प्रतापगढ़ का एक कस्बा है…लालगंज अझारा। जिला मुख्यालय से करीब 26 किलोमीटर दूर। साल 2016 तक ये घुइसरनाथ मंदिर के लिए जाना जाता था। लेकिन इसके बाद यहां की एक और पहचान बन गई। वो था अनिल मिश्रा का परिवार। अनिल मिश्रा के चार बच्चे हैं और चारों अब IAS-IPS हैं।
दैनिक भास्कर ने अनिल मिश्रा के बड़े बेटे IAS योगेश मिश्रा से बातचीत की। उन्होंने अपने भाई-बहनों की जो कहानी बताई वह बड़ी इंट्रेस्टिंग है। आज रक्षाबंधन के मौके पर आइए उनकी सक्सेस की पूरी कहानी जानते हैं। ये भी जानेंगे कि कैसे चारों भाई-बहन ने IAS-IPS बनने में एक दूसरे की मादद की।
दो कमरों का घर, दो लालटेन; पढ़ने वाले 4 लोग
लालगंज अझारा के इटौरी गांव में अनिल मिश्रा का छोटा सा दो कमरों का घर था। अनिल के परिवार में 6 लोग थे। अनिल, उनकी पत्नी और चार बच्चे- योगेश, क्षमा, माधवी और लोकेश।
तस्वीर में अनिल और उनकी पत्नी कृष्णा हैं। सबसे बाईं तरफ माधवी, उसके साथ क्षमा हैं। माता-पिता के आगे लोकेश और सबसे दाईं तरफ योगेश हैं।
अनिल ग्रामीण बैंक में बतौर मैनेजर काम कर रहे थे। परिवार में कमाने वाले वही एक थे। जितनी सैलरी मिलती वो सारा पैसा अपने बच्चों की पढ़ाई-लिखाई में लगा देते थे।
अनिल के बड़े बेटे योगेश बताते हैं कि हम चारों भाई बहन में उम्र का ज्यादा अंतर नहीं था। सब एक साथ पढ़ाई करते थे। पढ़ने में बचपन से ही एक-दूसरे की मदद करते थे। घर में सिर्फ दो कमरे थे। कभी कोई मेहमान आ जाते तो हमारी पढ़ाई डिस्टर्ब हो जाती। साथ ही गांव में उस वक्त लाइट की बहुत समस्या थी। दिन में तो हम पढ़ लेते थे लेकिन रात में पढ़ाई के लिए बहुत संघर्ष होता था।
घर में तीन लालटेन थी। एक लालटेन घर के दूसरे कामों में इस्तेमाल होती थी तो हम चारों दो लालटेन की रोशनी में अपनी रोज की पढ़ाई पूरी करते थे।
दोनों बहनें UPSC की तैयारी कर रहीं थी
चारों भाई-बहन में सबसे बड़े योगेश थे। चारों के UPSC क्लियर करने की कहानी योगेश से ही शुरू होती है। लेकिन योगेश हमेशा से IAS नहीं बनना चाहते थे। साल 2012 तक वो नॉएडा में बतौर सॉफ्टवेयर इंजीनियर नौकरी करते थे। जबकि दोनों बहने क्षमा और माधवी दिल्ली में रहकर UPSC की तैयारी कर रहीं थी। छोटा भाई लोकेश अभी पढ़ाई कर रहा था।
IAS बनने के बाद ही राखी बंधवाऊंगा
साल 2012, क्षमा और माधवी ने तीसरी बार UPSC का एग्जाम दिया। रक्षाबंधन से कुछ दिन पहले उनका रिजल्ट आया। वो दोनों एग्जाम में फेल हो गईं। कुछ दिन बाद रक्षाबंधन पर योगेश दोनों बहनों से राखी बंधवाने उनके पास गए। दोनों बहने निराश थीं तो योगेश ने दोबारा तैयारी करने के लिए उनका हौसला बढ़ाया।
साथ ही योगेश ने ये ठान लिया कि अपनी बहनों के लिए अब वो भी IAS बनकर दिखाएंगे। जिससे वो अपने छोटे भाई-बहन को गाइड कर सकें। योगेश बताते हैं, “मैंने उसी दिन तय कर लिया था कि मैं जब IAS बन जाऊंगा तब ही बहनों से राखी बंधवाने आऊंगा। मैंने तुरंत ही UPSC की तैयारी शुरू कर दी।”
योगेश ने रक्षाबंधन पर अपनी बहनों से वादा किया कि अब राखी IAS बनने के बाद ही बंधवाऊंगा।
पापा चाहते थे चार में एक बच्चा IAS बन जाए
योगेश बताते हैं, “परिवार में समस्याएं होने के बावजूद पापा ने हमारी पढ़ाई में कोई कमी नहीं आने दी। उन्होंने हम चारों की पढ़ाई पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया लेकिन कभी कुछ थोपा नहीं। कई बार रिश्तेदारों और पड़ोसियों से सुनने मिला कि पापा चाहते हैं उनके चारों बच्चों में से कम से कम एक तो UPSC का एग्जाम क्लियर करे और IAS बने। इसलिए मैं अपनी बहनों के साथ-साथ अपने पापा का भी सपना पूरा करने में पूरी ताकत से जुट गया।”
पहले एटेम्पट में क्लियर किया UPSC
साल 2013. योगेश ने UPSC का एग्जाम दिया। रिजल्ट आया। योगेश के पापा का सपना पूरा हो गया। उन्होंने पहले ही एटेम्पट में UPSC एग्जाम क्लियर किया और IAS बन गए। योगेश बताते हैं, “मेरी दोनों बहने बहुत मेहनत करतीं थीं लेकिन उनके पास सही गाइडेंस नहीं था।
एग्जाम की तैयारी करते वक्त मुझे समझ आया कि वो कहां गलत जा रहीं हैं। इसलिए मैंने उन्हें सही तरह से तैयारी करने के लिए गाइड किया। जिसके बाद उन्होंने फिर से UPSC क्लियर करने का तय किया।”
दोनों बहनों सहित छोटे भाई का भी हुआ सिलेक्शन
क्षमा और माधवी ने योगेश के बताए तरीके से तैयारी शुरू की। अगले साल यानी 2014 में दोनों बहनों सहित उनके छोटे भाई लोकेश ने भी अपने बड़े भाई से प्रेरित होकर UPSC का एग्जाम दिया। इस बार माधवी और लोकेश ने बाजी मार ली। माधवी झारखंड कैडर की IAS बनीं। इस वक्त वो झारखंड के रामगढ की DM हैं।
लोकेश का नाम रिजर्व लिस्ट में था। पर उन्हें खुद पर भरोसा था कि वो दोबारा में अच्छे नंबर ला सकते हैं। उन्होंने एक और बार एग्जाम देने का फैसला किया। साल 2015 में क्षमा और लोकेश ने फिर से एग्जाम दिया। दोनों ने एग्जाम पास कर लिया। लोकेश इस वक्त झारखंड के कोडरमा में पोस्टेड हैं। वहीं क्षमा IPS हैं और इस वक्त बेंगलुरु में तैनात हैं।
पहले नार्मल बातें होतीं थीं, अब योजनाओं पर डिस्कशन होता है
योगेश बताते हैं कि हम चारों की पोस्टिंग अलग-अलग जगह पर है। इसलिए सब लोगों का एक साथ इकठ्ठा होना बहुत मुश्किल होता है। घर की शादियों में भी हम सब इकठ्ठा नहीं हो पाते। चारों में से कोई ना कोई काम की वजह से नहीं आ पाता। लेकिन सभी की कोशिश रहती है कि रक्षाबंधन या भाईदूज पर एक दूसरे से मिलें। कुछ वक्त बिताएं।
वो कहते हैं, “हम चारों एक साथ 2019 के रक्षाबंधन में मिले थे। पहले जब भी हम सब इकट्ठा होते थे तो अपने स्कूल के दिनों और घर-परिवार की बातें होतीं थीं। लेकिन अब सबके सिलेक्शन के बाद हमारे काम से जुड़ी बातें ज्यादा होती हैं। हम एक दूसरे से डिस्कस करते हैं कि किस राज्य में कौन सी योजनाएं चल रहीं हैं। क्या दिक्कतें आ रहीं हैं।”
एक साथ पढ़ाई का समय आज भी याद आता है
चारों भाई बहन दिल्ली में करीब 1 साल तक एक ही कमरे में रहे। सब साथ ही UPSC की तैयारी करते थे। हम नई स्ट्रैटजी बनाते थे। विस्तार से हर चीज पढ़ते थे। लिखकर नोट्स देते थे, साथ ही एक दूसरे को पढ़ाते भी थे। योगेश कहते हैं कि पढ़ाई का समय संघर्षों से भरा था। लेकिन अब हम सब सफल हो गए हैं तो वो वक्त सबसे ज्यादा याद आता है।
बहनों की तरह अब बाकी UPSC एस्पिरेंट्स को कर रहे गाइड
योगेश बताते हैं कि कई ऐसे एस्पिरेंट्स हैं जो पूरी मेहनत करते हैं लेकिन उनका सिलेक्शन नहीं होता। वजह ये कि उनके बेसिक कॉन्सेप्ट्स क्लियर नहीं होते। साथ ही उनके पास तैयारी के सही तरीके बताने के लिए कोई नहीं होता। इसलिए मेरी बहनों ने सलाह दी कि जो एस्पिरेंट्स असफल हो जाते हैं उनको हमें गाइड करना चाहिए।
अब हम सब मिलकर एक यू-ट्यूब चैनल चलाते हैं और ऐसे सभी बच्चों को गाइड करने की पूरी कोशिश करते हैं।
- यह तो थी 4 ऐसे भाई-बहनों की कहानी जो एक दूसरे की मदद से IAS-IPS बन गए। कुछ और कहानियां आप नीचे दिए लिंक पर पढ़ सकते हैं…