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1:58टनल में फंसे मजदूरों को निकालने के लिए लाई गई ऑगर मशीन की ब्लेड्स मलबे में फंसकर टूट गईं।
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टनल के सिल्कियारा मुहाने से ऊपर से पानी का रिसाव बढ़ गया है, इससे बचाव दल की चिंता बढ़ गई
- ओलंपियन नीरज चोपड़ा को अपनी ‘बोली’ से प्यार: आज हरियाणवीं बोली को करेंगे प्रमोट; पानीपत में अपने गांव खंडरा से होगी शुरूआत
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टनल में खुदाई के दौरान ऑगर मशीन का शाफ्ट टूट गया। शनिवार को इसे बाहर निकाला गया।
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रेस्क्यू टीम ने ऑगर मशीन के हिस्से को काटकर बाहर निकाला। ब्लेड के टुकड़े टनल में ही फंसे हैं।
- शनिवार सुबह ऑगर मशीन के टूटे शाफ्ट को जेसीबी मशीन के जरिए रेस्क्यू साइट से हटा दिया गया।
- वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें सुरंग के ऊपर ले जाई गई हैं। यहां से नीचे की तरफ सीधी खुदाई होगी।
- फंसे मजदूरों के पास कैमरा पहुंचने पर उन्होंने एक्सपर्ट टीम से बात की और खाने की डिमांड की।
उत्तरकाशी की सिल्क्यारा टनल में फंसे 41 मजदूरों को बाहर निकालने के लिए अब ऑगर मशीन से ड्रिलिंग नहीं होगी। मजदूरों से महज 10 मीटर दूर अमेरिकी ऑगर मशीन टूटने के कारण रेस्क्यू का काम शुक्रवार से रुका है। अब प्लाज्मा कटर से ऑगर मशीन के शाफ्ट और ब्लेड्स को काटकर बाहर निकालने की कोशिश की जाएगी।
एक्सपर्ट्स का कहना है कि अगर मशीन के टुकड़े सावधानी से नहीं निकाले गए तो इससे सुरंग में बिछाई गई पाइपलाइन टूट सकती है। लिहाजा ऑगर मशीन का टूटा हिस्सा निकाले जाने के बाद मैन्युअल ड्रिलिंग शुरू होगी। हालांकि इसमें कितना टाइम लगेगा, इसके बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।
इस बीच आज वर्टिकल ड्रिलिंग शुरू करने के किए तैयारियां तेज हैं। आज शाम तक इस पर काम शुरू हो सकता है। साथ ही टनल में फोन की लैंडलाइन भी डाली जाएगी। इससे मजदूर अपने परिवार से बात कर सकेंगे।
देखिए वो तस्वीर जिसने चिंता बढ़ा दी…
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टनल के सिल्कियारा मुहाने से ऊपर से पानी का रिसाव बढ़ गया है, इससे चिंता बढ़ गई है।
अब जानिए हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग क्यों रुकी
दरअसल, 21 नवंबर से सिलक्यारा की तरफ से टनल में हॉरिजॉन्टल ड्रिलिंग की जा रही थी। इसमें काफी हद कामयाबी मिली। 60 मीटर के हिस्से में से 47 मीटर तक ड्रिलिंग के जरिए पाइप डाला जा चुका है। मजदूरों तक करीब 10-12 मीटर की दूरी रह गई थी, लेकिन शुक्रवार शाम को ड्रिलिंग मशीन के सामने सरिए आ जाने से ड्रिलिंग मशीन का शाफ्ट फंस गया।
जब मशीन से और प्रेशर डाला गया तो वह टूट गया। इसका कुछ हिस्सा तोड़कर निकाला गया, लेकिन बड़ा हिस्सा अभी भी वहां अटका हुआ है। इसे मैनुअल ड्रिलिंग कर निकाला जाएगा, फिर आगे खुदाई की जाएगी। दरअसल, पाइप में एक ही व्यक्ति जा सकता है और खुदाई कर सकता है। इसलिए, ऐसा करने में काफी वक्त लग सकता है।
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टनल में खुदाई के दौरान ऑगर मशीन का शाफ्ट टूट गया। शनिवार को इसे बाहर निकाला गया।
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रेस्क्यू टीम ने ऑगर मशीन के हिस्से को काटकर बाहर निकाला, हालांकि अब भी ब्लेड के टुकड़े टनल में ही फंसे हैं।
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शनिवार सुबह ऑगर मशीन के टूटे शाफ्ट को जेसीबी मशीन के जरिए रेस्क्यू साइट से हटा दिया गया।
अब प्लान B: वर्टिकल ड्रिलिंग, लेकिन यह बेहद खतरनाक
सिल्क्यारा साइड से ड्रिलिंग फिलहाल रुकी हुई है, इसके चलते प्लान बी पर काम हो रहा है। इसमें हिल टॉप से वर्टिकली खुदाई की जाएगी। हिलटॉप साइट पर समान जुटाया जा रहा है और प्लेटफार्म तैयार किया जा रहा है जिस पर मशीन रखकर ड्रिलिंग होगी। ये वर्टिकल ड्रिलिंग का शाफ्ट है, जिसे हिल टॉप पर ले जाया जा रहा है।
इस काम को सतलुज विद्युत निगम लिमिटेड (SVNL) अंजाम देगा। हालांकि, इसमें काफी खतरा बताया जा रहा है, क्योंकि नीचे टनल में मजदूर हैं। ऊपर से बड़ा होल कर नीचे जाने के लिए रास्ता बनाया जाएगा, इसमें काफी मलबा गिरने की आशंका है। इसमें भी कितना वक्त लगेगा, यह तय नहीं है।
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टनल में वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए मशीनें सुरंग के ऊपर ले जाई गई हैं। यहां से नीचे की तरफ सीधी खुदाई होगी।
ग्राफिक्स से समझिए कि मजदूरों को निकालने की कोशिशें कैसे हो रही हैं…
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अब तक क्या हुआ?
24 नवंबर: सुबह ड्रिलिंग का काम शुरू हुआ तो ऑगर मशीन के रास्ते में स्टील के पाइप आ गए, जिसके चलते पाइप मुड़ गया। स्टील के पाइप और टनल में डाले जा रहे पाइप के मुड़े हुए हिस्से को बाहर निकाल लिया गया। ऑगर मशीन को भी नुकसान हुआ था, उसे भी ठीक कर लिया गया।
इसके बाद ड्रिलिंग के लिए ऑगर मशीन फिर मलबे में डाली गई, लेकिन टेक्निकल ग्लिच के चलते रेस्क्यू टीम को ऑपरेशन रोकना पड़ा। उधर, NDRF ने मजदूरों को निकालने के लिए मॉक ड्रिल की।
23 नवंबर: अमेरिकी ऑगर ड्रिल मशीन तीन बार रोकनी पड़ी। देर शाम ड्रिलिंग के दौरान तेज कंपन होने से मशीन का प्लेटफॉर्म धंस गया। इसके बाद ड्रिलिंग अगले दिन की सुबह तक रोक दी गई। इससे पहले 1.8 मीटर की ड्रिलिंग हुई थी।
22 नवंबर: मजदूरों को नाश्ता, लंच और डिनर भेजने में सफलता मिली। सिलक्यारा की तरफ से ऑगर मशीन से 15 मीटर से ज्यादा ड्रिलिंग की गई। मजदूरों के बाहर निकलने के मद्देनजर 41 एंबुलेंस मंगवाई गईं। डॉक्टरों की टीम को टनल के पास तैनात किया गया। चिल्यानीसौड़ में 41 बेड का हॉस्पिटल तैयार करवाया गया।
21 नवंबर: एंडोस्कोपी के जरिए कैमरा अंदर भेजा गया और फंसे हुए मजदूरों की तस्वीर पहली बार सामने आई। उनसे बात भी की गई। सभी मजदूर ठीक हैं। मजदूरों तक 6 इंच की नई पाइपलाइन के जरिए खाना पहुंचाने में सफलता मिली। ऑगर मशीन से ड्रिलिंग शुरू हुई।
केंद्र सरकार की ओर से 3 रेस्क्यू प्लान बताए गए। पहला- ऑगर मशीन के सामने रुकावट नहीं आई तो रेस्क्यू में 2 से 3 दिन लगेंगे। दूसरा- टनल की साइड से खुदाई करके मजदूरों को निकालने में 10-15 दिन लगेंगे। तीसरा- डंडालगांव से टनल खोदने में 35-40 दिन लगेंगे।
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फंसे मजदूरों के पास कैमरा पहुंचने पर उन्होंने एक्सपर्ट टीम से बात की और खाने की डिमांड की थी।
20 नवंबर: इंटरनेशनल टनलिंग एक्सपर्ट ऑर्नल्ड डिक्स ने उत्तरकाशी पहुंचकर सर्वे किया और वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए 2 स्पॉट फाइनल किए। मजदूरों को खाना देने के लिए 6 इंच की नई पाइपलाइन डालने में सफलता मिली। ऑगर मशीन के साथ काम कर रहे मजदूरों के रेस्क्यू के लिए रेस्क्यू टनल बनाई गई। BRO ने सिलक्यारा के पास वर्टिकल ड्रिलिंग के लिए सड़क बनाने का काम पूरा किया।
19 नवंबर: सुबह केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और उत्तराखंड CM पुष्कर धामी उत्तरकाशी पहुंचे, रेस्क्यू ऑपरेशन का जायजा लिया और फंसे लोगों के परिजनों को आश्वासन दिया। शाम चार बजे सिलक्यारा एंड से ड्रिलिंग दोबारा शुरू हुई। खाना पहुंचाने के लिए एक और टनल बनाने की शुरुआत हुई। टनल में जहां से मलबा गिरा है, वहां से छोटा रोबोट भेजकर खाना भेजने या रेस्क्यू टनल बनाने का प्लान बना।
18 नवंबर: दिनभर ड्रिलिंग का काम रुका रहा। खाने की कमी से फंसे मजदूरों ने कमजोरी की शिकायत की। PMO के सलाहकार भास्कर खुल्बे और डिप्टी सेक्रेटरी मंगेश घिल्डियाल उत्तरकाशी पहुंचे। पांच जगहों से ड्रिलिंग की योजना बनी।
17 नवंबर: सुबह दो मजदूरों की तबीयत बिगड़ी। उन्हें दवा दी गई। दोपहर 12 बजे हैवी ऑगर मशीन के रास्ते में पत्थर आने से ड्रिलिंग रुकी। मशीन से टनल के अंदर 24 मीटर पाइप डाला गया। नई ऑगर मशीन रात में इंदौर से देहरादून पहुंची, जिसे उत्तरकाशी के लिए भेजा गया। रात में टनल को दूसरी जगह से ऊपर से काटकर फंसे लोगों को निकालने के लिए सर्वे किया गया।
16 नवंबर: 200 हॉर्स पावर वाली हैवी अमेरिकन ड्रिलिंग मशीन ऑगर का इंस्टॉलेशन पूरा हुआ। शाम 8 बजे से रेस्क्यू ऑपरेशन दोबारा शुरू हुआ। रात में टनल के अंदर 18 मीटर पाइप डाले गए। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने रेस्क्यू ऑपरेशन की रिव्यू मीटिंग की।
15 नवंबर: रेस्क्यू ऑपरेशन के तहत कुछ देर ड्रिल करने के बाद ऑगर मशीन के कुछ पार्ट्स खराब हो गए। टनल के बाहर मजदूरों के परिजनों की की पुलिस से झड़प हुई। वे रेस्क्यू ऑपरेशन में देरी से नाराज थे। PMO के हस्तक्षेप के बाद दिल्ली से एयरफोर्स का हरक्यूलिस विमान हैवी ऑगर मशीन लेकर चिल्यानीसौड़ हेलीपैड पहुंचा। ये पार्ट्स विमान में ही फंस गए, जिन्हें तीन घंटे बाद निकाला जा सका।
14 नवंबर: टनल में लगातार मिट्टी धंसने से नॉर्वे और थाईलैंड के एक्सपर्ट्स से सलाह ली गई। ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रॉलिक जैक को काम में लगाया। लेकिन लगातार मलबा आने से 900 एमएम यानी करीब 35 इंच मोटे पाइप डालकर मजदूरों को बाहर निकालने का प्लान बना। इसके लिए ऑगर ड्रिलिंग मशीन और हाइड्रॉलिक जैक की मदद ली गई, लेकिन ये मशीनें भी असफल हो गईं।
13 नवंबर: शाम तक टनल के अंदर से 25 मीटर तक मिट्टी के अंदर पाइप लाइन डाली जाने लगी। दोबारा मलबा आने से 20 मीटर बाद ही काम रोकना पड़ा। मजदूरों को पाइप के जरिए लगातार ऑक्सीजन और खाना-पानी मुहैया कराया जाना शुरू हुआ।
12 नवंबर: सुबह 4 बजे टनल में मलबा गिरना शुरू हुआ तो 5.30 बजे तक मेन गेट से 200 मीटर अंदर तक भारी मात्रा में जमा हो गया। टनल से पानी निकालने के लिए बिछाए गए पाइप से ऑक्सीजन, दवा, भोजन और पानी अंदर भेजा जाने लगा। बचाव कार्य में NDRF, ITBP और BRO को लगाया गया। 35 हॉर्स पावर की ऑगर मशीन से 15 मीटर तक मलबा हटा।
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