एस• के• मित्तल
सफीदों, उपमंडल के गांव मुआना की मदनमोहन तीर्थ गौशाला में सोसाइटी फॉर कल्चर एण्ड सोशल एपलिफ्टिमैंट के तत्वावधान में खांडेराव परी सांग का मंचन किया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष अमरपाल राणा व समाजसेवी अजीत सिंह ने शिरकत की। इस मौके पर गांव के सरपंच श्याम लाल, पूर्व सरपंच राजेंद्र शर्मा, गौशाला के प्रधान राजा राम व गौशाला के कोषाध्यक्ष शिवचरण विशेष रूप से मौजूद थे।
सफीदों, उपमंडल के गांव मुआना की मदनमोहन तीर्थ गौशाला में सोसाइटी फॉर कल्चर एण्ड सोशल एपलिफ्टिमैंट के तत्वावधान में खांडेराव परी सांग का मंचन किया। कार्यक्रम में बतौर अतिथि पूर्व भाजपा जिलाध्यक्ष अमरपाल राणा व समाजसेवी अजीत सिंह ने शिरकत की। इस मौके पर गांव के सरपंच श्याम लाल, पूर्व सरपंच राजेंद्र शर्मा, गौशाला के प्रधान राजा राम व गौशाला के कोषाध्यक्ष शिवचरण विशेष रूप से मौजूद थे।
संस्था के सचिव आनंदप्रकाश ने आए हुए अतिथियों का अभिनंदन किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलित करके किया गया। इस हरियाणवी सांग में सांगी धन सिंह चौहान की टीम ने अपनी कला के माध्यम से सभी का मन मोह लिया। कलाकारों ने सांग के माध्यम से दर्शाया कि हंसों के जोड़े को 12 साल का बनवास मिल जाता है और वे 12 साल वीर विक्रमाजीत के राज में काटते हैं। जब वे वापस अपने वतन को जाते हैं तो इंद्रपुरी में इंद्र उन से उनकी हंसिनी रख लेते हैं। वह चेतावनी देते हैं कि राजा विक्रमजीत अगर दूसरों का दुख दर्द के बदले अपनी जान कुर्बान करने वाला है तो आए और हंसिनी छुड़ाकर ले जाए। वो हंस वापिस राजा विक्रमाजजीत के पास आकर सब हाल बताते हैं और विनती करते हैं। आप इंद्र भगवान से हमारी हंसनी को छुटवा कर लाओ।
यह बात सुनकर वीर विक्रमाजीत राजपाट छोड़कर उन हंसों को अपने राज्य में ठहराकर उनकी हंसनी को छुटवाने चल पड़ते हैं। अनेक उतार-चढ़ाव के बाद राजा वीर विक्रमाजीत एक तबला वादक बनकर इंद्र की सभा में जाता है और तबला बजाता है। राजा वीर विक्रमाजीत का तबला सुनकर इंद्र महाराज खुश होते हैं। उसके बाद राजा वीर विक्रमाजीत अपना परिचय देते हैं। वह कहते हैं भगवान मैं आपका ही पोता हूं, आपके पुत्र गंधर्व सेन का लड़का एक तो आप उन हंसों की हंसनी को मुक्त करें। एक खांडे राव परी आपकी सभा में नाच गाना करती हैं उसको भी मुक्त करें वो आपके पोते की बहु है। इस प्रकार राजा विक्रमाजीत उन दोनों को इंद्र भगवान की कैद से छुटवा देते हैं। कार्यक्रम के समापन पर अतिथियों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया।