मणिपुर के मुख्यमंत्री एन. बीरेन सिंह ने लिलोंग में हुई घटना में मृत व्यक्तियों के परिवारों से मुलाकात की।
मणिपुर सरकार ने थाउबल जिले के लिलोंग चिंगजाओ इलाके में एक जनवरी को हुई गोलीबारी की घटना की जांच के लिए स्पेशल इन्वेस्टिगेशन टीम (SIT) का गठन किया है।
इस घटना में मरने वालों की संख्या बढ़कर 5 हो गई है। राज्य सरकार ने येरीपोक के एसडीपीओ मोहम्मद रियाजुद्दीन शाह की अध्यक्षता में 6 सदस्यीय SIT के गठन की घोषणा की है।
मुख्यमंत्री एन. वीरेन सिंह ने मृतकों के परिजनों को 10-10 लाख रुपए और गंभीर रूप से घायलों को 5-5 लाख रुपए देने का वादा किया है।
साथ ही मामूली रूप से घायलों को एक-एक लाख रुपए की सहायता राशि देने की बात कही है। इसके अलावा CM ने लोगों ने शांति बनाए रखने की अपील की है।
थौबल के लेंगोल में हुई हिंसा के घायलों से भी मणिपुर सीएम ने 2 जनवरी को मुलाकात की।
मणिपुर में नए साल के पहले दिन हुई थी हिंसा
मणिपुर में थौबल के लेंगोल पहाड़ी इलाके में 1 जनवरी को 5 लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई। 11 लोग घायल हुए। स्थानीय लोगों ने हमलावरों की तीन गाड़ियों को भी आग के हवाले कर दिया।
अधिकारियों ने बताया कि हमलावर लिलोंग चिंगजाओ इलाके में नशीली दवाओं के व्यापार से इकट्ठा हुए धन की वसूली करने आए थे, जिसके बाद विवाद शुरू हुआ। स्थानीय लोगों ने हमलावरों को खदेड़ा, लेकिन बदमाशों ने भागते समय फायरिंग कर दी।
आरोपियों की पहचान अभी नहीं हो सकी है। जान गंवाने वालों में मोहम्मद दौलत (30), एम सिराजुद्दीन (50), मोहम्मद आजाद खान (40) और मोहम्मद हुसैन (22) और मोहम्मद अब्दुर रजाक शामिल हैं। सभी पंगाल (मुस्लिम) बताए गए हैं।
घायलों का अस्पताल में इलाज चल रहा है, जिनमें से कुछ की हालत गंभीर है। घटना के बाद इलाके में तनाव है। प्रशासन का दावा है कि हिंसा पर काबू पा लिया गया है। हालांकि, इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थौबल, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में फिर से कर्फ्यू लगा दिया गया है।
घटना के बाद आक्रोशित स्थानीय लोगों ने तीन गाड़ियों को आग के हवाले कर दिया था।
CM बीरेन ने शांति बनाए रखने की अपील की
CM एन बीरेन सिंह ने एक वीडियो संदेश में हिंसा की निंदा की और लोगों से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने सभी मंत्रियों और सत्ता पक्ष के विधायकों की आपात बैठक भी बुलाई है। उन्होंने कहा कि अगर कोई या कोई समूह कानून को अपने हाथ में लेता रहेगा तो सरकार के लिए इसे बर्दाश्त करना वाकई मुश्किल होगा। केंद्र सरकार देखती नहीं रहेगी। अगर AFSPA फिर से लगाया जाता है, तो हिंसा में शामिल लोग ही जिम्मेदार होंगे।
मणिपुर 2023 में काफी सुर्खियों में रहा। यहां पिछले साल 3 मई से हिंसा हो रही है। यहां जातीय संघर्ष में 180 से अधिक लोगों की मौतें हुईं। करीब 60 हजार लोग बेघर हो गए।
31 दिसंबर को हुई थी क्रॉस फायरिंग
मणिपुर के मोरेह में 31 दिसंबर को उस समय तनाव फैल गया था जब विद्रोहियों और सुरक्षा बलों की क्रॉस फायरिंग में कुछ नागरिक घायल हो गए थे। घायलों का इलाज सुरक्षा बल के जवानों ने किया। रविवार को ही मैतेई और कुकी क्षेत्रों से कौट्रुक और कदंगबल क्षेत्रों में भी क्रॉस फायरिंग की खबरें सामने आई थीं।
31 दिसंबर को क्रॉस फायरिंग में घायल हुए लोगों को सुरक्षा बल के जवानों ने ही फर्स्ट एड दिया।
30 दिसंबर की रात विद्रोहियों ने कमांडो कॉम्प्लेक्स पर हमला किया
मणिपुर में 30 दिसंबर की रात करीब 11.30 बजे कुकी विद्रोहियों ने कमांडो कॉम्प्लेक्स पर हमला किया था, जिसमें चार जवान घायल हो गए। विद्रोहियों ने RPG (रॉकेट प्रोपेल्ड ग्रेनेड) का इस्तेमाल भी किया। घटना के बाद सुरक्षा बलों ने जवाबी फायरिंग की। इसमें मोरेह पुलिस कॉम्प्लेक्स के फर्नीचर, दरवाजे और कुछ सामान को नुकसान पहुंचा।
30 दिसंबर कोहुई क्रॉस फायरिंग में घायल जवान, इनका इलाज चल रहा है।
30 दिसंबर को ही दोपहर 3.30 बजे टेंग्नौपाल में विद्रोहियों ने पुलिस वाहन पर IED से हमला किया था। इसमें 4 पुलिसकर्मी गंभीर रूप से घायल हो गए थे। फिलहाल उनका इलाज 5 असम राइफल्स कैंप में चल रहा है। उपद्रवियों ने पुलिस को उस समय निशाना बनाया, जब वे मोरेह से की लोकेशन पॉइंट (KLP) की ओर बढ़ रहे थे। घटना के बाद से इलाके में तनाव है।
4 पॉइंट्स में जानिए- क्या है मणिपुर हिंसा की वजह…
मणिपुर की आबादी करीब 38 लाख है। यहां तीन प्रमुख समुदाय हैं- मैतेई, नगा और कुकी। मैतई ज्यादातर हिंदू हैं। नगा-कुकी ईसाई धर्म को मानते हैं। ST वर्ग में आते हैं। इनकी आबादी करीब 50% है। राज्य के करीब 10% इलाके में फैली इंफाल घाटी मैतेई समुदाय बहुल ही है। नगा-कुकी की आबादी करीब 34 प्रतिशत है। ये लोग राज्य के करीब 90% इलाके में रहते हैं।
कैसे शुरू हुआ विवाद: मैतेई समुदाय की मांग है कि उन्हें भी जनजाति का दर्जा दिया जाए। समुदाय ने इसके लिए मणिपुर हाईकोर्ट में याचिका लगाई। समुदाय की दलील थी कि 1949 में मणिपुर का भारत में विलय हुआ था। उससे पहले उन्हें जनजाति का ही दर्जा मिला हुआ था। इसके बाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से सिफारिश की कि मैतेई को अनुसूचित जनजाति (ST) में शामिल किया जाए।
मैतेई का तर्क क्या है: मैतेई जनजाति वाले मानते हैं कि सालों पहले उनके राजाओं ने म्यांमार से कुकी काे युद्ध लड़ने के लिए बुलाया था। उसके बाद ये स्थायी निवासी हो गए। इन लोगों ने रोजगार के लिए जंगल काटे और अफीम की खेती करने लगे। इससे मणिपुर ड्रग तस्करी का ट्राएंगल बन गया है। यह सब खुलेआम हो रहा है। इन्होंने नागा लोगों से लड़ने के लिए आर्म्स ग्रुप बनाया।
नगा-कुकी विरोध में क्यों हैं: बाकी दोनों जनजाति मैतेई समुदाय को आरक्षण देने के विरोध में हैं। इनका कहना है कि राज्य की 60 में से 40 विधानसभा सीट पहले से मैतेई बहुल इंफाल घाटी में हैं। ऐसे में ST वर्ग में मैतेई को आरक्षण मिलने से उनके अधिकारों का बंटवारा होगा।
सियासी समीकरण क्या हैं: मणिपुर के 60 विधायकों में से 40 विधायक मैतेई और 20 विधायक नगा-कुकी जनजाति से हैं। अब तक 12 CM में से दो ही जनजाति से रहे हैं।