मिजोरम के मुख्यमंत्री जोरमथंगा ने कहा कि आगामी विधानसभा चुनावों के लिए प्रचार करने जब पीएम मोदी यहां आएंगे तो वे उनके साथ स्टेज शेयर नहीं करेंगे। उन्होंने कहा कि अच्छा यही होगा कि प्रधानमंत्री यहां अकेले आएं और मंच पर अकेले अपनी बात रखें। इसके बाद मैं अलग से मंच पर आऊंगा।
न्यूज एजेंसी PTI के मुताबिक, जोरमथंगा ने कहा कि मिजोरम के लोग क्रिश्चियन हैं। जब मणिपुर में मैतेई लोगों ने सैंकड़ों चर्च जलाए थे, तो मिजोरम के सभी लोगों ने विरोध किया था। इस वक्त में भाजपा के साथ सहानुभूति रखना मेरी पार्टी के लिए बड़ा माइनस पॉइंट होगा।
मिजोरम में 7 नवंबर को विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे। चुनाव से पहले 30 अक्टूबर को पीएम मोदी पश्चिम मिजोरम के मामित गांव में भाजपा कैंडिडेट्स के समर्थन में रैली करने आ सकते हैं।
जोरमथंगा की पार्टी NDA में शामिल, पा मिजोरम में अलग
जोरमथंगा की पार्टी मिजोरम (MNF) भाजपा के नेतृत्व वाली नॉर्थ ईस्ट डेमोक्रेटिक अलायंस (NEDA) और केंद्र में सत्ताधारी NDA में शामिल है। हालांकि, MNF मिजोरम में भाजपा के साथ नहीं जुड़ी है।
CM जोरमथंगा ने कहा कि उनकी पार्टी NDA और NEDA में इसलिए शामिल हुई क्योंकि वह कांग्रेस के सख्त खिलाफ है और कांग्रेस के नेतृत्व वाले किसी गठबंधन का हिस्सा नहीं बनना चाहती है।
हम म्यांमार के लोगों को हथियार नहीं, सिर्फ शरण दे रहे
म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के लोगों को शरण देने के सवाल पर जोरमथंगा ने कहा कि मणिपुर सरकार केंद्र सरकार के कदम पर चल रही है।
उन्होंने कहा कि भारत सरकार ने तब के पूर्व पाकिस्तान (अब बांग्लादेश) के रेफ्यूजियों को शरण दी थी और उन्हें हथियार भी थमाए थे, ताकि आजादी की लड़ाई जीती जा सके। हम म्यांमार के रेफ्यूजियों को हथियार नहीं देते हैं। हम सिर्फ मानवता के नाते उन्हें खाना और रहने की जगह देते हैं।
फिलहाल मिजोरम में म्यांमार, बांग्लादेश और मणिपुर के 40 हजार लोग शरण लिए हुए हैं। जोरमथंगा ने कहा कि ये केंद्र की जिम्मेदारी है कि मणिपुर में शांति बहाल करे ताकि लोग अपने घर वापस जा सके।
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