क्या जुंडला मंडी के पूर्व सचिव पवन चोपड़ा मामले में भी पुलिस उसी तर्ज पर जा रही है, जिस तरह से करनाल मंडी सचिव सुंदर कंबोज को पाक साफ करार दे दिया गया था। क्योंकि जिस तरह से पवन चोपड़ा के खिलाफ पुलिस जांच कर ही है, इससे यह अंदाजा लगाया जा रहा है कि मामले को लेकर वह संजीदगी नहीं बरती जा रही है, जिसकी इस केस में दरकार है।यह साधारण ठगी, भ्रष्टाचार, गड़बड़ी या अनियमितता का मामला नहीं हैं। जुंडला अनाज मंडी के सचिव पर गंभीर आरोप लगे हैं। यह आरोप बेहद संगीन है। यह आरोप लगाने वाली एजेंसी कोई ऐसी वैसी नहीं, ब्ल्की CM फ्लाइंग है।
12 करोड़ 70 लाख रुपए की धान मंडी में खरीद दिखाई जाती है, मिलों तक यह धान पहुंचना नहीं। यह गड़बड़ी धान खरीद के शुरूआती पखवाड़े में ही अंजाम दी गई। गड़बड़ी पकड़ी जाने के 22 दिन बाद मंडी के सचिव पवन चोपड़ा को पुलिस ने हिरासत में लिया। पुलिस ने दो-दो दिन करके उसका चार दिन का रिमांड लिया। अब उसे न्यायिक हिरासत में भेज दिया। यानी की पवन को लेकर पुलिस की जांच मुकम्मल हुई।
आरोपी सचिव केा अदालत में पेश करती पुलिस।
पहले दिन से उठ रहे सवाल
पर इस मामले को लेकर पुलिस पर पहले ही दिन से सवाल उठ रहे हैं। यह सवाल अब पुख्ता होते नजर आ रहे हैं। गड़बड़ी पकड़े जाने पर FIR दर्ज होने के बाद पवन चोपड़ा को पुलिस ने हिरासत में लेने के लिए एक लंबा वक्त लिया। इस दौरान तमाम तरह की बातें उठती रही। सवाल यह भी उठा कि आखिर पवन को पुलिस की हिरासत से आखिर किसने इतने दिन तक बचा कर रखा?
लाख टके का सवाल: क्या पुलिस पवन से पुख्ता सुराग जुटा पाई?
पवन से पुलिस ने जो पूछताछ की, क्या इसमें ऐसे तथ्य जुटाए गए जो कोर्ट में उस पर लगे आरोपों को साबित कर दें। सवाल यह भी उठ रहा है कि पुलिस की पूछताछ में अभी तक खाद्य आपूर्ति विभाग के इंस्पेक्टर और सब इंस्पेक्टर को क्यों शामिल नहीं किया गया। उन्हें क्या अभी तक पूछताछ से बाहर रखा गया है।एक ओर अहम सवाल यह है कि पवन चोपड़ा मंडी कमेटी के किस सीनियर अधिकारी के संपर्क में रहा। किसकी शह पर उसने धान खरीद में यह गड़बड़ी करने की हिम्मत की। पुलिस की जांच उस सीनियर अफसर तक क्यों नहीं पहुंच रहीं।
तो क्या न्यायिक हिरासत में भेज कर अब मामले का पटाक्षेप हो गया है
कम से कम फौरी तौर पर तो यह लग रहा है कि पवन की न्यायिक हिरासत के बाद पुलिस अपनी जांच को पूरा मान कर चल रही है। हालांकि यह बात भी बार-बार उठती रही कि यदि इस केस की सही और निष्पक्ष जांच करानी है तो मामला विजिलेंस या फिर CM फ्लाइंग टीम को ही आगे जांच के लिए दिया जाना चाहिए था। क्योंकि CM फ्लाइंग टीम ने गड़बड़ी को पकड़ा है, ऐसे में यदि जांच का काम भी टीम की देखरेख में होता तो जांच किसी ठोस नतीजे पर पहुंच सकती थी।
धान के स्टॉक की जांच करती CM फ्लाइंग टीम की फाइल फोटो।
क्या है सुंदर कंबोज का मामला, जिसका हम दे रहे उदाहरण
करनाल अनाज मंडी में सुंदर लाल कंबोज पर भी सरकारी खरीद में अनियमितता के आरोप लगे थे। यह आरोप SDM ने लगाए थे, उन्होंने अपनी जांच में पकड़ा था कि जितने गेट पास काटे गए हैं, उतना अनाज आढ़तियों के पास नहीं था। SDM की जांच के बाद मामला पुलिस के पास गया। देखते ही देखते सुंदर कंबोज इस मामले में पाक साफ बरी होकर निकला। अब भी उसी तरह की एक्सरसाइज जुंडला अनाज मंडी खरीद घोटाले में नजर आ रही है।
क्यों है यह मामला बेहद गंभीर
सरकारी धान की यदि फर्जी खरीद दिखाई गई है तो यह सीधे सीधे किसानों के हक पर डाका डालने की कोशिश है। क्योंकि MSP किसानों के लिए हैं, लेकिन मंडी में कुछ भ्रष्ट अधिकारी MSP को हड़पने के लिए फसल की फर्जी खरीद दिखा देते हैं। केंद्र की ओर से MSP पर धान खरीदने के लिए फंड मिलता है, यह केंद्र के फंड को खुर्दबुर्द करने का मामला है। इससे भी बड़ी बात यह है कि एक साजिश के तहत इस घोटाले का अंजाम दिया जा रहा है। जिसकी एक बड़ी चेन है। इसमें मंडी कमेटी से लेकर आढ़ती, राइस मिलर्स और खाद्य आपूर्ति विभाग के भ्रष्ट अधिकारी तक शामिल रहते हैं।
सवाल यह भी धान कहां गया
दूसरा यदि धान वास्तव में खरीदा गया फिर मिल तक नहीं पहुंचा तो रास्ते में धान गया कहां? क्या MSP पर धान खरीद कर उसे निजी खरीददार का महंगे दाम पर बेचा गया है। यदि ऐसा है तो जिस बढ़े दाम का लाभ किसानों को मिलना चाहिए था, उस में गबन हुआ है। इस तरह से देखा जाए तो यह मामला साधारण नहीं संगीन और गंभीर अपराध है। जिसकी जांच सही और ठोस तरीके से होनी चाहिए। जिससे प्रदेश की मंडियों में पनप रहे फूड माफिया की नकेल कसी जा सके। अन्यथा जिस तरह से सुंदर कंबोज इस तरह के आरोपों से बरी हो गया, इसी तरह से पवन चोपड़ा भी बरी हो जाएगा। ऐसा हुआ तो फूड माफिया फिर से किसी दूसरी मंडी में इसी तरह से फसल की सरकारी खरीद में घोटाला करने की एक और पटकथा लिखता नजर आएगा।
जांच में शामिल किए जाएगें इंस्पेक्टर व सब इस्पेक्टर
जुंडला चौकी के इंचार्ज विकास का कहना है आरोपी को चार दिन के रिमांड पर पूछताछ के लिए किया गया। लेकिन कोई भी अभी ऐसा सुराग सचिव से नहीं मिल पाया। अब इस मामले में डीएफएससी विभाग के इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर को जांच में शामिल किया जाएगा।