चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा- ‘आपको कुछ भी बनाना है वो मिट्टी का बनाएं। सिर्फ मिट्टी की ही मूर्ति बनाने की इजाजत है।
सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार 18 सितंबर को प्लास्टर ऑफ पेरिस (POP) से बनी गणेश मूर्तियों पर रोक के खिलाफ दायर याचिका पर सुनवाई की। कोर्ट ने मद्रास हाईकोर्ट के फैसले पर दखल देने से इनकार कर दिया।
चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़, जस्टिस जेबी पारदीवाला और जस्टिस मनोज मिश्रा की बेंच ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा- ‘आपको कुछ भी बनाना है वो मिट्टी का बनाएं। सिर्फ मिट्टी की ही मूर्ति बनाने की इजाजत है। हम हाईकोर्ट के आदेश में कोई बदलाव नहीं करेंगे।’
दरअसल, मद्रास हाईकोर्ट ने रविवार 17 सितंबर को POP से तैयार गणेश मूर्तियों के निर्माण और बिक्री पर प्रतिबंध लगाया था। हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच ने विशेष सुनवाई में सिंगल जज के उस आदेश को पलट दिया था, जिसमें गणेश चतुर्थी पर प्लास्टर ऑफ पेरिस से बनी मूर्तियों को बनाने और बेचने की इजाजत दी गई थी।
पुलिस ने मूर्तिकार को गणेश मूर्ति बेचने से रोका था
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, यह मामला तब शुरू हुआ जब तमिलनाडु में मदुरई के रहने वाले एक कारीगर को पुलिस ने POP से बनी मूर्तियां बेचने से रोका। 16 सितंबर को कारीगर ने इसके खिलाफ सिंगल बेंच वाली कोर्ट में याचिका दाखिल की।
मामले की सुनवाई करते हुए जस्टिस जीआर स्वामीनाथन ने कहा POP से बनी गणेश मूर्तियों की बिक्री को प्रतिबंधित नहीं किया जा सकता है, लेकिन उनके विसर्जन की जगहों को लिमिटेड किया जा सकता है।
कारीगरों को एक रजिस्टर मेनटेन करना होगा
जस्टिस स्वामीनाथन ने आगे कहा- इसके लिए कारीगरों को एक रजिस्टर मेंटेन करना होगा। उसमें वे ऐसी मूर्तियों के खरीदार की जानकारी लिखेंगे। इसका अधिकारियों द्वारा निरीक्षण किया जा सकता है।
इस आदेश पर रोक की मांग को लेकर तमिलनाडु सरकार हाईकोर्ट पहुंची। 17 सितंबर को जस्टिस एसएस सुंदर और जस्टिस भरत चक्रवर्ती की डिवीजन बेंच ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने सिंगल बेंच वाले कोर्ट के आदेश पर रोक लगा दी।
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