दिल्ली पहुंचे रेसलर दीपक पूनिया: कल बहादुरगढ़ में पैतृक घर आएंगे; कॉमनवेल्थ गोल्ड मेडलिस्ट के भव्य स्वागत की तैयारी

 

 

इंग्लैंड के बर्मिंघम में कॉमनवेल्थ गेम्स में गोल्ड मेडल जीतने वाले रेसलर दीपक पूनिया मंगलवार को दिल्ली पहुंचे। एयरपोर्ट पर उनका स्वागत करने के लिए उनके कोच व गांव के कुछ लोग भी पहुंचे। दीपक पूनिया कल यानी बुधवार को बहादुरगढ़ में अपने गांव छारा पहुंचेंगे।

सोनीपत में महेंद्रा TUV लेकर युवक फरार: कुंडली में बाइक सवार 6 युवकों को गाड़ी मालिक ने धक्का लगाने को रोका था

बता दें कि कॉमनवेल्थ में 86KG फ्री स्टाइल कुश्ती में दीपक पूनिया ने पाकिस्तान के रेसलर मोहम्मद इनाम बट्‌ट को सेमीफाइनल के एक तरफा मैच में 3-0 पटकनी देकर गोल्ड मेडल जीता था। दीपक का मुकाबला पाकिस्तान के रेसलर के साथ होने की वजह से यह कुश्ती और भी ज्यादा रोचक हो गई थी।

मंगलवार को वह अन्य खिलाड़ियों के साथ इंग्लैंड से सीधे दिल्ली एयरपोर्ट पर पहुंचे। दीपक पूनिया के कोच विरेन्द्र कुमार के अलावा गांव से भी कुछ लोग उसका स्वागत करने दिल्ली पहुंचे। साथ ही दीपक को गोल्ड जीतने पर बधाई दी गई। दीपक का आज पूरे दिन दिल्ली में ही व्यस्त कार्यक्रम है।

मिल में मिला युवक का शव: रिजाई में लिपटा था; बदबू आने पर जब बेडरूम चेक किया तो चला पता

कल गांव में भव्य स्वागत की तैयारी
दीपक के गोल्ड जीतने के बाद से ही गांव के अलावा आसपास के गांवों के लोग खुशी से फूले नहीं समां रहे। दीपक बुधवार को गांव छारा में अपने पैतृक घर पहुंचेगा। दीपक के जोरदार स्वागत की तैयारियां की जा रही है। ग्रामीणों का कहना है कि दीपक ने पूरे विश्व में देश का नाम रोशन किया है। उन्हें अपने लाल पर गर्व है। इसलिए उसका स्वागत भी भव्य किया जाएगा।

पिता पेशे से डेयरी संचालक
दीपक के पिता सुभाष पूनिया पेशे से डेयरी संचालक है। सुभाष पूनिया ने बताया कि दीपक ने शुरुआती दांव-पेंच गांव के कुश्ती अखाड़े में ही कोच वीरेंद्र कुमार से सीखे। 5 साल की उम्र में ही अखाड़े जाना शुरू कर दिया था। जब वे स्टेट और नेशनल में मेडल जीतने लगे तो अंतरराष्ट्रीय पहलवान और ओलिंपिक मेडलिस्ट सुशील कुमार उन्हें छत्रसाल स्टेडियम में ले गए। वहां पर सुशील और महाबली सतपाल ने उनका मार्गदर्शन किया। उन्होंने ही दीपक के रहने की व्यवस्था स्टेडियम में की। पिता सुभाष पूनिया ही दीपक के लिए दिल्ली दूध देकर आते थे।

नवजोत कौर का कोरोना ने तोड़ा सपना: पॉजिटिव होने पर नहीं बन सकी थी हॉकी टीम का हिस्सा; घर बैठकर की खुशी जाहिर

पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में बने चैम्पियन
दीपक अपनी पहली अंतरराष्ट्रीय प्रतियोगिता में ही चैम्पियन बने। 2016 में कैडेट वर्ल्ड चैम्पियनशिप में पहली बार देश का प्रतिनिधित्व किया। उन्होंने इस चैम्पियनशिप में गोल्ड मेडल जीता। वे महज 17 साल की उम्र में ही विश्व चैम्पियन बने। 2019 में अपनी पहली सीनियर विश्व कुश्ती चैम्पियनशिप में 86 किग्रा वर्ग में सिल्वर मेडल जीता। यहां से ही उन्हें ओलिंपिक कुश्ती टीम का टिकट मिला।

ओलिंपिक में मेडल से चूके
पिछले साल टोक्यो में हुए ओलिंपिक गेम में दीपक पूनिया से भी मेडल जीतने की उम्मीद जताई जा रही थी, लेकिन आखिरी वक्त में वह चूक गए। जिसके बाद वह काफी मायूस हुए। गांव लौटने के बाद दीपक ने एक बार फिर जबरदस्त मेहनत की और अब मेडल जीत लिया। दीपक पूनिया का कहना है कि अगला टारगेट उनका अब पैरिस में होने वाले ओलिंपिक में गोल्ड मेडल जीतना है।

एसडीएम सत्यवान मान ने गांव करसिंधू में तिरंगा यात्रा को किया रवाना

सेना में सूबेदार
दीपक पूनिया 2018 से सेना में सूबेदार हैं। पिता सुभाष ने बताया कि बेटे की नौकरी लग जाने के बाद घर की आर्थिक स्थिति में सुधार हुआ। दीपक के कहने पर उन्होंने डेयरी का काम बंद कर दिया है। दीपक तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे हैं। इनसे बड़ी दो बहनें हैं और दोनों की शादी हो चुकी है। दीपक की मां का निधन 2 साल पहले हो गया था।

 

खबरें और भी हैं…

.उपग्रह अब विचलन के बाद उपयोग करने योग्य नहीं हैं: इसरो अपने पहले एसएसएलवी मिशन पर

.

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

error: Content is protected !!