असंध. नेशनल हाईवे 709ए पर नाले में भरी गंदगी।
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30 एमएम बरसात में ही जलमग्न हो जाती हैं सड़कें, ये लापरवाही शहरवासियों पर पड़ेगी भारी
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मुगल कैनाल को छोड़कर शहर के सभी नालों की सफाई अधूरी
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30 जून तक सभी नालों की सफाई का प्रशासन ने किया था दावा, लेकिन धरातल पर नहीं हुआ काम
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भास्कर लगातार बता रहा शहर में नालों की सही सफाई होने की बजाय केवल खानापूर्ति हो रही
बारिश का सीजन शुरू हो गया है। शहर और हाईवे पर नालों की सफाई का काम अधूरा पड़ा है। 30 एमएम बारिश एक साथ होने पर ही शहर में पानी भर जाता है। जीटी रोड, कैथल रोड, मेरठ रोड पर दोनों तरफ नाले तो बनाए गए हैं, नाले गंदगी से अटे पड़े हैं। रेन वाटर हार्वेस्टिंग की कोई सफाई नहीं की गई है। सभी गंदगी से अटे पड़े हैं।
सेक्टर-13, सेक्टर-12, सेक्टर-6, सेक्टर-7 मेन मार्केट रोड, बांसो गेट रोड, कलंदरी गेट रोड, चौड़ा बाजार, शिव लोनी, शास्त्री नगर, आनंद विहार, न्यू बहादुर चंद कॉलोनी, चार चमन और बसंत बिहार में सबसे ज्यादा पानी भरता है। लेकिन यहां पर अब भी नालों की सही तरीके से सफाई नहीं की है। यमुना सहित नाले, ड्रेनों की सफाई के लिए करीब 22 करोड़ रुपए का टेंडर लगाया हुआ है। 30 जून तक सभी नालों की सफाई का प्रशासन ने दावा किया था, लेकिन फिलहाल सफाई अधूरी है। शहर में करीब 50 रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हुए हैं, इनकी सफाई नहीं हुई है। मुगल कैनाल नाले की सफाई प्रशासन ने इस बार अच्छी तरह करवाई है, लेकिन बाकी जगह सफाई का काम अधूरा है। यमुना में ठोकरों की रिपेयर और नई ठोकरें बनाने का काम पूरा हो गया है। निगम ने भी शहर में सड़कें तो बना दी, लेकिन नाले नहीं बनाए।
सेक्टरों में कोठियों के आगे लोगों ने बड़े- बड़े रैंप बना लिए हैं। इससे पानी निकासी बंद हो गई है। लोगों में एक दूसरे से बड़े रैंप बनाने की होड़ लगी हुई है। पब्लिक भी इस दुर्गति के लिए सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। सेक्टर-7, सेक्टर-17, सेक्टर-, 9 और 12 में लोगों ने बड़े-बड़े रैंप बनाए हुए हैं। इसी कारण थोड़ी सी बरसात होते ही सारा पानी सड़कों पर भर जाता है, ज्यादातर पानी को सीवरेज लाइन से निकालना पड़ता है। इसके लिए लोग सबसे ज्यादा जिम्मेदार हैं। ऐसे में सड़क भी जल्दी टूटती है।
जीटी रोड के दोनों तरफ पानी निकासी के लिए सर्विस लाइन के साथ नाले बनाए हुए हैं। इनकी सफाई का काम भी अधूरा पड़ा है। इन नालों की कहीं कनेक्टिविटी नहीं है। मेरठ रोड पर करीब तीन किलोमीटर आवर्धन नहर तक दोनों तरफ नाले तो बना दिए। नाले कहीं भी कनेक्ट नहीं है। कटा बाग का पानी नाले में डाला जा रहा है, लेकिन यहां आसपास पानी भर गया है। कटा बाग में दो साल से यह समस्या बनी हुई है। पीडब्ल्यूडी और निगम इसका कोई समाधान नहीं करवा पाया है। इसी तरह कैथल को भी नए सिरे से बनाया गया है, लेकिन यहां पर पानी निकासी के लिए बनाए गए नालों में पानी भरा पड़ा है। यही हाल काछवा रोड और कुंजपुरा रोड का है।
शहर में देवी मंदिर रोड, रेलवे रोड, न्यू रमेश नगर रोड, अंबेडकर चौक रोड, बस स्टैंड रोड, सेक्टर-13, सेक्टर-32, 33, 14 पार्ट-2, सेक्टर-6, सेक्टर-7 मेन मार्केट रोड, बांसो गेट रोड, कलंदरी गेट रोड, चौड़ा बाजार, शिव कालोनी, शास्त्री नगर, आनंद विहार, न्यू बहादुर चंद कॉलोनी, चार चमन इत्यादि क्षेत्रों में जलभराव की अधिक समस्या आती है। शहर की कुल चार लाख आबादी है, लेकिन जल भराव के कारण डेढ़ लाख आबादी प्रभावित होती है।
शहर में ग्राउंड वाटर को ऊपर उठाने के लिए करीब 40 जगह रेन वाटर हार्वेस्टिंग सिस्टम बनाए हुए हैं। ज्यादातर शहर के नीचे स्थानों पर यह बनाए गए हैं। लेकिन इनकी भी सफाई नहीं की गई है। लघुसचिवालय और कोर्ट में बनाए गए रेन वाटर हारर्वेटिस्टिंग की भी प्रो पर तरीके से सफाई नहीं हुई है।
संबंधित अधिकारियों को दिए हैं निर्देश: उपायुक्त ^सभी विभागों के अधिकारियों को नाले और ड्रेनों की सफाई के लिए निर्देश दिए हुए हैं। हाइवे के नालों की कनेक्टिविटी की चेकिंग करवाएंगे। इसके लिए हाईवे के अधिकारियों को लिखा जाएगा। -अनीष कुमार यादव, डीसी, करनाल