हरियाणा में किसानों को फसल अवशेष प्रबंधन से दोहरा फायदा होगा। फसल अवशेष (पराली) का प्रबंधन करके जमीन की गुणवत्ता को सुधारा जा सकता है। वहीं पराली जलाने से रोकने के लिए सरकार द्वारा प्रोत्साहन राशि दी जा रही है।
DC यशपाल ने बताया कि कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा रिवर्सिबल प्लो, रोटावेटर, हैप्पी सीडर, सुपर सीडर, हैरो तथा जीरो टिलेज मशीनों का प्रयोग करके फसल अवशेषों (पराली) को खेत की मिट्टी में मिलाकर उचित प्रबंधन करने वाले किसानों को एक हजार रुपए प्रति एकड़ की दर से प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।
उन्होंने बताया कि यह प्रोत्साहन राशि स्ट्रॉ बेलर मशीन से पराली की गांठ बनवाकर फैक्ट्री में बेचने, गोशाला (गोशाला आयोग से रजिस्टर्ड) में देने या पंचायती जमीन पर संग्रह करने वाले किसानों को भी दी जाएगी। इसके लिए किसान को विभाग के पोर्टल agriharyana.gov.in पर पंजीकरण करवाना अनिवार्य होगा। उसके लिए मेरी फसल-मेरा ब्यौरा होना अनिवार्य है। पंजीकरण करवाने के बाद कृषि विभाग में आवेदन देना होगा।
प्रोत्साहन राशि के लिए फसल अवशेष बंडल को फैक्ट्री में बेचने का बिल, गोशाला में बेचने का प्रमाण पत्र, ग्राम पंचायत जमीन में स्टोर करने का प्रमाण देना होगा। जिला के अधिकारियों तथा ग्राम स्तरीय कमेटी द्वारा कार्य का भौतिक सत्यापन करके प्रोत्साहन राशि दी जाएगी। DC यशपाल ने किसानों का आह्वान किया कि वे कृषि एवं किसान कल्याण विभाग द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठाएं तथा भूमि की उर्वरा शक्ति बढ़ाने एवं पर्यावरण बचाने में अपना योगदान दें।
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के उप निदेशक डॉ. महावीर सिंह ने बताया कि जिला के किसान पराली का उचित प्रबंध करके अपनी आय बढ़ाने क साथ खेत की मिट्टी में मिलाकर मिट्टी के पोषक तत्वों को बढ़ा सकते हैं। किसान रसायन खाद की खरीद पर किए जाने वाले खर्च को कम कर सकते हैं। गोशाला आयोग से पंजीकृत गोशाला में पराली देने के लिए यातायात किराए के लिए 500 रुपए प्रति एकड़ तथा अधिकतम 15 हजार रुपए तक प्रोत्साहन राशि मिलेगी।