हरियाणा के जिले करनाल की मंडियों में धान की सरकारी खरीद शुरू होने के बाद अब आढ़तियों और व्यापारियों ने पर किसानों को लूटने के आरोप लगने शुरू हो गए है। ऐसा आरोप है कि किसान की मजबूरी को देखते हुए आढ़ती और व्यापारी मिलीभगत कर किसानों की बारीक धान को औने-पौने दामों पर खरीद रहे है। आढ़तियों और व्यापारियों की चालबाजी का शिकार किसान हो चुके है, लेकिन कुछ किसानों ने मंडी में उतारी गई अपनी धान को दोबारा ट्रालियों में लाद कर दूसरे जिलों की मंडियों का रूख कर लिया है।
मंडी में धान की तुलाई करते मजदूर।
किसानों का आरोप है कि मंडी में व्यापारी और आढ़ती उनकी धान का रेट कम लगा रहे है। जहां बासमती किस्म की 1509 धान का रेट 3600 से 3800 के बीच मिल रहा था, वही अब 3000 से 3100 के बीच रह गया है। जिसके चलते कई किसान अपनी धान को निसिंग की मंडी में लेकर दूसरे जिलों की मंडियों में लेकर जा रहे है। किसानों की माने तो मंडी में उन्हें रेट कम मिल रहे है। बासमती किस्म की धान को व्यापारी पूरी तरह पीट रहे हैं।
बार-बार नुकसान की मार झेल रहा है किसान
मंडी में धान लेकर पहुंचें किसानों का कहना है कि जब उनकी धान मंडी में आनी थी तो आढ़तियों ने अनिश्चित कालीन हड़ताल शुरू कर दी और फिर बेमौसमी बरसात शुरू हो गई। जिसने ना सिर्फ मंडियों में पड़ी किसानों की फसल को बर्बाद कर दिया बल्कि खेतों में लहराती फसल को भी नुकसान पहुंचाया। जिससे धान का उत्पादन कम हुआ। जहां 30 से 35 क्विंटल धान निकलनी थी वहीं अब वह 25 से 27 क्विंटल प्रति एकड़ रह गई है।
जानकारी देते मंडी सचिव बलवान सिंह।
अब किसानों की बारीक धान को मंडियों में औने पौने दामों पर खरीदकर मोटा नुकसान पहुंचाया जा रहा है। आढ़ती और व्यापारियों की मिलीभगत किसानों पर भारी पड़ रही है। आढ़ती और व्यापारी किसानों की मजबूरी का फायदा उठाना चाहते है लेकिन ऐसा नहीं होने देंगे, चाहे दूसरे जिलों की मंडियों में धान बेचनी पड़े, वे अपना नुकसान नहीं होने देंगे।
वर्जन
मार्केट कमेटी के सचिव बलवान सिंह से जब इस संबंध में बात की गई तो उन्होंने बताया कि जब धान ज्यादा आ जाता है तो कई दिक्कतें आती हैं। जो धान आ रही है उसमें नमी की मात्रा ज्यादा है। जिस वजह से धान का रेट कम लगता है और किसान इससे खुश नहीं है और कुछ किसान अपनी धान मंडी से अपने घर या दूसरे मंडी में लेकर जा रहे हैं।