धात्र के साथ धक्का मुक्की करता पुलिस कर्मी।
हरियाणा के करनाल में कल्पना चावला मेडिकल कॉलेज में MBBS छात्रों को सिविल लाइन थाना SHO ललित कुमार ने धक्का दिया। शहर के जाने माने एडवोकेट अरविंद मान का कहना है कि यह गलत है। एक पुलिसकर्मी को कानून इस तरह से धक्का देने की इजाजत नहीं देता। वह भी तब जब सामने MBBS स्टूडेंट्स हो। यदि पुलिस को प्रदर्शनकारी स्टूडेंट्स को रोकना है तो इसका तरीका सही होना चाहिए।
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MBBS स्टूडेंट्स इन दिनों सरकार की बॉन्ड पॉलिसी के विरोध में पिछले 34 दिन से प्रदर्शन कर रहे हैं। करनाल में आज स्टूडेंट मेडिकल कालेज में धरने पर बैठे थे। मेडिकल कॉलेज में विधानसभा स्पीकर ज्ञान चंद गुप्ता आए हुए थे। स्टूडेंट उन्हें अपनी मांगों को ज्ञापन सौंपना चाह रहे थे। जैसे ही वह स्पीकर के कार्यक्रम स्थल की ओर जाने लगे तो पुलिस ने उन्हें इस तरह से रोका।
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छात्रों को चेतावनी देते पुलिसकर्मी।
बुद्धिजीवियों ने भी पुलिस की कड़ी आलोचना
शहर के बुद्धिजीवियों ने भी पुलिस की कड़ी आलोचना की है, इनका कहना है कि पुलिस का यह रवैया ठीक नहीं है। मेडिकल स्टूडेंट्स अपनी मांगों को लेकर प्रदर्शन कर रहें है, उनका प्रदर्शन पूरी तरह से शांतिपूर्वक चल रहा है। वह अपनी मांगों को लेकर आवाज उठा रहे हैं, लेकिन उनकी आवाज को इस तरह से दबाना कतई सही नहीं है।
स्टूडेंट्स साथ होना चाहिए था अच्छा व्यवहार
यूथ फॉर चेंज के प्रदेशाध्यक्ष वीरेंद्र राठौर ने कहा कि मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ पुलिस को सही व अच्छा व्यवहार करना चाहिए। आज जिस तरह से पुलिस ने उनके साथ रवैया किया, यह ऐसा लग रहा है कि पुलिस मेडिकल स्टूडेंट्स को शरारती तत्व मान रही है। पुलिस की यह सोच गलत है।
MBBS छात्र को पकड़ता पुलिसकर्मी।
उन्होंने बताया कि एक मेडिकल स्टूडेंट्स की यदि शिक्षा की बात की जाए तो वह नीट की परीक्षा पास करके आता है। वह खुद को साबित करता है, तब मेडिकल कॉलेज में दाखिला उसे मिलता है। उसे जो शिक्षा मिलती है, वह समाज के लोगों के स्वास्थ्य और उनकी सेहत की देखभाल की मिलती है। यूं ही नहीं डॉक्टर को भगवान का दूसरा रूप बोला जाता। इसलिए भी पुलिस को सोचना चाहिए कि वह इन डॉक्टरों के साथ कैसा व्यवहार कर रही है।
दोनों विभाग गृह मंत्री अनिल विज के पास
वीरेंद्र राठौर ने बताया कि हेल्थ और पुलिस दोनों विभाग प्रदेश के गृह मंत्री अनिल विज के पास है। उन्हें भी यह देखना चाहिए कि उनकी पुलिस डॉक्टरों के साथ किस क्रूर तरीके से पेश आ रही है। उन्होंने कहा कि जिस भी पुलिस वाले ने मेडिकल स्टूडेंट्स के साथ यह व्यवहार किया है, उसे यह सीखने की जरूरत है कि सही व्यवहार क्या होता है? उसे मानव अधिकार और लोगों से व्यवहार करने का सही तरीका सीखने की सख्त जरूरत है।
विरोध में कार्यक्रम स्थल के पास धरने पर बैठे छात्र।
इसलिए सरकार को चाहिए कि ऐसे पुलिसकर्मियों को चिन्हित कर उन्हें इस बात का भी परीक्षण दिया जाए कि शरारती तत्वों व समझदार लोगों के साथ किस तरह से पेश आना चाहिए। खाकी वर्दी पहन लेने का मतलब यह नहीं कि पुलिस को सब कुछ करने की इजाजत है। पुलिस के लिए भी नियम और कायदे हैं, इससे भी बड़ी बात तो यह है कि पुलिस कर्मी हो या फिर कोई ओर हर किसी से सभ्य व्यवहार की उम्मीद की जाती है।
IMA ने भी की पुलिस के व्यवहार की आलोचना
IMA के प्रधान डॉक्टर संजय ने कहा कि भावी डॉक्टरों के साथ पुलिस का यह व्यवहार गलत है। उन्होंने कहा कि IMA इसका विरोध करती है। प्रदर्शन कर रहे छात्र कोई क्रिमिनल नहीं है जो पुलिस इन छात्रों के साथ धक्का मुक्की कर रही है। IMA पुलिस की इस कार्यप्रणाली का पुरजोर विरोध करती है।
मेडिकल कॉलेज में धरने पर बैठे छात्र।
डॉक्टर भी छात्रों के समर्थन में
शहर के डॉक्टरों ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर सख्त आपत्ति दर्ज कराई। इनका कहना है कि डॉक्टरों को अक्सर इस तरह के व्यवहार का सामना करना पड़ता है। उन्हें जो सम्मान मिलना चाहिए, वह नहीं मिलता। इस बारे में लोगों को सोचना चाहिए कि आखिर उनके साथ यह व्यवहार क्यों हो रहा है? क्या यह व्यवहार सही है?
इसी वजह से डॉक्टर नहीं आना चाहते सरकारी सेवा में
मेडिकल स्टूडेंट्स ने भी पुलिस की कार्यप्रणाली पर विरोध दर्ज कराया। इनका कहना है कि यह भी एक वजह है कि वह सरकारी सेवा में आना नहीं चाहते। क्योंकि उन्हें लगता है कि जितनी मेहनत से वह शिक्षा लेकर डॉक्टर की डिग्री लेते हैं, सरकारी सेवा में उन्हें उनकी मेहनत व पद के अनुसार सम्मान नहीं दिया जाता। वह देखते हैं कि उनके सीनियर जो सरकारी सेवा में हैं, वह किस तरह की दिक्कतों से दो चार होते हैं। यह भी एक कारण है कि वह सरकारी सेवा से परहेज करते
.प्रधान के लिए 5, उपप्रधान के लिए एक, सचिव व सहसचिव के लिए 3-3 ने भरा नामांकन