आस्था: रामचरित सत्य है, भागवत प्रेम की कथा है व श्रीमद् भगवत गीता श्री कृष्ण की करुणा- संत मुरारी बापू

 

  • विहिप के अंतरराष्ट्रीय महामंत्री सहित प्रमुख संतों ने श्रवण की श्री राम कथा

जीओ गीता की ओर से गीता जयंती पर ब्रह्मसरोवर किनारे आयोजित श्रीराम कथा मानस गीता के चौथे दिन कई संत पहुंचे। व्यासपीठ से प्रसिद्ध कथावाचक संत मुरारी बापू को सुनने के लिए रोजाना भीड़ उमड़ रही है। संत मुरारी बापू ने कहा कि रामचरित सत्य है, भागवत प्रेम की कथा है और श्रीमद् भगवत गीता कृष्ण की करुणा है। उन्होंने कहा कि जिसका मोह नष्ट हो जाए उसे जीवन में कुछ भी करने की जरूरत नहीं है। शास्त्र को सर्वोपरि बताते हुए उन्होंने कहा कि शास्त्र का अपमान श्रद्धा का अपमान है।

रोहतक में कोरियर के नाम पर ठगी: पहले ऑनलाइन रजिस्ट्रेशन के 5 रुपए किए चार्ज, फिर 46500 रुपए की धोखाधड़ी

कथा के शुभारंभ से पूर्व श्रीराम कथा मानस गीता के मुख्य संयोजक प्रदीप मित्तल, संरक्षक डॉ. सुदर्शन अग्रवाल, अशोक चावला, विभु पालीवाल, राजेश पजनी एवं विजय नरूला ने कथा में पधारे संतो एवं अतिथियों का स्वागत किया। शुकतीर्थ से पधारे स्वामी केशवानंद महाराज, स्वामी गीतानंद महाराज, स्वामी दयानंद महाराज, विश्व हिंदू परिषद के अंतर्राष्ट्रीय महामंत्री मिलिंद एस. परांदे एवं राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के प्रांत प्रचारक विजय कुमार ने व्यासपीठ पर विराजमान मुरारी बापू को नमन किया।

गीता पर हुआ संवाद

श्रीराम कथा मानस गीता पर संत मुरारी बापू ने कहा कि जीवन में अपेक्षा नहीं रखनी चाहिए। अपेक्षा हर लक्ष्य में बाधक है। मानव को अपने लक्ष्य के लिए अपेक्षा से दूर रहना चाहिए। उन्होंने कहा कि कोई भी व्याख्या केवल मार्गदर्शन करती है। उद्धार तो आपका अनुभव ही करेगा। अगर ज्ञान लेने वाला व्यक्ति सही नहीं होगा तो वह कुछ प्राप्त नहीं कर सकता। भगवान श्री कृष्ण को 700 श्लोक कहने के बाद इस सृष्टि को बोलना पड़ा मेरी शरण में आ जाओ, लोगों ने इस पर आपत्ति भी जताई कि कृष्ण अहंकार में बोल रहे हैं कि मेरी शरण में आ मैं ही तुम्हारा उद्धार करूंगा। मानस गीता में ऐसा नहीं हुआ।

नारनौल के वकील महंत बालकनाथ के पक्ष में: बहरोड MLA द्वारा की गई टिप्पणी का विरोध; SDM को ज्ञापन देकर कार्रवाई की मांग

लक्ष्मण इसलिए पहले ही श्रीराम की शरण में आ गए कि कोई मेरे प्रभु पर अंगुली न उठाए। उन्होंने इसी दौरान पंक्तियां कही कि कितनी सदियां बीत गई हाय तुझे समझाने में। उन्होंने कहा कि जब तक पात्र खाली नहीं होगा तब तक उसमें कुछ डलने वाला नहीं है। इसलिए स्वयं को खाली करके ही कुछ सुनना चाहिए। अब मानस पर भी लिखा जाने लगा है। बापू ने कहा कि मानस पर तो आना ही पड़ेगा। मानस हृदय है कब तक बुद्धि पर रहोगे। बुद्धि प्रभाववादी है, तुरंत किसी के प्रभाव में आ जाती है। किसी वक्ता की वाणी के प्रभाव से ज्यादा प्रभावित नहीं होना चाहिए। उससे प्रेरणा लेनी चाहिए। लेकिन मन अभाववादी है और जिसका अंत:करण ठीक हो गया उसके पीछे शास्त्र आशीर्वाद देने के लिए पीछे-पीछे जाते हैं।

 

खबरें और भी हैं…

.
हिसार के चंदन नगर में 5 तोले जेवर-कैश चोरी: बहनें घर को ताला लगा ताऊ के मकान में सोने गई थी

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *