाई के दौरान हमें बौद्ध मठ मिले। हमारी स्टडी संकेत देती है कि पिछले 3500 साल में देश में अलग-अलग सभ्याताएं थीं, जो सूखा-बाढ़ जैसे जलवायु परिवर्तन से प्रभावित हईं। हमारी स्टडी में 1400 ईसा पूर्व के आसपास की बस्ती के भी संकेत मिल रहे हैं, जो हड़प्पन सभ्यता के आसपास बनी थी।

प्रोफेसर बोले- ये हमारे देश के पिछले 5000 साल के इतिहास के बारे में भी बताता है। इस दौरान हमारी धरती पर अलग-अलग साम्राज्य स्थापित हुए। हमारे आइसोटोप डेटा और कार्बन डेटिंग से पता लगता है कि सेंट्रल एशिया में सूखा पड़ता था। वहीं, हमारे देश में मानसून की स्थिति बनी रहती थी। इसलिए सेंट्रल एशिया से लोग हमारी देश आकर बस गए।

प्रोजेक्ट सुपरवाइजर मुकेश ठाकोर ने कहा- वडनगर में अब तक 30 से ज्यादा साइट पर खुदाई हो चुकी है। यहां से अभी तक एक लाख से ज्यादा अवेशष निकाले जा चुके हैं। बुद्ध, जैन, हिंदू समेत अलग-अलग समुदाय के लोग यहां सद्भाव से रहते थे। यहां तब से काम चल रहा है जब से पीएम मोदी गुजरात के CM थे। इस प्रोजेक्ट पर भारतीय पुरात्तव विभाग, फिजिकल रिसर्च लैबोरेटरी, जवाहरलाल नेहरी यूनिवर्सिटी, डेक्कन कॉलेज और IIT खड़गपुर साथ में काम कर रहे हैं।

हाल ही में मिला था एक बौद्ध भिक्षु का कंकाल

वडनगर में चल रही खुदाई के दौरान करीब 3 साल पहले तीसरी व चौथी सदी के बौद्ध स्तूप के अवशेष और सातवीं-आठवीं सदी का एक मानव कंकाल भी मिला था। यह मानव कंकाल सातवीं-आठवीं सदी का बताया गया। खुदाई के दौरान तीसरी व चौथी सदी के समय का सांकेतिक बौद्ध स्तूप भी मिला था।

करीब 2500-3000 साल पुराना है वडनगर
वडनगर गुजरात का प्राचीन शहर है। इसका इतिहास करीब 2500 से 3000 साल पुराना है। पुरातत्ववेत्ताओं के मुताबिक, यहां हजारों साल पहले खेती होती थी। खुदाई के दौरान यहां से हजारों साल पहले के मिट्टी के बर्तन, गहने और तरह-तरह के औजार-हथियार भी मिल चुके हैं। कई पुरातत्ववेत्ताओं का मानना है कि यह हड़प्पा सभ्यता के पुरातत्व स्थलों में से एक है। हड़प्पा सभ्यता भारत की सबसे प्राचीनतम सभ्यता मानी जाती है।​​​​​​​

 

12वीं सदी के स्मारक भी मौजूद
​​​​​​​वडनगर में मध्यकाल से जुड़े स्मारक भी मौजूद हैं। इनमें सबसे खास है कीर्ति तोरण। इसे सोलंकी राजाओं ने बनवाया था। माना जाता है कि यह किसी जीत की यादगार के तौर पर बनाया गया होगा। शर्मिष्ठा झील के किनारे पर बने इस तोरण में गोल आकार के दो खंभे हैं, जिन पर शिकार और युद्ध के साथ जानवरों की कलाकृतियां बनी हैं। इन पर देवताओं की मूर्तियां भी हैं।

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जैसलमेर शहर में जेठवाई की पहाड़ी। कभी लोग यहां से पत्थर निकालकर मकान बनाते थे। लेकिन जब लोगों को ये पता लगा कि यहां डायनासोर के अवशेष (फॉसिल) मिलते हैं तो हर कोई चौंक गया। एक महीने पहले ही वैज्ञानिकों ने पता लगाया कि दुनिया का सबसे पुराना डायनासोर जैसलमेर में ही रहता था। इस डायनासोर काे ‘थार का डायनासोर’ नाम दिया गया है।

 

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