संतों के सानिध्य से मनुष्य का अहंकार समाप्त होता है: मुनि नवीन चंद्र

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एस• के• मित्तल   
सफीदों,      नगर की श्री एसएस जैन स्थानक में धर्मसभा को संबोधित करते हुए मधुरवक्ता नवीन चन्द्र महाराज एवं श्रीपाल मुनि महाराज ने कहा कि व्यक्ति अपने अवगुण छिपाकर श्रेष्ठ बनना चाहता है। दोषों को दबाकर रखने से वे और बढ़ते हैं और कभी-कभी विकराल रूप ले लेते हैं।
इसलिए अपने मन व हृदय को सरल बनाइए। जैसा है, वैसा दीखिये, सकारात्मक सोच को हृदय में धारण करना चाहिए। उन्होंने कहा कि बुराई कभी दब नहीं सकती। जिस प्रकार राख को दबाने से उसके अंदर का ताप खत्म नहीं होता, वैसे ही बुराई दबी रहती है। मौका मिलने पर वह बढ़ती है। मन के कषाय को खत्म करना चाहिए। संतों के सानिध्य में आने से व्यक्ति का अहंकार समाप्त हो जाता है।
उन्होंने कहा कि जो हमारी आत्मा को निर्मल और पवित्र करें वह कार्य पुण्य होता है और जिस कार्य से हमारी आत्मा मलिन और दूषित हो जाये वह पाप कर्म होता है। अब तुम्हें क्या करना है यह तुम निश्चित करोगे। अपने इस मनुष्य जीवन को सार्थक करना है तो अपनी मंजिल को पहचानो और उसकी ओर बढ़ना प्रारंभ करो।

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