“न ही बच्चे का किडनैप हुआ, न ही वो बरामद हुआ। जो कुछ भी हुआ। अब हमें कोई मतलब नहीं…हमारा भाई सुरक्षित घर आ गया। यही बहुत है हमारे परिवार के लिए।”
ये शब्द बस्ती के कृष्ण मुरारी के हैं, जिनके भाई राहुल का अपहरण 6 दिसंबर, 2001 को हुआ था। बड़े भाई बस इतना बोलकर चुप हो जाते हैं। इसके बाद हर सवाल का सिर्फ ‘न’ में जवाब था। इसको यूपी के बाहुबली अमरमणि त्रिपाठी का खौफ कहें या कुछ और…
पिछले हफ्ते जेल से रिहा हुए अमरमणि का बस्ती जिले के बहुचर्चित अपहरण कांड में भी नाम है। 15 साल के राहुल को स्कूल जाते वक्त रास्ते से कुछ लोगों ने मारुति कार से किडनैप कर लिया। इसकी सूचना मिलते ही पुलिस महकमे में हड़कंप मच गया। राहुल की तलाश शुरू हुई, तो पुलिस ने 7 दिन में बच्चे को सकुशल बरामद कर लिया।
मामले में पुलिस ने 9 लोगों को आरोपी बनाया। आरोपियों में एक नाम उस वक्त बसपा सरकार में मंत्री अमरमणि त्रिपाठी का भी था। इस किडनैपिंग केस की जड़ें कहां तक फैली थी? आखिर यूपी के बाहुबली नेता ने एक लड़के का अपहरण क्यों करवाया? किडनैप हुआ बच्चा किस हालत में है? इन तमाम सवालों का जवाब खोजने हम बस्ती पहुंचे।
बैग में रखी डायरी से घरवालों को मिली सूचना
6 दिसंबर, 2001 को कड़ाके की ठंड पड़ी रही थी। बस्ती जिले के रंजीत चौराहे से 15 साल का राहुल मद्धेशिया सेंट बेसिल जाने के लिए सुबह 7:40 बजे निकला था। घर से स्कूल की दूरी महज दो किलोमीटर थी। तभी 400 मीटर पर ही एक मारुति कार उसे ओवरटेक करके रोक लेती है।
कार से 2 लोग निकलते हैं और बच्चे को जबरदस्ती अपने साथ गाड़ी में बैठा लेते हैं। साइकिल से बैग निकालने की कोशिश करते हैं, लेकिन निकाल नहीं पाते हैं। तो बच्चे को लेकर भाग जाते हैं। वहां मौजूद लोग डायरी पर लिखे पते से बच्चे के घरवालों को सूचना देते हैं। परिवार वाले आनन-फानन में पुलिस को अपहरण की सूचना देते हैं। ये पूरी घटना महज 10 मिनट के अंतराल की है।
STF की टीमें शहर के हर कोने में तलाश रही थीं
अपहरण की सूचना जिले में आग की तरह फैल जाती है। बच्चे के पिता धर्मराज शहर के बड़े व्यापारियों में से एक थे इसलिए काफी पहचान भी थी। इधर पुलिस बच्चे की तलाश में शहर के हर कोने में छापेमारी कर रही थी। बच्चे के परिवार वाले व मोहल्ले वाले भी ढूंढने के प्रयास में लगे थे। लेकिन कोई सुराग हाथ नहीं लगा। पूरा परिवार बस भगवान से प्रार्थना कर रहा था कि बच्चे को कुछ न हो।
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अब पूरा दिन बीत चुका था लेकिन बच्चे का कोई सुराग नहीं मिला। दिसंबर की कड़ाके ठंड में इस तरह की घटना ने पूरे शहर का तापमान और ठंडा कर दिया था। अगले दिन भी पुलिस की टीमें तलाशती रही। इसके बाद बच्चे की तलाश के लिए STF गठित की गई। STF भी अपने सूत्रों के माध्यम से तलाश कर रही थी। अब STF की अलग-अलग टीमें बस्ती को छोड़कर अन्य शहरों की तरफ रुख कर चुकी थी।
ये बस्ती का सेंट बेसिल स्कूल है, जहां पर राहुल पढ़ने जाता था।
5 दिन तक किडनैपिंग की वजह पता नहीं चली
बच्चे को गायब हुए 5 दिन हो गए। लेकिन बच्चे के अपहरण की वजह नहीं पता चल पा रही थी। क्योंकि अभी तक न तो फिरौती का न ही किसी अन्य चीज के लिए कॉल आया। ऐसे में बदमाशों को ट्रेस करना काफी मुश्किल हो रहा था। तभी टीम बच्चे को अलग-अलग तरीके से तलाशते हुए लखनऊ पहुंची।
12 दिसंबर की देर पुलिस ने राहुल को लखनऊ के पेपरमिल स्थित तत्कालीन विधायक अमरमणि त्रिपाठी के घर से बरामद कर लिया। बच्चे को सुरक्षित बरामद करने के बाद पुलिस ने अमरमणि त्रिपाठी सहित 9 अन्य शिवम, नैनीश, आनंद सिंह, अजय मिश्रा उर्फ मुन्ना, राम विलास, जगप्रसाद, हनुमान, संदीप (मौत हो चुकी है) को आरोपी बनाया। लेकिन घटना के 22 साल बाद भी आरोपियों के गैर हाजिर होने की वजह से अभी भी आरोप तय नहीं हो पाए हैं।
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- यहां रुकते हैं। अब किडनैप किए गए बच्चे के बड़े भाई कृष्ण मुरारी की बातों पर चलते हैं…
राहुल के बड़े भाई मुरारी कृष्ण मद्धेशिया 3 भाइयों में सबसे बड़े हैं। राहुल दूसरे नंबर पर है। इस घटना के वक्त उसकी उम्र 20 साल थी। राहुल के भाई कृष्ण मुरारी बताते हैं, “किडनैपर्स ने मेरे भाई को 7 दिन तक अपने पास रखा। लापता बेटे को देखने के लिए माता-पिता भगवान के आगे बैठकर बच्चे के लिए प्रार्थना कर रहे थे। उसे खोजने के लिए मां घर से निकलकर सड़क पर भटकती रहती। उनके परेशान होने पर सोने का इंजेक्शन देना पड़ता था।”
“एक सप्ताह बीत गए, राहुल घर नहीं आया था। 12-13 दिसंबर की रात करीब 2:30 बजे फोन बजा। मां ने कॉल रिसीव किया। तो उधर से आवाज आई – हम STF वाले बोल रहे हैं। आपका बेटा मिल गया है। इसके बाद राहुल से 15 सेकेंड बात करवाने के बाद फोन वापस ले लिया और अगले दिन थाने आने को कहा। अगले दिन थाने पहुंचने पर राहुल को हमें सुपुर्द कर दिया।”
राहुल के शरीर पर एक भी चोट के निशान नहीं मिले
कृष्ण मुरारी कहते हैं, “जब हम राहुल को घर लाए और चेक किया तो उसको एक भी चोट नहीं थी। राहुल से पूछने पर उसने बताया कि उसे ज्यादा कुछ नहीं पता कि कहां ले गए थे? क्योंकि उसे दिन भर नशे में रखते थे। हां, ये जरूर बताया कि यहां से ले जाते वक्त तीन गाड़ियां बदली गईं। इसके अलावा उसे किसी का चेहरा या हुलिया नहीं याद है।”
“जिस घर में रखा, वहां पर पूरा दिन बेहोश रखते थे। खाना खिलाते वक्त सबसे पहले राहुल को खिलाते उसके बाद खुद खाते थे। कभी मारा-पीटा नहीं। इस घटना को इतने साल बीत चुके हैं कि राहुल भी सब भूल चुका है। सब सामान्य हो गया। वहां से आने के बाद सेंट बेसिल से ही 12वीं की पढ़ाई पूरी की। इसके बाद बस्ती के किसान पीजी कॉलेज से ग्रेजुएशन पूरा। घटना के करीब 6 तक बस्ती में ही रहकर पढ़ाई पूरी की।”
क्या अमरमणि त्रिपाठी ने अपहरण किया था?
इस सवाल के जवाब में मुरारी बताते हैं कि हम इस विषय पर कुछ नहीं कह सकते हैं। आज हमारा भाई हमारे साथ है, बस यही बहुत है। हम तो इस केस में पैरवी भी नहीं कर रहे हैं। जब हमें आरोपियों का पता ही नहीं तो किसके खिलाफ कार्रवाई की मांग करेंगे।
इधर कुछ दिनों से पेपर के माध्यम से पता चला कि केस पर सुनवाई चल रही है। जबकि हम इस मामले को पूरी तरह भूल कर अपना जीवनयापन कर रहे हैं। जिसके साथ घटना हुई वो भी सब भूल चुका है। अपनी पढ़ाई पूरी करके नौकरी पेशे से जुड़ चुका है।
राहुल की मां शारदा देवी की तबीयत काफी खराब रहती है। ज्यादा कुछ बोलती नहीं हैं, लेकिन जब इस घटना के बारे में पूछा तो बोलने लगी कि हमारा बेटा सही सलामत है। अब क्यों उस मामले पर बात करनी है। बोलते-बोलते आंखें नम हो गई और बोली अब पति भी नहीं है। ये सब कौन झेलेगा। दोबारा वो मंजर याद करने से कोई फायदा नहीं है।
इस तस्वीर में राहुल के भाई मुरारी, चाचा अवधेश व मां शारदा हैं। मां से घटना के बारे में पूछने पर बस एक ही चीज कहती हैं कि अब कोई मतलब नहीं।
मछली बेचने वाले बनकर पहुंची STF
मुरारी आगे बताते हैं कि जब घटना हुई तो तब होश तो संभाल लिया था, लेकिन पुलिस की कार्रवाई से हम लोगों को दूर रखा जाता था। जो पुलिस कहती थी, उसी हिसाब से सब किया जाता है। घर में चर्चा के दौरान ही पता चला था कि तलाश में जुटे STF वाले मछली वाले की वेशभूषा में घूम-घूमकर पता करते थे। पहले तालाब से मछली पकड़ते उसके बाद उसे घटनास्थल पर बेचने जाते। जिससे किसी को शक न हो। क्योंकि बदमाशों को अगर पुलिस का पता चल जाता तो वो कुछ कर सकते थे।
लखनऊ बुलाकर परिवार को सौंपा बच्चा
चाचा अवधेश कुमार मद्धेशिया बताते हैं, ”मेरे भाई का लड़का था। 6 दिसंबर को स्कूल जाते समय कुछ लोगों ने उसका किडनैप कर लिया। जिसकी सूचना हमने पुलिस को दी। उस समय के मौजूदा एडिशनल साहब राजीव साबरवाल ने काफी अच्छा काम किया। हमें नहीं पता था कि बच्चे को कहा ले गए। अंदर ही अंदर काम तफ्तीश पूरी करवा कर बच्चे को बरामद करा लिया।
हमारे पास 7 दिन बाद एक कॉल आया, जिससे पता चला कि बच्चा मिल गया है। इसके बाद हम लोग लखनऊ गए और बच्चे को सही सलामत बस्ती लेकर आ गए। इस घटना को अब 22 साल बीत चुके हैं। बच्चा सही सलामत मिल चुका, तो हम इस घटना को भूल चुके हैं।
कोर्ट से गैरहाजिर होने के कारण आरोप तय नहीं हुआ
विशेष शासकीय वकील रश्मि त्रिपाठी ने बताया कि MP-MLA कोर्ट के न्यायाधीश प्रमोद कुमार गिरि की कोर्ट ने 28 अगस्त, 2023 को पूर्व विधायक अमरमणि त्रिपाठी के मामले की सुनवाई की। न्यायाधीश ने पूर्व विधायक के साथ अनुपस्थित चल रहे दो अन्य आरोपियों नैनीश शर्मा व शिवम उर्फ राम यज्ञ की संपत्ति कुर्क करने का आदेश दिया है। कोर्ट के सामने 6 दिसंबर, 2001 को हुए गांधीनगर रहने वाले धर्मराज गुप्ता के पुत्र राहुल मद्धेशिया के अपहरण कांड को रखा गया।
जिसमें बताया गया कि पुलिस ने तत्कालीन विधायक अमरमणि त्रिपाठी के लखनऊ स्थित घर से हफ्तेभर बाद अपहरण हुए बच्चे को बरामद किया था। मामले में नौ लोगों को आरोपी बनाया गया है, जिसमें पूर्व विधायक सहित तीन लोग अदालत में गैर हाजिर चल रहे हैं, जिससे सुनवाई बाधित हो रही है। अमरमणि, नैनीश शर्मा व शिवम उर्फ राम यज्ञ के अदालत में हाजिर न होने से कार्रवाई 22 वर्ष से लंबित चल रही है। जबकि नौ में एक आरोपी की मौत हो चुकी है।
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