श्री रामचरितमानस 108 पाठ के समापन पर लगाया विशाल भंडारा
एस• के• मित्तल
सफीदों, श्री हरि संकीर्तन मंडल सफीदों के तत्वाधान में नगर की गुरूद्वारा गली स्थित श्री शिव शक्ति कृपा मंदिर संकीर्तन भवन में चल रहे श्री रामचरितमानस 108 पाठ का मंगलवार को समापन हो गया। समापन अवसर पर वेदाचार्य दंडीस्वामी स्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज का सानिध्य प्राप्त हुआ। इस मौके पर श्रद्धालुओं ने दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज का माल्यार्पण करके उनका आशीर्वाद ग्रहण किया।
वहीं पं. तुलसी दास शास्त्री व कथावाचक दीपक शर्मा ने संगीतमय श्री रामचरितमानस का पाठ किया। श्री रामायण आरती के उपरांत विशाल भंडारे का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों लोगों ने प्रसाद ग्रहण किया। अपने संबोधन में वेदाचार्य दंडीस्वामी निगमबोध तीर्थ महाराज ने कहा कि हम सब यहां पर बैठे लोग भाग्यशाली है जो हमें यह मनुष्य शरीर प्राप्त हुआ है। यह शरीर इसलिए प्राप्त हुआ है ताकि हम इस संसार में कुछ कर पाए। मनुष्य ही एक ऐसा प्राणी है जो कुछ कर सकने तथा सोचने-समझने की शक्ति रखता है। हमें यह तन आसानी से नहीं मिला बल्कि 84 लाख योनियों में घूमने के उपरांत मिला है। इस जीवन में हमें अच्छा ही अच्छा करना चाहिए ताकि हम अगले जन्मों को सुधार सकें तथा पुण्य लोक को प्राप्त कर सके।
हम इसलिए भी भाग्यशाली हैं कि पहले तो मनुष्य योनि मिली और हमारा जन्म सनातन धरा भारत में हुआ। भारत ऋषि-मुनियों की तपोस्थली रहा है तथा इस देश में एक से एक परम प्रतापी हुए हैं। उन्होंने श्रभ्द्धालुओं से आह्वान किया कि वे इस जन्म को व्यर्थ ना जाने दें तथा ज्यादा से ज्यादा परोपकार व पुण्य के कार्य करें। दुनिया में कमाया गया धन व संपत्ति साथ नहीं जाएगी बल्कि समाज में कमाया गया यश व प्रभू श्रीराम का नाम साथ जाएगा। उन्होंने कहा कि राम सिर्फ एक नाम नहीं है बल्कि अपने आप में सबसे बड़ा महामंत्र है। राम नाम तो अविनाशी है। दुनिया इधर से उधर हो जाए, सब कुछ बदल जाए पर यह राम नाम ज्यों का त्यों यूं ही सदा बना रहेगा।