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आर्य समाज सफीदों का मासिक सत्संग संपन्न
एस• के• मित्तल
सफीदों, आर्य समाज सफीदों का मासिक सत्संग रविवार को नगर के आर्य समाज मंदिर में संपन्न हुआ। इस मौके पर विशाल हवन किया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने हवन में आहुति डालकर समाज व परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर सहारनपुर (उत्तरप्रदेश) से आईं भजनोपदेशिका बहन संगीता आर्या अपने भजनों के माध्यम से लोगों के समक्ष आर्य समाज की महिमा का बखान किया।
सफीदों, आर्य समाज सफीदों का मासिक सत्संग रविवार को नगर के आर्य समाज मंदिर में संपन्न हुआ। इस मौके पर विशाल हवन किया गया। उपस्थित श्रद्धालुओं ने हवन में आहुति डालकर समाज व परिवार की सुख-समृद्धि की कामना की। इस अवसर पर सहारनपुर (उत्तरप्रदेश) से आईं भजनोपदेशिका बहन संगीता आर्या अपने भजनों के माध्यम से लोगों के समक्ष आर्य समाज की महिमा का बखान किया।
समारोह में आर्य कन्या गुरूकुल पिल्लूखेड़ा के संचालक स्वामी धर्मदेव का सानिध्य प्राप्त हुआ। अपने संबोधन में स्वामी धर्मदेव ने कहा कि मुगल कालीन शासकों एवं अंग्रेजी शासन में हिदू धर्म का निरंतर पतन हो रहा था। चारों और अंधविश्वास और पांखड का बोलबाला था। इन सब कुरीतियों से हिदू धर्म को बचाने व वैदिक धर्म की ओर ले जाने के लिए महर्षि दयानंद सरस्वती ने आर्य समाज की स्थापना की तथा घर-घर जाकर आर्य समाज का प्रचार करते हुए सत्यार्थ प्रकाश के अध्ययन करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि वेद मंत्रों में बहुत बड़ी ताकत है तथा हर इंसान को नित्यप्रति हवन करना चाहिए। हवन करने से मनुष्य का मानसिक व आध्यात्मिक विकास तो होता ही है साथ ही साथ वातावरण भी शुद्ध होता है। कार्यक्रम के समापन पर उपरांत विशाल ऋषि लंगर का आयोजन किया गया, जिसमें सैंकड़ों श्रद्धालुओं ने प्रसाद ग्रहण किया।
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