एंट्री क्रप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने गुड़गांव से शनिवार देर रात आबकारी एवं कराधान विभाग के अतिरिक्त आयुक्त (इन्फोर्समेंट) आईआरएस अधिकारी धीरज गर्ग को गिरफ्तार किया। रविवार को पलवल कोर्ट में पेश कर 3 दिन के रिमांड पर लिया। उन पर उद्योगपतियों और ट्रांसपोर्टर्स से रिश्वत लेकर बिना बिल वाले माल से लोड ट्रकों को पास कराने का आरोप है।
इससे सरकार को करोड़ों के जीएसटी का नुकसान हो रहा था। जांच में अब तक धीरज की 49 करोड़ रुपए की प्रॉपर्टी का खुलासा हो चुका है, जो पंचकूला, गुड़गांव, दिल्ली में है। उन्होंने शेल कंपनियों में भी पैसा लगाया है।
कंपनियों का पता उसके गुड़गांव के घर व पंचकूला के फ्लैट का दिया हुआ है। वह इनमें रहने का हाउस रेंट अलाउंस भी सरकार से ले रहा था। पिछले 3-4 साल में प्रदेश में वैट, शराब, सी-फॉर्म, शेल कंपनियों के घोटाले हुए। इस दौरान धीरज गर्ग न सिर्फ इस विभाग में एडमिनिस्ट्रेटर, बल्कि चीफ ऑफिसर और इन्फोर्समेंट हेड रहे।एसीबी अब उनसे पूछताछ के आधार पर उन ट्रांसपोर्टर्स तक भी पहुंचेगा, जिनकी गाडियों को बिना टैक्स लिए छोड़ दिया जाता था।
ऐसे चलता था नेटवर्क
सूत्रों के अनुसार, जीएसटी चोरी के लिए दिल्ली से लोड होने वाले ट्रकों में केवल 50% माल बिल और पर्ची का होता था। 50% माल का न कोई बिल होता और न पर्ची होती। इसी 50% माल को ले जाने के लिए एक-एक ट्रांसपोर्टर अपनी गाड़ियों की संख्या के अनुसार महीने में एक से पांच लाख रुपए तक की रिश्वत देता था।
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सूत्रों का कहना है कि ट्रांसपोर्टर्स का गैंग इतना सक्रिय था कि वह अधिकारियों से सांठ-गांठ कर एक ही बिल्टी पर कई गाड़ियां पास करा लेते थे। पलवल और गाजियाबाद के दो नामी ट्रांसपाेर्टर ठेकेदार पैसों की उगाही कर अधिकारियों तक पहुंचाते थे। इन ठेकेदारों का संपर्क सीधे अतिरिक्त आयुक्त धीरज गर्ग से था।
व्यापारियों और ट्रांसपोर्टर्स को जीएसटी का डर दिखाता था
सूत्रों के अनुसार, भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी धीरज गर्ग साल 2020 से अक्टूबर 2022 तक फरीदाबाद-पलवल में प्रतिनियुक्ति पर थे। उन्होंने पहले जीएसटी का डर दिखा व्यापारियों-ट्रांसपोर्टर्स से सेटिंग की। फिर जिले में आबकारी एवं कराधान अधिकारी की चेकिंग बंद करा दी। फरीदाबाद, पलवल, गुड़गांव व करनाल सहित सभी जिलों में जिला आबकारी एवं कराधान आयुक्त के ट्रांसफर किए।
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