एडिशनल सेशन जज पवन सिंह राजावत ने मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा- प्रेस को स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जाएगा, तो यह हमारे लोकतंत्र की नींव को गंभीर चोट पहुंचा सकता है।
दिल्ली पुलिस को न्यूज पोर्टल द वायर के एडिटर्स के इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस लौटाने पड़ेंगे। दिल्ली की तीस हजारी कोर्ट ने गुरुवार (19 अक्टूबर) को दिल्ली पुलिस की मजिस्ट्रेट कोर्ट के ऑर्डर के खिलाफ दायर याचिका को खारिज कर दिया है।
एडिशनल सेशन जज पवन सिंह राजावत ने मामले की सुनवाई करते हुए कहा- प्रेस को हमारे लोकतंत्र का चौथा स्तंभ माना जाता है। अगर इसे स्वतंत्र रूप से काम नहीं करने दिया जाएगा, तो यह हमारे लोकतंत्र की नींव को गंभीर चोट पहुंचा सकता है।
उन्होंने आगे कहा कि दिल्ली पुलिस इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस की लगातार जब्ती से एडिटर्स के लिए न केवल दिक्कत पैदा कर रही है, बल्कि उनके प्रोफेशन, स्पीच एंड एक्सप्रेशन के मौलिक अधिकारों का उल्लंघन भी कर रही है।
क्राइम ब्रांच ने 31 अक्टूबर को द वायर के एडिटर्स के घरों पर छापा मारा था।
दिल्ली पुलिस को सभी डिवाइस टेम्परिंग से सुरक्षित रखने होंगे
जज पवन ने कहा कि द वायर के एडिटर उस पोर्टल के लिए काम कर रहे हैं जो लोगों तक न्यूज और इन्फॉर्मेशन पहुंचाने में लगा हुआ है। इलेक्ट्रॉनिक डिवाइस उनके काम के लिए बेहद जरूरी है। वो उनके काम में इस्तेमाल किए जाते हैं।
उन्होंने कहा कि दिल्ली पुलिस को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि वे सभी डिवाइस को टेम्परिंग से सुरक्षित रखेंगे।
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने कहा था- एडिटर्स के डिवाइस जमा रखने का उचित आधार नहीं
मजिस्ट्रेट कोर्ट ने 23 सितंबर को मामले की सुनवाई करते हुए फैसला दिया था। कोर्ट ने कहा था कि पोर्टल के एडिटर सिद्धार्थ वरदराजन, एमके वेणु, सिद्धार्थ भाटिया, डिप्टी एडिटर जाहन्वी सेन और प्रोडक्ट कम बिजनेस हेड मिथुन किदांबी के डिवाइस जमा रखने का कोई उचित आधार नहीं है। इसलिए उनके डिवाइस लौटा देने चाहिए।
5 पॉइंट में समझिए पूरा विवाद…
- मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस विवाद की शुरुआत पिछले साल 6 अक्टूबर को हुई थी। द वायर ने एक रिपोर्ट पब्लिश की थी। इस रिपोर्ट में दावा किया गया था कि मेटा (फेसबुक और इंस्टाग्राम ग्रुप) ने एक इंस्टाग्राम पोस्ट को एक निजी अकाउंट क्रिंगअरचिविस्ट द्वारा अपलोड किए जाने के कुछ ही मिनटों के भीतर हटा दिया था।
- रिपोर्ट में दावा किया गया था है कि बीजेपी के आईटी सेल के चीफ अमित मालवीय ने अपने विशेषाधिकारों का इस्तेमाल करते हुए इंस्टाग्राम से पोस्ट हटवाई है। इस रिपोर्ट को लेकर द वायर के सूत्रों की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए गए थे। न्यूज वेबसाइट शुरू में अपनी रिपोर्ट पर कायम रही थी।
- एडिटर सिद्धार्थ ने कहा था- ये रिपोर्ट कई मेटा सोर्स के हवाले से आई है। सोर्स कंफर्म हैं, जिन्हें हम जानते हैं, मिले हैं और सत्यापित हैं।
- इसके बाद 11 अक्टूबर 2022 को मेटा के कम्युनिकेशन हेड एंडी स्टोन ने इस रिपोर्ट के सोर्स का खंडन किया। उन्होंने कहा- द वायर की रिपोर्ट में पेश किए गए दस्तावेज मनगढ़ंत थे। बाद में द वायर ने अपनी रिपोर्ट को वापस लिया था और माफी भी मांगी थी।
- वहीं, अमित मालवीय ने इसे लेकर दिल्ली पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। FIR दर्ज होने के बाद 31 अक्टूबर को द वायर के एडिटर के घरों पर छापे पड़े थे। उसी दौरान उनके सभी इलेक्टॉनिक डिवाइस जब्त कर लिए गए थे।