माता-पिता औलाद का पालन-पोषण यह सोच लिए करते हैं कि वह उनके बुढ़ापे का सहारा बनेगा, लेकिन जब वह औलाद ही अपना हाथ खींच ले तो मां-बाप के बुढ़ापे की लाठी टूट जाती है। सिरमौर के पांवटा साहिब में एक बेटे ने अमानवीयता की सारी हदें पार कर दी हैं। बूढ़े पिता की सरकारी अस्पताल के बेड पर बेटे के इंतजार में एक-एक सांस टूटती रही, लेकिन उसने जन्मदाता की सुध तक नहीं ली। मौत के बाद पिता का शव इस इंतजार में स्ट्रेचर पर धूल फांक रहा है कि शायद अब बेटे का मन पसीज जाएगा और वह उसे मुखाग्नि दे देगा।
बता दें कि सहायता संकल्प सोसाइटी द्वारा 27 जुलाई को बेसहारा घूम रहे मुख्तयार सिंह को सिविल अस्पताल में भर्ती कराया गया था। सोसाइटी ने फेसबुक के माध्यम से बेटे का पता लगाया। वह वार्ड नंबर-8 गांव बंबन माजरा, तहसील नारायणगढ़ जिला अंबाला, हरियाणा में रहता है। संस्था संचालक पवन बोहरा ने बताया कि बेटे को जब बुजुर्ग की तबीयत खराब होने के बारे में बताया गया तो उसने टाइम न होने की बात कहकर आने से मना कर दिया।
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सोमवार को मुख्तयार ने बेटे के इंतजार में दम तोड़ दिया, लेकिन उनके बुढ़ापे के सहारे ने सुध नहीं ली। मौत के बाद संस्था ने उसके बेटे को फोन कर जानकारी दे दी है। उम्मीद है कि वह जन्मदाता के अंतिम दर्शन के लिए पहुंच जाएगा। सिविल अस्पताल प्रभारी डॉक्टर अमिताभ जैन ने कहा कि समाजसेवी ने मुख्तयार सिंह को दाखिल कराया था। बुजुर्ग का निधन हो गया है, अगर परिजन नहीं आते तो पुलिस के माध्यम से सोसाइटी को शव सौंप दिया जाएगा।
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