एस• के• मित्तल
सफीदों, श्री सतनारायण मंदिर सभा के तत्वावधान में पुरानी अनाज मंडी स्थित श्री सतनारायण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राम उपाध्याय (वृंदावन) ने कहा कि श्रीमद् भागवतकथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण करके निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय व मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी।
सफीदों, श्री सतनारायण मंदिर सभा के तत्वावधान में पुरानी अनाज मंडी स्थित श्री सतनारायण मंदिर में चल रही श्रीमद् भागवत कथा में व्यास पीठ से श्रद्धालुओं को संबोधित करते हुए राम उपाध्याय (वृंदावन) ने कहा कि श्रीमद् भागवतकथा की सार्थकता जब ही सिध्द होती है जब इसे हम अपने जीवन में व्यवहार में धारण करके निरंतर हरि स्मरण करते हुए अपने जीवन को आनंदमय व मंगलमय बनाकर अपना आत्म कल्याण करें। अन्यथा यह कथा केवल ‘ मनोरंजन ‘, कानों के रस तक ही सीमित रह जाएगी।
कथा में मंदिर सभा के अध्यक्ष राकेश गोयल भोला ने कथावाचक राम उपाध्याय का अभिनंदन किया। भागवत कथा से मन का शुद्धिकरण होता है। इससे संशय दूर होता है और शंाति व मुक्ति मिलती है। इसलिए सद्गुरु की पहचान कर उनका अनुकरण एवं निरंतर हरि स्मरण, भागवत कथा श्रवण करने की जरूरत है। श्रीमद भागवत कथा श्रवण से जन्म जन्मांतर के विकार नष्ट होकर प्राणी मात्र का लौकिक व आध्यात्मिक विकास होता है। जहां अन्य युगों में धर्म लाभ एवं मोक्ष प्राप्ति के लिए कड़े प्रयास करने पड़ते हैं, कलियुग में कथा सुनने मात्र से व्यक्ति भवसागर से पार हो जाता है। सोया हुआ ज्ञान वैराग्य कथा श्रवण से जाग्रत हो जाता है। कथा कल्पवृक्ष के समान है, जिससे सभी इच्छाओं की पूर्ति की जा सकती है।
सत्संग व कथा के माध्यम से मनुष्य भगवान की शरण में पहुंचता है, वरना वह इस संसार में आकर मोहमाया के चक्कर में पड़ जाता है, इसीलिए मनुष्य को समय निकालकर श्रीमद्भागवत कथा का श्रवण करना चाहिए। बच्चों को संस्कारवान बनाकर सत्संग कथा के लिए प्रेरित करें। भगवान श्रीकृष्ण की रासलीला के दर्शन करने के लिए भगवान शिवजी को गोपी का रूप धारण करना पड़ा। आज हमारे यहां भागवत रूपी रास चलता है, परंतु मनुष्य दर्शन करने को नहीं आते। वास्तव में भगवान की कथा के दर्शन हर किसी को प्राप्त नहीं होते। कलियुग में भागवत साक्षात श्रीहरि का रूप है।