एस• के• मित्तल
सफीदों, राष्ट्रीय हिंदूवाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल कौशिक ने पत्रकारों से बातचीत में लोगों व स्कूल संचालकों से आह्वान किया कि वे 25 तारीख रविवार को क्रिसमस डे ना मनाकर हिंदू आस्था का प्रतीक तुलसी पूजन करें। उन्होंने कहा कि विदेशी सभ्यता व संस्कृति हमारे देश पर हावी होती जा रही है।
सफीदों, राष्ट्रीय हिंदूवाहिनी के प्रदेश उपाध्यक्ष गोपाल कौशिक ने पत्रकारों से बातचीत में लोगों व स्कूल संचालकों से आह्वान किया कि वे 25 तारीख रविवार को क्रिसमस डे ना मनाकर हिंदू आस्था का प्रतीक तुलसी पूजन करें। उन्होंने कहा कि विदेशी सभ्यता व संस्कृति हमारे देश पर हावी होती जा रही है।
जिसका दुष्परिणाम यह है कि हम लोग अपनी आस्था के मानबिंदूओं व त्यौहारों को छोड़कर विदेशी त्यौहारों को अंगीकार कर रहे है जोकि इस देश की संस्कृति के लिए किसी भी रूप में सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इन दिनों 21 से 28 दिसंबर तक ठिठुरन भरी सर्दी में दशमेश पिता स्र्ववंश दानी गुरु गोविंद सिंह जी ने हिंदू धर्म की सुरक्षा के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर की दिया था। ऐसे में हिंदू समाज इन दिनों विदेशी त्यौहार क्रिसमस को कैसे मना सकता है। बनावटी प्लास्टिक के क्रिसमस पेड़ की पूजा करना हिंदू समाज के लिए किसी भी रूप में सही नहीं है। उन्होंने कहा कि 25 दिसंबर का दिन क्रिसमस का नहीं तुलसी पूजन करने का दिन है।
भारत में तुलसी पूजा की परंपरा कोई आज से नहीं है बल्कि यह परंपरा सदियों से चली आ रही है। लगभग हर हिंदू परिवार के घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना और पूरे श्रद्धा भाव से सुबह शाम तुलसी की पूजा करना प्राचीन काल से चला आ रहा है। तुलसी के पौधे के महत्व को देखते हुए साधु-संतों ने 25 दिसंबर 2014 को तुलसी दिवस मनाने की शुरुआत की। उसी समय से हर साल 25 दिसंबर को तुलसी पूजन दिवस के रूप में मनाया जाता है।
उन्होंने कहा कि हिंदू धर्म में तुलसी के पौध का विशेष महत्व है। जिन घरों में तुलसी के पूजा की नियमित पूजा होती है, उस घर में मां लक्ष्मी और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है और उसे कभी किसी चीज की कमी नहीं होती है।