एक देश एक चुनाव समिति ने लोगों से मांगे सुझाव: 15 जनवरी तक दे सकेंगे राय, पब्लिक नोटिस जारी किया

 

वन नेशन वन इलेक्शन समिति की बैठक का फाइल फोटो।

देश में एक साथ चुनाव कराने को लेकर पूर्व राष्ट्रपति राम नाथ कोविन्द के नेतृत्व में बनाई गई समिति ‘एक देश, एक चुनाव’ पर आम लोगों से राय मांगी है। समिति ने इसके लिए सार्वजनिक नोटिस जारी किया है। इसमें 15 जनवरी तक सुझाव मांगे गए हैं।

 

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समिति ने नोटिस जारी करते हुए कहा कि देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए मौजूदा ढांचे में उचित बदलाव करने के लिए आम जनता से लिखित रूप में सुझाव आमंत्रित किए जाते हैं। आम लोगों से मिले सुझाव को विचार के लिए समिति के सामने रखा जाएगा।
यहां दे सकते हैं अपनी राय
समिति ने सुझाव देने के लिए एक वेबसाइट और ईमेल एड्रेस जारी किया है। समिति ने कहा कि आम लोग अपनी राय समिति की वेबसाइट onoe.gov.in पर पोस्ट कर सकते हैं, या फिर [email protected] पर ईमेल से भी सुझाव दिए जा सकते हैं।

 

समिति की दो बैठकें हुईं
यह समिति पिछले साल सितंबर में बनाई गई। इसके बाद से समिति की दो बैठकें हो चुकी हैं। इस समिति में पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, गृहमंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, 15वें वित्त आयोग के अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष सी कश्यप और पूर्व चीफ विजिलेंस कमिश्नर संजय कोठारी शामिल हैं। कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल इस समीति के विशेष आमंत्रित सदस्य और कानून सचिव नितिन चंद्रा सचिव हैं।

राजनीतिक दलों को लिखा लेटर

इसने हाल ही में राजनीतिक दलों को पत्र लिखकर एक साथ चुनाव कराने के मुद्दे पर राय जानने कि लिए बुलाया है। ये पत्र छह राष्ट्रीय पार्टियों, 33 राज्य पार्टियों और सात रजिस्टर्ड गैर-मान्यता प्राप्त पार्टियों को पत्र भेजे गए। बाद में सभी दलों को रिमाइंडर भी भेजा गया है।

लॉ कमिशन की भी राय ली
समिति ने एक साथ चुनाव कराने पर विधि आयोग के विचार भी सुने हैं। इस मुद्दे पर दोबारा लॉ पैनल को बुलाया जा सकता है। इस समय लॉ कमिशन एक साथ चुनाव कराने के विभिन्न फॉर्मूलों पर काम कर रहा है।इसके तहत एक ही साल में दो फेज में चुनाव की संभावना पर गौर किया जा सकता है। पहले चरण में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव कराए जाएंगे और दूसरे चरण में स्थानीय निकाय चुनाव कराए जा सकते हैं। साल 2018 में पिछले लॉ कमिशन ने लोकसभा और विधानसभा के चुनाव को एक साथ कराने के विचार का समर्थन किया था।

समिति का उद्देश्य संविधान के तहत मौजूदा ढांचे को ध्यान में रखते हुए, लोकसभा, राज्य विधान सभाओं, नगर पालिकाओं और पंचायतों के लिए एक साथ चुनाव कराने के लिए जांच करना और सिफारिशें करना है। इसके लिए लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950, लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और उसके तहत बनाए गए नियमों और किसी भी अन्य कानून या नियमों में क्या बदलाव करने होंगे, इसके बारे में सिफारिशें करना है।

क्या है वन नेशन वन इलेक्शन
भारत में फिलहाल राज्यों के विधानसभा और देश के लोकसभा चुनाव अलग-अलग समय पर होते हैं। वन नेशन वन इलेक्शन का मतलब है कि पूरे देश में एक साथ ही लोकसभा और विधानसभाओं के चुनाव हों। यानी मतदाता लोकसभा और राज्य के विधानसभाओं के सदस्यों को चुनने के लिए एक ही दिन, एक ही समय पर या चरणबद्ध तरीके से अपना वोट डालेंगे।

आजादी के बाद 1952, 1957, 1962 और 1967 में लोकसभा और विधानसभा के चुनाव एक साथ ही होते थे, लेकिन 1968 और 1969 में कई विधानसभाएं समय से पहले ही भंग कर दी गईं। उसके बाद 1970 में लोकसभा भी भंग कर दी गई। इस वजह से एक देश-एक चुनाव की परंपरा टूट गई।
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