गुरू अर्जुन देव ने मानवता की खातिर अपना सर्वस्व बलिदान कर दिया : बलविंद्र सिंह
एस• के• मित्तल
जींद, पांचवी पातशाही गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी गुरुपर्व शहर के सभी गुरुद्वारों में श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया गया। संगतों ने अमृत बेले सुबह सवेरे गुरुद्वारा साहिब में हाजिरी लगा कर गुरु ग्रंथ साहिब जी के समक्ष माथा टेक कर अपने गुरु की शहीदी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी गुरुद्वारों में शब्द कीर्तन गायन किए गए तथा मीठे शरबत एवं लंगर का प्रसाद संगतों में वितरित किया गया। वहीं शहर में भी जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा मीठे शरबत की छबीलें लगाई गई।
जींद, पांचवी पातशाही गुरु अर्जुन देव जी का शहीदी गुरुपर्व शहर के सभी गुरुद्वारों में श्रद्धा एवं उल्लास से मनाया गया। संगतों ने अमृत बेले सुबह सवेरे गुरुद्वारा साहिब में हाजिरी लगा कर गुरु ग्रंथ साहिब जी के समक्ष माथा टेक कर अपने गुरु की शहीदी के प्रति श्रद्धांजलि अर्पित की। इस अवसर पर सभी गुरुद्वारों में शब्द कीर्तन गायन किए गए तथा मीठे शरबत एवं लंगर का प्रसाद संगतों में वितरित किया गया। वहीं शहर में भी जगह-जगह श्रद्धालुओं द्वारा मीठे शरबत की छबीलें लगाई गई।
जहां राहगीरों ने तपती गर्मी में मीठे शरबत का प्रसाद ग्रहण करके गर्मी को शांत किया। गुरूघर के प्रवक्ता बलविंद्र सिंह ने बताया कि सिंह सभा गुरुद्वारा रेलवे जंक्शन पर धार्मिक समागम आयोजित किया गया। जिसमें सुखमणि साहिब सेवा सोसायटी द्वारा द्वारा सुखमणि साहिब का जाप किया गया तथा शब्द कीर्तन गायन किए गए। गुरुद्वारा साहिब के ग्रंथी भाई जसवंत सिंह ने अपने वचनों में संदेश देते हुए संगतो को बताया कि गुरु अर्जुन देव जी को शहीदों का सरताज इसलिए कहा जाता है की सिखों के 10 गुरुओं में गुरु अर्जुन देव जी एक ऐसे गुरु थे, जिन्होंने मानवता की खातिर अपना बलिदान दिया। इसलिए गुरु अर्जुन देव को शहीद भी शहीदों का सरताज कहा जाता है। उधर, ऐतिहासिक गुरुद्वारा गुरु तेग बहादुर साहिब में भी सायंकालीन को कीर्तन दरबार का आयोजन किया गया।
जिसमें सबसे पहले गुरुद्वारा साहिब के रागी भाई साहब भाई जसवीर सिंह रामरसिया दतिया के रागी जत्थे द्वारा गुरबाणी गायन किया गया। सिख मिशनरी कॉलेज कुरुक्षेत्र से आए धर्म प्रचारक भाई गुरमीत सिंह ने गुरु अर्जुन देव को श्रद्धांजलि देते हुए गुरु अर्जुन देव जी की जीवनी को संगतों से रूबरू करवाया। करनाल से आए भाई गुरमीत सिंह के रागी जत्थे ने निरोल गुरुबाणी गायन करके संगतों का मन मोह लिया। बलविंद्र सिंह ने बताया कि गुरु अर्जुन देव सिखों के पांचवें धर्म गुरु थे और गुरु अर्जुन देव जी की शहादत अतुलनीय है।
मानवता के सच्चे सेवक, धर्म के रक्षक, शांत और गंभीर स्वभाव के स्वामी गुरु अर्जुन देव अपने युग के सर्वमान्य लोकनायक थे जो दिन-रात संगत की सेवा में लगे रहते थे। उनके मन में सभी धर्मों के प्रति अथाह सम्मान था। इस अवसर पर ऐतिहासिक गुरुद्वारा तेग बहादुर साहिब के मैनेजर रवींद्र सिंह मट्टू, हरविंद्र सिंह, गुरुद्वारा रेलवे जंक्शन के प्रधान जसबीर सिंह, कमलजीत ग्रेवाल आदि उपस्थित रहे।