डिज्नी हॉटस्टार जैसे ओटीटी प्लेटफॉर्म जल्द ही सेंसरशिप के दायरे में होंगे। दरअसल, केंद्र सरकार के सूचना प्रसारण मंत्रालय ने नए ब्रॉडकास्टिंग सर्विसेज बिल का ड्रॉफ्ट तैयार कर लिया है।
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इसमें ओटीटी, सैटेलाइट केबल टीवी, डीटीएच, आईपीटीवी, डिजिटल न्यूज और करेंट अफेयर्स के लिए भी नए नियम बनाए जा रहे हैं। इसके बाद ओटीटी प्लेटफॉर्म ब्रॉडकास्टिंग नेटवर्क ऑपरेटर कहलाएंगे।
यदि कोई ऑपरेटर या ब्रॉडकास्टर नियमों को नहीं मानता है, तो सरकार उस कंटेंट को संशोधित करने, डिलीट करने या तय घंटों तक ऑफ एयर रहने से लेकर संबंधित प्लेटफॉर्म पर पाबंदी भी लगा सकती है।
ओटीटी प्लेटफॉर्म का रजिस्ट्रेशन जरूरी होगी
नए नियमों के तहत ओटीटी चैनल को सरकार के पास रजिस्ट्रेशन कराना होगा। सब्सक्राइबर बेस बताना होगा। ओटीटी प्लेटफॉर्म के लिए कड़े कानून लागू होने से उनकी लागत बढ़ेगी। ऐसे में उपभोक्ताओं के लिए सब्सक्रिप्शन फीस महंगी की जा सकती है।
इस बिल में 6 चैप्टर, 48 धाराएं और तीन शेड्यूल हैं। यह बिल कानून बनने पर मौजूदा केबल टेलीविजन नेटवर्क्स (रेगुलेशन) एक्ट, 1995 और प्रसारण से जुड़े दूसरे दिशा-निर्देशों की जगह लेगा। केंद्र सरकार ने इस मसौदे पर 9 दिसंबर तक सुझाव और आपत्तियां मांगी हैं।
एक्सपर्ट बोले- ओटीटी के लिए थ्री लेयर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम
वकील (पब्लिक पॉलिसी) अपार गुप्ता ने बताया, ओटीटी के लिए थ्री लेयर सेल्फ रेगुलेशन सिस्टम होगा। अपने स्तर पर कंटेंट इवैल्यूएशन कमेटी (सीईसी) बनानी होगी। सीईसी सर्टिफाइड प्रोग्राम ही दिखा सकेंगे।
इसका आकार व ऑपरेशन डिटेल सरकार तय करेगी। एक एसोसिएशन होगा, जिसमें 15-20 ओटीटी ऑपरेटर होंगे। तीसरा, शिकायतें सुनने के लिए ग्रीवेंस रिड्रेससल ऑफिसर भी जरूरी।
केबल टीवी पर 7+ से ‘ए’ श्रेणी तक के प्रोग्राम भी दिखा सकेंगे
न्यूज या करेंट अफेयर्स पर यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म पर अपना चैनल चलाने वाले स्वतंत्र पत्रकारों-ब्लॉगर्स पर भी शिकंजा कसेगा। ऑनलाइन पेपर, न्यूज पोर्टल, वेबसाइट आदि पर असर होगा, पर पेशेवर-व्यावसायिक न्यूजपेपर्स और उनके ऑनलाइन संस्करण दायरे से बाहर रखे गए हैं।
जैसा कंटेंट अभी तक ओटीटी चैनल पर उपलब्ध है, वह सैटेलाइट केबल नेटवर्क के चैनल पर भी मिलेगा। अभी उस पर सीबीएफसी प्रमाणित फिल्में ही दिखाई जा सकती हैं। भविष्य में वहां भी ओटीटी की तरह यू, 7+, 13+, 16+ से लेकर ‘ए’ श्रेणी के प्रोग्राम भी प्रसारित हो सकेंगे।
नियम नहीं माने तो 5 लाख रुपए का दंड व पाबंदी तक संभव
ओटीटी आदि पर प्रसारित कंटेंट पर नजर रखने के लिए ब्रॉडकास्टिंग एडवाइजरी काउंसिल (बीएसी) बनेगी। यह कोड के उल्लंघन के मामले में केंद्र को सिफारिश भेजेगी।
इसमें मीडिया के 25 साल के अनुभव वाला व्यक्ति चेयरमैन होगा और 5 सरकारी व पांच गैर-सरकारी संभ्रांत नागरिक सदस्य होंगे। कोड का उल्लंघन हुआ तो ओटीटी प्लेटफॉर्म पर अस्थायी निलंबन, सदस्यता से निष्कासन, सलाह, चेतावनी, निंदा या 5 लाख रु. तक का दंड संभव।
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