चंडीगढ़ की स्मार्ट पुलिस शहर से न सिर्फ अपराध को कम करने में नाकाम साबित हो रही है, बल्कि कईं गुमशुदा बच्चों को भी ढूंढ पाने में फेल साबित हो रही है। एक जानकारी के मुताबिक, चंडीगढ़ में पिछले 3 सालों से लापता 43 बच्चों को अभी तक ट्रेस नहीं किया जा सका है।
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साल 2020 में 122 बच्चे लापता हुए थे। इनमें से 112 ढूंढ लिए गए थे। वहीं वर्ष 2021 में 157 बच्चे लापता हुए, जिनमें से 151 का पता लग गया था। इस वर्ष अभी तक 116 बच्चे चंडीगढ़ से लापता हो चुके हैं। जिनमें से 89 ही ढूंढे जा सके हैं।
बच्चों को ढूंढने के लिए ऑपरेशन मुस्कान चलाया
हाल ही में एडवाइजरी काउंसिल की बैठक में प्रशासक बीएल पुरोहित ने भी इस मुद्दे पर गंभीरता जताते हुए पुलिस और सोशल वेलफेयर डिपार्टमेंट को उचित कदम उठाने को कहा था। वहीं पुलिस की एक डेडिकेटिड यूनिट ऐसे बच्चों की तलाश में कार्रवाई कर रही है। पुलिस द्वारा लापता बच्चों को ढूंढने के लिए ऑपरेशन मुस्कान भी चलाया हुआ है।
पूर्व सांसद ने गैंग का शक जताया
चंडीगढ़ प्रशासन की सोशल वेलफेयर कमेटी की सब-कमेटी के चेयरमैन और एडिशनल सालिसिटर जनरल ऑफ इंडिया सत्यपाल जैन (पूर्व सांसद) ने इस पर चिंता जाहिर की है। उनका कहना है बच्चों के लापता होने के पीछे किसी गैंग के होने की आशंका है। उन्होंने कहा है कि इस गंभीर मुद्दे पर चंडीगढ़ प्रशासन को एक रिपोर्ट पेश करनी चाहिए।
भीख मंगवाने के लिए किडनैपिंग
जैन का कहना है कि अगर तीन वर्षों से इतने लापता बच्चों का कोई सुराग नहीं लगा है तो इसका मतलब है कि कोई संगठित गैंग इसके पीछे है। उन्होंने कहा कि हो सकता है कि बच्चों को किडनैप कर दूसरे राज्यों में ले जाया जा रहा हो। ऐसा भी हो सकता है कि उनसे भीख भी मंगवाई जा रही हो। चंडीगढ़ प्रशासन इस गंभीर मुद्दे पर पुलिस को टीमें बना लापता बच्चों की तलाश करने को कह चुका है।
भीख मांगते बच्चों का रेस्क्यू
जनवरी, 2021 से जून, 2022 तक शहर में कुल 96 बच्चे भीख मांगते हुए पाए गए थे। इनमें 46 लड़के और 50 लड़कियां थीं। इन्हें बचाया गया था। इन बच्चों को चाइल्ड केयर इंस्टीट्यूट में भेजा गया था। चंडीगढ़ प्रशासन की चाइल्ड वेल्फेयर कमेटी ऐसे बच्चों का रेस्क्यू कर रही है।
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