नागक्षेत्र में स्नान करने से मिलता है अश्वमेध यज्ञ के समान फल: संजीव गौत्तम
एस• के• मित्तल
सफीदों, नगर के ऐतिहासिक एवं महाभारतकालीन पवित्र तीर्थ श्री नागक्षेत्र पर सोमवार को लगभग 30 साल बाद आई सोमवार की नागपंचमी के उपलक्ष्य में सर्पदोष, कालसर्प दोष, राहु दोष एवं अन्य सभी प्रकार के जन्मकुण्डली के दोषों को दूर करके शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानियों के निवारण के लिए भगवान शिव का पूजन व रूद्राभिषेक एवं हवन का आयोजन किया गया। इस अनुष्ठान में उत्तर भारत से आए सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सफीदों, नगर के ऐतिहासिक एवं महाभारतकालीन पवित्र तीर्थ श्री नागक्षेत्र पर सोमवार को लगभग 30 साल बाद आई सोमवार की नागपंचमी के उपलक्ष्य में सर्पदोष, कालसर्प दोष, राहु दोष एवं अन्य सभी प्रकार के जन्मकुण्डली के दोषों को दूर करके शारीरिक, मानसिक व आर्थिक परेशानियों के निवारण के लिए भगवान शिव का पूजन व रूद्राभिषेक एवं हवन का आयोजन किया गया। इस अनुष्ठान में उत्तर भारत से आए सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने भाग लिया।
सर्वप्रथम श्रद्धालुओं ने पवित्र नागक्षेत्र सरोवर में पूरी श्रद्धा के साथ स्नान किया। उसके उपरांत आस्था ज्योतिष केंद्र के संचालक संजीव गौत्तम, नागक्षेत्र मंदिर के पुजारी यतिंद्र कौशिक, कमल कुश व दिलावर अत्री के सानिध्य में श्रद्धालुओं ने भगवान शिव का रूद्राभिषेक, पूजन व हवन किया। हवन में जुटे सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने आहुति डालकर समाज व परिवार की सुख-शांति की कामना की। कार्यक्रम का समापन मंगल आरती व प्रसाद वितरण के साथ किया गया। अपने संबोधन में आचार्य संजीव गौत्तम ने कहा कि सोमवार की नागपंचमी को इस ऐतिहासिक नागक्षेत्र सरोवर में स्नान करने और यहां पर हवन करने से अनेक गऊदान, राजसूय यज्ञ एवं अश्वमेध यज्ञ के समान फल की प्राप्ति होती है। उन्होंने कहा कि नागक्षेत्र सरोवर वह स्थान है जहां पर करीब 5 हजार वर्ष पूर्व सर्प जाति के दमन के लिए सर्पदंश यज्ञ किया गया था।
मुनि शभीक के शाप के कारण सर्पदंश से राजा परीक्षित की मृत्यु हो गई। महाराजा परीक्षित के पुत्र जनमेजय ने यहां पर नाग यज्ञ किया और मंत्रों के प्रभाव से सभी सर्प अग्निकुण्ड में गिरकर भस्म होने लगे। आस्तिक मुनि ने पहुंचकर किसी तरह से सर्प जाति का पूर्ण विनाश रुकवा दिया। उन्होंने नाग पंचमी का महत्व बताते हुए कहा कि हिंदू धर्म में नाग पंचमी का विशेष महत्व है। नाग पंचमी के दिन जीवन में समृद्धि और खेतों में फसलों की सुरक्षा के लिए नाग देवता की पूजा की जाती है। उन्होंने कहा कि हिन्दू संस्कृति ने पशु-पक्षी, वृक्ष-वनस्पति सबके साथ आत्मीय संबंध जोडऩे का प्रयत्न किया है। नाग पंचमी जैसे दिन नाग का पूजन जब हम करते हैं, तब तो हमारी संस्कृति की विशिष्टता पराकाष्ठा पर पहुंच जाती है। नाग को देव के रूप में स्वीकार करने में मनुष्य के हृदय की विशालता का हमें दर्शन होता है। इस मौके पर बतौर यजमान महाबीर मित्तल, प्रमोद गौत्तम, विकास तायल, राकेश दीवान, सतीश दीवान, विनय कौशिक, प्रमोद शर्मा, कस्तूरी लाल छाबड़ा व दर्शना गौत्तम ने शिरकत की।
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