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एस• के• मित्तल
सफीदों, बेहतरीन जीवन जीने के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना बेहद जरूरी है और यह तब होगा जब हमारा भोजन संयमित व सात्विक होगा। उक्त उद्गार संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल जी महाराज के सुशिष्य एवं युवा प्रेरक अरूण मुनि जी महाराज ने नगर की जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए प्रकट किए।
सफीदों, बेहतरीन जीवन जीने के लिए उत्तम स्वास्थ्य का होना बेहद जरूरी है और यह तब होगा जब हमारा भोजन संयमित व सात्विक होगा। उक्त उद्गार संघशास्ता गुरुदेव सुदर्शन लाल जी महाराज के सुशिष्य एवं युवा प्रेरक अरूण मुनि जी महाराज ने नगर की जैन स्थानक में धर्म सभा को संबोधित करते हुए प्रकट किए।
उन्होंने कहा कि आज इंसान जीवन में सबकुछ प्राप्त करने के लिए दिन-रात भागदौड़ कर रहा है लेकिन उसे अपने स्वास्थ्य की कतई चिंता नहीं है। अपनी महत्वाकांक्षाओं को पूरा करने के लिए व्यक्ति अपने स्वास्थ्य से समझौता करके बहुत बड़ी कीमत चुका रहा है। सफलता हासिल करने की इस भागमभाग के बीच बदलती जीवन शैली व खानपान ने इंसान ने अपने आप को बीमारियों का घर बना लिया है। स्वस्थ शरीर ही सभी सुखों का मूल है। अरूण मुनि ने कहा कि हमारे ऋषि-मुनि कह गए हैं कि पहला सुख निरोगी काया। यदि शरीर स्वस्थ और सेहतमंद है तभी तो आप जीवन का आनंद ले सकेंगे।
घुमना-फिरना, हंसी-मजाक, पूजा-प्रार्थना, मनोरंजन आदि सभी कार्य अच्छी सेहत वाला व्यक्ति ही कर सकता है। अच्छे जीवन के लिए उत्तम भोजन खाना व दुर्यव्यसनों से दूर रहना बेहद जरूरी है। आहार के साथ उपवास भी जरूरी है। अगर व्यक्ति उपवास नहीं कर सकता है कि तो वह कम से कम सूर्य छिपने से पहले भोजन करने का नियम तो ले ही सकता है। अगर मनुष्य सूर्य छिपने से पहले-पहले भोजन करने का नियम बना ले तो वह अनेकों प्रकार की व्याधियों से मुक्त हो सकता है। उन्होंने लोगों से आह्वान किया कि वे जीवन शैली में संयमित आहार को शामिल करें। घर में बने खाने को प्रधानता देकर बाहर के खाने से बचे। घर की थाली में जो सामने आ गया उसे भगवान का प्रसाद समझकर ग्रहण करें और उसमें कोई कमी ना निकाले। एक बात को ओर ध्यान रखें कि भ्भोजन करते वक्त थाली में झूठा ना छोड़े। भोजना को झूठा छोडऩा भी महापाप की श्रेणी में आता है।
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