हरियाणा के करनाल शहर में एक अजीब घटना हुई। तीन यूट्यूब पर एक राइस मिलर से 1,50000 की वसूली का आरोप लगा। मिल संचालकों ने तीनों को बंधक बनाया। उनकी फोटो सोशल प्लेटफार्म पर शेयर की। जब हल्ला मचा तो दोनो पक्ष चुप्पी साध गए। न तो मिल संचालकों ने इस बारे में पुलिस को शिकायत दी, न ही यूट्यूबर ने। पर क्योंकि मामला सोशल प्लेटफार्म पर आ गया, इस वजह से अब शहर में चर्चा का विषय बना हुआ है।
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हालांकि राइस मिल एसोसिएशन के पूर्व प्रधान विनोद गोयल अब भी दावा कर रहे हैं कि इन तीनों ने कई राइस मिलरों को ब्लैकमेल कर मोटी रकम की वसूली की है। शुक्रवार का तीनों सिंगला राइस मिल संचालक को ब्लैकमेल करते हुए 1, 50000 रुपए लिए थे। गोयल का दावा है कि जिसकी CCTV फुटेज भी सामने आई है। इधर गोयल के दावे के विपरीत सिंगला मिल के संचालक सुधीर सिंगला ने कहा कि ऐसा कुछ नहीं हुआ।
राइस मिल में लगे धान के बैग।
दबंग बनने चले मिल संचालक, इसलिए बन गए दब्बु
क्योंकि शहर के कई मिल संचालकों पर यूपी, बिहार और राजस्थान के सस्ते चावल का काला कारोबार करने के आरोप लगते रहे हैं। इस बार जिस तरह से CM फ्लाइंग टीम धान के सीजन में छापेमारी करती रही, इससे लेवी के चावल में फूड माफिया की संलिप्तता के पुख्ता प्रमाण मिले हैं। इसके बाद भी शहर के कई ऐसे राइस मिलर्स है जो लगातार यूपी और बिहार से सस्ता चावल लाकर FCI को सप्लाई करने की तैयारी में हैं। इसलिए यह मामला मुद्दा न बने,इसलिए राइस मिलर दो कदम आगे बढ़ कर चार कदम पीछे हट गए।
फिर भी मामले की जांच तो बनती है
अब पहला सवाल यह है कि यदि तीनों यूट्यूबर गलत है, तो क्यों नहीं मिल संचालकों ने इस संबंध में पुलिस को शिकायत दी। यदि वह ब्लैकमेल कर रहे थे तो इसका आधार क्या है? क्यों वह ब्लैकमेल कर रहे थे। इसलिए इस मामले में न सिर्फ शिकायत दर्ज होनी चाहिए थी, बल्कि जांच भी होनी चाहिए थी। जिससे सच सामने आ सके।दूसरा सवाल यह है कि यदि तीनों यूट्यूबर गलत नहीं है, तो फिर मिल में उन्हें बंधक क्यों बनाया गया, उन पर दबाव क्यों डाला गया? किसी का इस तरह से बंधक बनाना भी कानूनी तौर पर गलत है। इसके बाद उनकी फोटो सोशल मीडिया पर वायरल कर सार्वजनिक तौर पर उनकी मानहानि की गई है।
कमरे में मौजूद तीनों यूट्यूबर।
मेरे संज्ञान में मामला नहीं: प्रधान
वहीं इस मामले में जब मौजूदा राइस मिलर्स एसोसिएशन के प्रधान सौरभ गुप्ता से बात की गई तो वह भी इस मामले से बचते नजर आए। उनका कहना था कि वह आज किसी काम से बाहर आए है। उनके संज्ञान में ऐसा कोई मामला सामने नहीं आया है। अगर पूर्व प्रधान इस मामले में बयान दे रहे है तो उसके बारे में मैं कुछ नहीं कह सकता।
असंध व जुंडला में धान की फर्जी खरीद के आरोप में मामले दर्ज
बीते दिनों CM फ्लाइंग टीम ने शिकायतों के बाद जुंडला व असंध के राइस मिलों में छापेमारी की थी। जिसमें करीब 14 करोड़ रुपए का धान घोटाला उजागर हुआ था। इस मामले में राइस मिलरों सहित सरकारी कर्मचारियों पर भी गाज गिरी थी। जुंडला के एक राईस मिलर को पुलिस ने अबतक गिरफ्तार किया और मंडी सचिव पवन चौपड़ा भी इस न्यायिक हिरासत में जेल बंद है। इस मामले में DFSC विभाग के इंस्पेक्टर व सब इंस्पेक्टर से जांच में शमिल किया जाना है जांच में अगर आरोपी पाए जाते है। उनकी भी गिरफ्तारी की जाएगी। लेकिन पुलिस की सुस्त कार्यप्रणाली के चलते यह मामला भी ठंडे बस्ते में जाता दिखाई दे रहो है। वहीं असंध धान की स्टॉक कम पाए जाने वाले राइस मिलरों अब तक पहुंच नहीं पाई है।
राइस मिल में पड़े चावल के बैग।
FCI करे मिलो में चावल की जांच
FCI को चाहिए कि चावल की जांच कर लें मिलर से चावल तो कुछ रोक लगती है भ्रष्टाचार पर जानकारों का कहना है कि अब लेवी का जो चावल राइस मिलर फूड कारपोरेशन ऑफ इंडिया को देंगे, यदि इस चावल की कायदे से जांच हो तो जिले में पनप रहे फूड माफिया पर कुछ हद तक रोक लग सकती है। हालांकि इस बार प्रदेश सरकार ने भी निर्णय लिया कि जिस रासस मिलर्स पर गड़बड़ी का शक है, उनके बिजली के मीटर की जांच की जाएगी। जिससे यह पता चलने में मदद मिलेगी कि क्या वास्तव में मिल चले या फिर बाहर से चावल मंगा कर सप्लाई किया जा रहा है।
इस घोटाले पर रोक लगे तो बने बात
यह घोटाला जिले में कई सालों से चला आ रहा है। सरकार की कोशिश है कि इस पर रोक लगे। इसे लेकर तमाम तरह के कदम भी उठाए गए हैं। इसके बाद भी भ्रष्टाचार है कि थमने का नाम नहीं ले रहा है। यदि इस घोटाले पर रोक लगे तो प्रदेश में जो धान सिर्फ कागजों में उगाया जा रहा है, उस पर रोक लग सकती है। किसानों को एमएसपी से ज्यादा दाम धान का मिल सकता है। सरकार पर जो MSP का अतिरिक्त दबाव है, वह भी कुछ कम हो सकता है। बस शर्त यह है कि इस घोटाले पर रोक लगे।