पर्युषण महापर्व के आगमन से मानव की सुप्त शक्तियां जागृत होती हैं: मुनि नवीन चन्द्र कहा: प्रयूषण में मनुष्य की शरीरिक, मानसिक व आध्यात्मिक प्रगति होती है

एस• के• मित्तल   
सफीदों,    नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि पर्यूषण पर्व संयम, आध्यात्मिकता और स्वच्छता के महत्व को प्रतिपादित करता है। यह पर्व जैन धर्म का प्रतिमान है और धार्मिकता को एक आदर्श रूप का कार्य करता है। प्रयूषण पर्व मनुष्य के शरीर, मन, और आत्मा को शुद्ध करने का एक माध्यम है।
प्रयूषण में मनुष्य शरीरिक और मानसिक संयम प्राप्त करने के साथ-साथ आध्यात्मिक साधना में भी प्रगति करता है। प्रयूषण पर्व दान और सेवा के माध्यम से उदारता को प्रकट करता है। उन्होंने फरमाया कि प्रयूषण के पदार्पण से शुभ भावों का हमारे मन में संचार होता है। अनंत काल के भूलों को सुधारने, गुणों की वृद्धि करने और बुराई को समाप्त करने के लिए यह मंगल पवित्र पर्व अपने आंगन में आया है। जिस प्रकार पूनम और अमावस्या के दिन दरिया में जोरो से ज्वार आता है, ठीक उसी प्रकार प्रयूषण के दिनों में तप व त्याग में अधिक उत्साह आता है।
उन्होंने प्रयूषण पर्व की महिमा बताते हुए कहा है, जैसे मंत्रों में परमेष्टी मंत्र, दान में अभयदान, व्रत में ब्रम्हचर्य, गुण में विनय श्रेष्ठ है, वैसे ही सभी पर्वों में पर्युषण सब से श्रेष्ठ है। पर्युषण सब पर्वों का राजा है। पर्युषण महापर्व एक ऐसा पावनकारी पर्व है, जिसके आगमन से मानव की सुप्त शक्तियां जागृत बन जाती है। वर्षभर कुछ भी नहीं करने वाले भी इस पर्व की प्रेरणा से पावनकारी बनते हैं। हर श्रावक का घर इस पर्व के पदार्पण से नवपल्लवित हो उठता है। इस पर्व की सुंदरतम किरणें आत्मा के अज्ञान के अंधकार को दूर करके ज्ञान का उजाला हमारे जीवन में फैलाती है। विनय बिना विद्या और सुगंध बिना पुष्प की शोभा नहीं होती, वैसे ही पर्युषण पर्व की सुंदरतम साधना व आराधना उल्लास के बिना नहीं होती। पाप की पूंजी को नष्ट करने के लिए इस पर्व की हमें आराधना करनी चाहिए।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!