महुआ मोइत्रा (49) 2019 में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से टीएमसी के टिकट पर लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।
संसद में सवाल के लिए पैसे (Cash For Querry) मामले में फंसीं टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा एक बार फिर एथिक्स कमेटी पर निशाना साधा। उन्होंने ट्वीट कर कहा कि कमेटी की तरफ से पूछे गए सवाल घटिया और अप्रासंगिक थे। इसके मेरे पास रिकॉर्ड हैं। एथिक्स कमेटी के चेयरमैन विनोद सोनकर बेहूदा और बेशर्म हैं।
महुआ ने आगे कहा कि यह जानकर मेरी रूह कांप रही है कि भाजपा मेरे खिलाफ क्रिमनल केस बनाने की प्लानिंग कर रही है। मेरे पास कितने जोड़ी जूते जानने के बजाय सरकार अडाणी पर 13000 करोड़ रुपए के कोयला घोटाले में FIR करे।
दरअसल, मोइत्रा 2 नवंबर को सुबह 10:50 बजे संसद की एथिक्स कमेटी के दफ्तर पहुंची थीं। पूछताछ बीच में ही छोड़कर महुआ करीब पौने 4 घंटे बाद कमेटी के दफ्तर से नाराज होकर बाहर निकलीं। उन्होंने कमेटी के चेयरमैन पर अपमानजनक सवाल करने के आरोप लगाए।
महुआ ने इसको लेकर लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लेटर लिखा है। इसमें महुआ ने ये भी लिखा कि चेयरपर्सन विनोद सोनकर का बर्ताव अनैतिक, घिनौना और पूर्वाग्रह से भरा था।
टीएमसी सांसद ने कहा- जितने बार भी पूछताछ हुई, मैंने हर बार जवाब दिया। लेकिन मुझसे अपमानजनक सवाल किए गए।
निशिकांत बोले- महुआ के आरोप सही निकले तो राजनीति से संन्यास ले लूंगा
महुआ के इन आरोपों पर BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा- एथिक्स कमेटी अध्यक्ष सोनकर ने महुआ से टिकट व होटल का बिल मांगा था। यदि इसके अलावा उन्होंने महुआ के किसी भी पुरुष मित्र या होटल में उसके साथ रुकने का प्रश्न पूछा होगा तो मैं राजनीति से संन्यास ले लूंगा।
निशिकांत दुबे ने ही 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर से महुआ की शिकायत की थी। उन्होंने कहा था कि महुआ मोइत्रा ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे लिए थे। उन्होंने हीरानंदानी को अपना संसद का लॉगिन-पासवर्ड भी दे दिया था। दुबे ने महुआ का लॉगिन दुबई से इस्तेमाल होने का आरोप लगाया था।
महुआ मोइत्रा 2019 में पश्चिम बंगाल के कृष्णानगर से टीएमसी के टिकट पर लोकसभा सांसद चुनी गई थीं।
महुआ के एथिक्स कमेटी पर आरोप के बाद बयान…
- TMC ने एथिक्स कमेटी के चेयरमैन की तुलना धृतराष्ट्र से की। वहीं बाकी सदस्यों को दुर्योधन बताया। मंत्री शशि पांजा ने कहा- पैनल ने एक निर्वाचित महिला सांसद के खिलाफ सुनवाई के दौरान उनका अपमान किया। जब पैनल के सदस्य दुर्योधन की तरह आनंद ले रहे थे, तो अध्यक्ष धृतराष्ट्र की तरह बैठे थे।
- कांग्रेस के सांसद उत्तम रेड्डी ने कहा कि महुआ मोइत्रा को निशाना बनाया जा रहा है। मैंने महुआ मोइत्रा से कोई असंसदीय भाषा नहीं सुनी है। निशिकांत दुबे को भाजपा, महुआ पर निशाना साधने के लिए प्वाइंट मैन के तौर पर इस्तेमाल कर रही है।
एथिक्स कमेटी में पूछताछ, बायकॉट और उसके बाद महुआ के बयान…
1. कमेटी का नाम बदल देना चाहिए, क्योंकि इसमें नैतिकता नहीं बची: महुआ ने कहा- समिति को एथिक्स कमेटी (आचार समिति) के बजाय कोई अन्य नाम देना चाहिए, क्योंकि इसमें कोई नैतिकता नहीं बची है।चेयरपर्सन ने दुर्भावनापूर्ण और अपमानजनक तरीके से सवाल किए। वहां मौजूद 11 में से 5 सदस्यों ने पूछताछ का बहिष्कार किया।
2. महुआ ने लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को लेटर लिखा: इस चिट्ठी में चेयरपर्सन विनोद सोनकर का बर्ताव अनैतिक, घिनौना और पूर्वाग्रह से भरा बताया। महुआ ने ये अनुरोध भी किया कि पोर्टल के लॉगिन और पासवर्ड को साझा करने वाले नियमों का खुलासा करें। ये कभी सांसदों को क्यों नहीं बताए जाते। यदि वे (नियम) थे तो हरेक सांसद इस ID और लॉगिन को कई लोगों के साथ साझा क्यों कर रहा है?
3. मेरी गरिमा को तार-तार करने वाले प्रश्न पूछे : मैंने बार-बार विरोध जताया, ये कार्यवाही के रिकॉर्ड में है। एथिक्स कमेटी के अध्यक्ष मुझसे मुद्दे से संबंधित प्रासंगिक कोई भी सवाल जैसे लॉगिन, गिफ्ट लेने के आरोप…लेकिन इन पर कोई प्रश्न नहीं हुआ। एक महिला के रूप में मेरी गरिमा को तार-तार करने वाले व्यक्तिगत सवाल पूछे गए।
4. ‘चेयरमैन पूछते हैं- रात में किससे बात करती हैं’ : महुआ मोइत्रा, दानिश अली और अन्य विपक्षी सांसद भड़कते हुए गुरुवार दोपहर 3:35 बजे एथिक्स कमेटी के दफ्तर से बाहर निकले। जब इनसे गुस्से का कारण पूछा गया तो दानिश अली बोले- चेयरमैन पूछ रहे हैं कि रात में किससे बात करती हैं, क्या बात करती हैं। ये कैसी एथिक्स कमेटी है, जो अनैतिक सवाल पूछ रही है।
महुआ गुरुवार 2 नवंबर को 10:15 बजे दिल्ली स्थित आवास से संसद के लिए रवाना हुई थीं।
पूछताछ के बायकॉट पर एथिक्स कमेटी ने क्या बोला
- विपक्षी सदस्यों के बहिष्कार पर एथिक्स कमेटी प्रमुख विनोद सोनकर ने कहा- संसद सदस्यों ने पैनल की कार्यप्रणाली और मेरे खिलाफ आपत्तिजनक शब्दों का इस्तेमाल किया।
- BJP सांसद निशिकांत दुबे ने कहा- दर्शन हीरानंदानी के हलफनामे में किए गए दावों पर लोकसभा की एथिक्स कमेटी महुआ मोइत्रा से सवाल करने के लिए बाध्य है।
- एथिक्स पैनल की सदस्य अपराजिता सारंगी बोलीं- जब दर्शन के हलफनामे के बारे में पूछा गया तो TMC सांसद महुआ ने गुस्से में और अहंकारपूर्ण व्यवहार किया।
क्या है पूरा मामला
भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने महुआ पर आरोप लगाए थे कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए बिजनेसमैन दर्शन हीरानंदानी से पैसे और तोहफे लिए थे। इस मामले को स्पीकर ने एथिक्स कमेटी को भेज दिया।
निशिकांत ने 21 अक्टूबर को महुआ पर एक और गंभीर आरोप लगाया। निशिकांत ने सोशल मीडिया पर अपनी पोस्ट में लिखा- कुछ पैसों के लिए एक सांसद ने देश की सुरक्षा को गिरवी रख दिया। मैंने इसे लेकर लोकपाल से शिकायत की है।
उन्होंने कहा कि दुबई से संसद की ID खोली गई, जबकि उस वक्त वो कथित सांसद भारत में ही थीं। इस नेशनल इन्फॉर्मेटिक्स सेंटर (NIC) पर पूरी भारत सरकार है। देश के प्रधानमंत्री, वित्त विभाग, केंद्रीय एजेंसी यहां हैं। क्या अब भी TMC व विपक्षी दलों को राजनीति करनी है। निर्णय जनता का है। NIC ने यह जानकारी जांच एजेंसी को दे दी है।
एथिक्स कमेटी ने 27 अक्टूबर को महुआ को समन भेजा और 31 अक्टूबर को सुबह 11 बजे कमेटी के सामने पेश होने का निर्देश दिया था। महुआ ने इसी दिन एथिक्स कमेटी को लिखा था कि वे 5 नवंबर के बाद ही मौजूद हो पाएंगी। 28 अक्टूबर को एथिक्स कमेटी ने महुआ को 2 नवंबर को पेश होने को कहा।
केस से जुड़े 4 किरदार…
1. महुआ मोइत्राः अमेरिका में पढ़ीं, लंदन में नौकरी और बंगाल में राजनीति
इस केस की मुख्य पात्र महुआ मोइत्रा हैं, जिन पर सारे आरोप हैं। TMC सांसद महुआ मोइत्रा मूलत: बैंकर हैं। बेसिक एजुकेशन के बाद मोइत्रा हायर एजुकेशन के लिए अमेरिका गईं। बाद में उनकी नौकरी लंदन के एक प्रतिष्ठित बैंक में लगी।
कुछ सालों में उनका नौकरी से मोह भंग हुआ और वे राजनीति में कूदीं। उन्होंने 2016 में पहला चुनाव पश्चिम बंगाल के करीम नगर विधानसभा से जीता था। 2019 में वे TMC के टिकट पर कृष्णानगर से लोकसभा चुनाव लड़ी और जीतीं।
2. निशिकांत दुबेः राजनीति में आने से पहले कॉर्पोरेट वर्ल्ड में थे
इस कहानी में दूसरा अहम किरदार भाजपा सांसद निशिकांत दुबे का है। 15 अक्टूबर को लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला को चिट्ठी लिखी थी। इसमें उन्होंने महुआ पर आरोप लगाए थे कि महुआ ने संसद में सवाल पूछने के लिए पैसे और तोहफे लिए थे।
गोड्डा झारखंड से भाजपा सांसद निशिकांत दुबे ने 2009 में राजनीति में कदम रखा था। इससे पहले वे एस्सार ग्रुप में कॉर्पोरेट हेड थे। उन्होंने 2009 में गोड्डा से पहला चुनाव जीता था। इसके बाद 2014 और 2019 में भी जीत हासिल की।
3. दर्शन हीरानंदानी: रियल एस्टेट कंपनी हीरानंदानी ग्रुप के CEO, अडाणी ग्रुप के कॉम्पिटिटर
42 वर्षीय दर्शन हीरानंदानी ने एक लेटर लिखकर महुआ पर और आरोप मढ़े हैं। दर्शन मुंबई बेस्ड रियल एस्टेट और इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी हीरानंदानी ग्रुप के CEO हैं। उनके पिता रियल एस्टेट टाइकून निरंजन हीरानंदानी हैं।
दर्शन डेटा सेंटर, क्लाउड कम्प्यूटिंग, तेल और गैस, लॉजिस्टिक, वेयरहाउस जैसी कई कंपनियों के प्रेसिडेंट हैं, जो हीरानंदानी ग्रुप के अंडर में हैं। दर्शन ने न्यूयॉर्क के रोचेस्टर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी से MBA और BSc की डिग्री ली है। हीरानंदानी ग्रुप अडाणी ग्रुप का कॉम्पिटिटर है।
4. जय अनंत देहाद्राई: महुआ पर आरोप लगाने वाले सुप्रीम कोर्ट के वकील
जय अनंत देहाद्राई सुप्रीम कोर्ट में वकील हैं। रिपोर्ट्स के मुताबिक जय अनंत देहाद्राई और महुआ मोइत्रा दोनों पहले दोस्त थे, बाद में दोनों में झगड़ा हो गया। मोइत्रा ने पिछले छह महीनों में आपराधिक अतिक्रमण, चोरी, अश्लील संदेश और दुर्व्यवहार के लिए देहाद्राई के खिलाफ पुलिस में शिकायत की थी। दूसरी ओर, अनंत ने CBI में मोइत्रा के खिलाफ सबूत देकर शिकायत दर्ज कराई है। इसके बाद यही सबूत BJP सांसद निशिकांत दुबे के माध्यम से पेश कर संसद में शिकायत दर्ज कराई गई है।
महुआ मोइत्रा के संसद में 62 सवाल, 9 अडाणी से जुड़े
2019 में सांसद बनने के बाद से महुआ मोइत्रा ने पार्लियामेंट में 28 केंद्रीय मंत्रालयों से जुड़े 62 सवाल पूछे हैं। इनमें पेट्रोलियम से लेकर कृषि, शिपिंग, नागरिक उड्डयन, रेलवे आदि शामिल हैं।
sansad.in की वेबसाइट के मुताबिक, 62 सवालों में से सबसे ज्यादा 9 सवाल पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के लिए थे, उसके बाद वित्त के लिए आठ सवाल थे।
कुल 62 में से 9 सवाल अडाणी समूह से संबंधित थे। इनमें से छह सवाल पेट्रोलियम मंत्रालय के लिए और एक-एक सवाल वित्त, नागरिक उड्डयन और कोयला मंत्रालयों के लिए था।
आरोप सही साबित हुए तो महुआ को सजा क्या मिलेगी
जिस भी सांसद पर ऐसे आरोप लगते हैं उन्हें अपना पक्ष रखने का मौका दिया जाता है। कमेटी जांच करेगी कि क्या ये किसी खास के हित में या उसके बिजनेस को लाभ पहुंचाने के लिए पूछे गए हैं। पूरी जांच कर एथिक्स कमेटी अपनी रिपोर्ट लोकसभा अध्यक्ष को देगी।
अगर इसमें किसी भी तरह की सजा की सिफारिश की जाती है तो संसद में रिपोर्ट रखे जाने के बाद सहमति के आधार पर उस सांसद के खिलाफ एक्शन लिया जा सकता है। वहीं स्पीकर को भी ये अधिकार है कि वो सेशन नहीं चल रहा हो तो कार्रवाई को लेकर फैसला ले सकते हैं।
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